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गरीबी में हुआ जन्म, 500 रुपये की सैलरी वाली नौकरी से शुरू की कैरियर, अब हैं 5000 करोड़ वाली कंपनी के मालिक

कहते हैं ना विपरीत परिस्थितियां इंसान को कहीं से कहीं तक पहुंचा देती है, सिर्फ जरूरत होती है तो बस दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की. अगर ये जज्बा किसी भी इंसान के अंदर आया तो, वह जीवन में कुछ भी फतह कर सकता है. ऐसे ही विपरीत परिस्थिती और कठिन परिश्रम के एक ज्वलंत उदाहरण हैं- डायग्नोस्टिक और निवारक प्रयोगशालाओं (Diagnostic and Preventive Care Laboratories) की अग्रणी चेन थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज (Thyrocare Technologies) के संस्थापक और चेयरमैन ए वेलुमणि. असफलताओं और आर्थिक घाटे का सामना करने के बावजूद, वेलुमणि की कहानी उनके दृढ़ संकल्प का प्रमाण है.

वेलुमणि ने हाल ही में, तब सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने खुलासा किया कि एक स्टार्टअप में निवेश करने के बाद उन्हें 1400 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ. ऐसा रहस्योद्घाटन करने वाले वह एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो 1982 में मात्र 500 रुपये के साथ अपनी व्यावसायिक यात्रा शुरू की थी. अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए वेलुमणि ने बाताया कि, ‘मैं एक उद्यमी था. मैंने बहुत बड़ी संपत्ति बनाई. अब मैं एक नए निवेशक और विक्टिम के रूप में नया हूं.’

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वेलुमणि की यात्रा संघर्ष से भरे बचपन से जुड़ी हैं. भूमिहीन किसान पिता के घर जन्मे वेलुमणि के परिवार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, उनका परिवार कपड़ों जैसी बुनियादी ज़रूरतों को वहन नहीं कर पाता था. उनकी मां हफ्ते के 50 रुपये कमाती थीं, जिससे वेलुमणि और उनके भाई-बहन का पालन-पोषण प्रतिकूल परिस्थितियों में हुआ. कम उम्र से ही उन्होंने संघर्ष और कड़ी मेहनत का मूल्य सीखा.

जैसे-तैसे करके वेलुमणि ने बीएससी की डिग्री हासिल की. उनकों कोयंबटूर के पास एक फार्मास्युटिकल फर्म के काम मिला, जहां पर उन्हें मामूली वेतन मिलता था, हालांकि, चार साल बाद कंपनी बंद हो गई और वह फिर से बेरोजगार. जेब में केवल 400 रुपये और बड़े सपने के साथ वेलुमणि मयानगरी मुंबई के लिए निकल पड़े, वहां पर उन्होंने 14 सालों तक BARC 500 प्रति महीने की सैलरी पर काम किया.

साल 1996 वेलुमणि के लिए काफी महत्वपूर्ण था. उन्होंने उसी साल अपने पूरे पीएफ के पैसे से थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज की स्थापना की. उन्होंने शुरुआत में 1 लाख रुपये के निवेश किया. धीरे-धीरे उनकी कंपनी फली-फूली और 2021 तक 7,000 करोड़ रुपये की चौंका देने वाली कीमत तक पहुंच गई.

फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी में वेलुमणि की हिस्सेदारी बढ़कर 5,000 करोड़ रुपये हो गई. एक रणनीतिक कदम में, उन्होंने अपनी 66 प्रतिशत हिस्सेदारी PharmEasy की मूल कंपनी को 4,546 करोड़ रुपये में बेच दी, जिससे व्यापार जगत में उनकी स्थिति और मजबूत हो गई.

Tags: Amazing story, Business, Start Up


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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