बेटी को खेलते देख मां को मिली प्रेरणा, राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बन गईं गोल्ड मेडलिस्ट, अब यह है लक्ष्य

कोरबा. जिंदगी में जब भी कोई चोट लगती है तो सबसे पहले जुबां से ‘मां’ निकलता है. यह बात सच है क्योंकि मां होती ही ऐसी है जो आपके लिए अपने दायरों से बढ़कर काम करती है. इस Mother’s Day 2024 के मौके पर हम आपको सुना रहे हैं एक ऐसी मां की कहानी, जो अपनी बेटी से प्रेरणा लेकर गोल्ड मेडलिस्ट बन गई.
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की इस घरेलू महिला की उपलब्धि बताती हैं कि सीखने की न कोई उम्र होती और न कोई समय. दरअसल, एक मां अपनी 10 साल की बेटी को ताइक्वांडो की प्रैक्टिस करते देख खुद इस खेल में उतर आई और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल प्राप्त करने के साथ राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुकी है.
बेटी को प्रेरणा मानकर खेल की दुनिया में कदम रखने वाली इस मां का नाम है पिंकी सिद्धू. पिंकी देश की उन महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं जो जीवन में कुछ नया करना चाहती हैं. कोरबा के नीहारिका क्षेत्र में रहने वाली ताइक्वांडो खिलाड़ी मां-बेटी की जोड़ी को देखकर अब अच्छे- अच्छे खिलाडियों के पसीने छूट जाते हैं.
पिंकी सिद्धू ने बताया कि मेरी 10 वर्षीय बेटी अरिश्का सिद्धू ताइक्वांडो खेलती है. बेटी को सपोर्ट करने मैं उसके साथ ताइक्वांडो क्लास जाती थी. इसी बीच ख्याल आया कि अगर इस खेल को सीख लूं तो बेटी की मदद बेहतर तरीके से कर पाऊं. इसलिए मैंने भी प्रैक्टिस शुरू कर दी. पिंकी सिद्धू अब नेशनल खेलने के साथ देश की बेटियों लिए इस खेल को बढ़ाना चाहती हैं, साथ ही अपने खेल के दम पर इंटरनेशनल ताइक्वांडो कोच बनाना चाहती हैं.
पिंकी सिद्धू का कहना है बच्चों के पहले शिक्षक उनके माता-पिता होते हैं बच्चे अपने पैरेंट्स से जिंदगी जीने के बारे में कई अहम चीजें सीखते हैं. आमतौर पर माना जाता है कि बड़े ही बच्चों को सिखाते हैं. हालांकि कई ऐसे कई गुण भी होते हैं, जो बड़े भी बच्चों से सीख सकते हैं और अपने जीवन को खुशहाल व बेहतर बना सकते हैं. खासकर वें महिलाएं जो दिन भर घर के कामकाज में बिजी रहती हैं और अपने लिए समय नहीं निकाल पाती . ऐसे में बच्चों के साथ उनकी गतिविधियों में शामिल होकर कुछ और भी बेहतर कर सकती हैं.
Tags: Chhattisgarh news, Local18, Mothers Day Special
FIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 14:21 IST
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