Sometimes people were not even ready to give Rs 10 – News18 हिंदी

आदित्य कृष्ण/अमेठी: जीवन में कई मुसीबतें आती हैं. कोई इन मुसीबतों से हार जाता है, तो कोई इन मुसीबतों का डटकर मुकाबला करता है. मुसीबत से हारने के बजाय उसका मुकाबला करने वाली महिला है सुनीता देवी. जी हां, यह ऐसी महिला है, जिन्हें कभी कोई 10 रुपये भी देने के लिए तैयार नहीं होता था. लेकिन आज यह खुद रोजगार से जुड़ी होने के साथ अन्य बेरोजगारों को भी रोजगार दे रही है.
सुनीता अमेठी जिले के उत्तर गांव की रहने वाली हैं. 2008 में उनके समूह का गठन हुआ. पहले सुनीता बेरोजगार बैठी रहती थी. लेकिन जब यह पंजाब गई तो फिर वहां से इन्होंने इस काम को अपने पति के साथ मिलकर सीखा और आज सुनीता रोजगार की ब्रांड एंबेसडर बनी है. सुनीता अपने कारखाने में ट्रैकसूट तैयार करवाती है. ट्रेकसूट की ब्रिक्री सिर्फ अमेठी जिले में नहीं होती, बल्कि अमेठी जिले के साथ दूसरे जिलों और प्रदेशों तक इनकी डिमांड है.
समूह में जुड़े पांच लोगों को मिला रोजगार
आपको बता दें कि पहले सुनीता देवी के पास कोई काम नहीं था, लेकिन आज रोजगार के साथ इन्होंने अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है. इनके सहारा समूह में करीब पांच लोग काम कर रहे हैं. जिनको सुनीता ने रोजगार दिया है और आज रोजगार से जुड़कर वह काफी मुनाफा कमा रही है.
पति के साथ मिलकर पंजाब से सीखा काम
सुनीता देवी ने पति के साथ मिलकर पंजाब में ट्रैकसूट बनाने का काम सीखा. ट्रैकसूट बनाने के दौरान सुनीता को यह लगा कि इस काम की शुरुआत वह अपने जिले में भी कर सकती है और आज अच्छा खासा मुनाफा सुनीता कमा रही है. आपको बता दें कि लोगों को रोजगार देने में भी सुनीता का अहम योगदान है. सुनीता के बने ट्रैकसूट काफी अच्छे होते हैं और आरामदायक होते हैं.
खूब हो रही कमाई
सुनीता देवी ने बताया कि पहले लोग उन्हें 10 रूपए देने को भी तैयार नहीं होते थे और आज वह अच्छा खासा मुनाफा कमा रही है. एक दिन में कई ट्रैकसूट की बिक्री होती है और हजारों रुपए का फायदा होता है. सुनीता बताती है कि पहले उनके जीवन में काफी मुसीबत थी कोई काम नहीं था. लोग सही से बात नहीं करते थे लेकिन आज समूह ने उनका जीवन बदल दिया.
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Tags: Hindi news, Local18, Success Story
FIRST PUBLISHED : March 31, 2024, 12:46 IST
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