मध्यप्रदेश

5 day tribal Vaidya camp organized in Anthropological Museum | गुड़हल से पथरी का ट्रीटमेंट, सदा सुहागन से शुगर कंट्रोल: ​​​​​​इंसुलिन का पौधा कैंसर-बीपी में फायदेमंद; भोपाल में 104 वैद्य बता रहे जड़ी-बूटी के फायदे – Bhopal News

वैद्य जी, इस जड़ी के खाने से शुगर ठीक हो जाएगी क्या…पेट में छाले हैं, देसी इलाज से ठीक हो सकते हैं…ये सवाल भोपाल के इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय में जनजातीय वैद्य शिविर और कार्यशाला में पूछे जा रहे हैं।

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शिविर में देश के 16 राज्यों के 104 वैद्य जड़ी-बूटी से मरीजों का इलाज करने आए हैं। 21 सितंबर से शुरू हुआ शिविर 25 सितंबर तक चलेगा। यहां अब तक 1800 से ज्यादा लोग जांच और इलाज करा चुके हैं।

वैद्यों का दावा है कि इंसुलिन पौधे की जड़ी से कैंसर-ब्लड प्रेशर का ट्रीटमेंट होता है। गुड़हल का फूल पथरी को खत्म करता है तो सदा सुहागन (सदाबहार) पौधे का फूल शुगर कंट्रोल करता है। दैनिक भास्कर से बातचीत में वैद्यों ने अलग-अलग बीमारियों के जड़ी बूटी से होने वाले इलाज और नुस्खे शेयर किए। पढ़िए, रिपोर्ट….

भोपाल के इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय में 16 राज्यों के वैद्य आए हैं। यह शिविर 25 सितंबर तक चलेगा।

इंसुलिन की जड़ी से अपेंडिक्स, कैंसर, बीपी का इलाज

जनजातीय वैद्य शिविर में यानुंग जमोह अरुणाचल प्रदेश से आई हैं। वे हिमालय पर्वतमाला की तलहटी में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों से इलाज करती हैं। खासकर अपेंडिक्स, कैंसर, बीपी और शुगर जैसी बीमारियों का इलाज इंसुलिन नाम की जड़ी से करती हैं। इसके लिए उन्हें पद्मश्री भी मिल चुका है। यानुंग का दावा है, ‘इंसुलिन पौधे के तने को दिन में तीन बार गन्ने की तरह खाने से शुगर, बीपी और पेट से जुड़ी बीमारियां ठीक हो जाती हैं।’

उन्होंने बताया, ‘इंसुलिन जड़ी से इलाज के दौरान अगर मरीज अंडा और नॉनवेज खाता है तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। मरीज की सेहत गंभीर हो सकती है। उसे इसका परहेज करना होता है। मरीज अगर आंवला, नीबू जैसे खट्‌टे फल रोजाना खाता है तो दवा का असर ज्यादा तेजी से होता है।’

अरुणाचल प्रदेश से आईं यानुंग जमोह पद्मश्री हैं। उनका दावा है कि इंसुलिन पौधे के तने को खाने से शुगर, बीपी और पेट की बीमारियां खत्म होती हैं।

अरुणाचल प्रदेश से आईं यानुंग जमोह पद्मश्री हैं। उनका दावा है कि इंसुलिन पौधे के तने को खाने से शुगर, बीपी और पेट की बीमारियां खत्म होती हैं।

गुड़हल के फूल की चाय ब्लड प्यूरिफाई करती है

भोपाल में रहने वाले वैद्य बीएस रजोरा कहते हैं, ‘गुड़हल औषधीय महत्व का पौधा है। इसके फूल की चाय बनाकर पीने से पथरी में आराम मिलता है। ब्लड भी प्यूरीफाई होता है। महिलाएं अगर इस चाय को पीती हैं तो उन्हें मेंस्ट्रुअल पीरियड में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।

गुड़हल के फूल को चबाकर खाने से व्यक्ति के शरीर में ताकत का इजाफा होता है। बाजार में गुड़हल के फूल का पाउडर हिबिस्कस पाउडर के नाम से मिलता है।

वैद्य रजोरा ने बताया, ‘ऐसे मरीज, जिन्हें हाई ब्लड शुगर की शिकायत है, वे सदा सुहागन पौधे के फूल को चबाकर खाएं। अलग से इंसुलिन नहीं लेना पड़ेगी। लिवर जब इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, तब डॉक्टर्स पेशेंट को इंसुलिन लेने की सलाह देते हैं।

शुगर का कोई परमानेंट ट्रीटमेंट, पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में भी नहीं है। इसे केवल जड़ी-बूटियों से नियंत्रित किया जा सकता है।’

वैद्य बीएस रजोरा के मुताबिक, सदा सुहागन पौधे के फूल को चबाकर खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है।

वैद्य बीएस रजोरा के मुताबिक, सदा सुहागन पौधे के फूल को चबाकर खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है।

हिरण के सींग से निकालते हैं शरीर का मवाद

मणिपुर से आए वैद्य बेरा चंग टराव शरीर के घाव में हुए जख्म में बने पस (मवाद) का इलाज करते हैं। वे मवाद को हिरण के सींग से निकालते हैं। टराव कहते हैं, ‘शरीर के किसी भी हिस्से में पड़े मवाद को सामान्य ट्यूब से निकाला जा सकता है लेकिन संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। हिरण के सींग का उपयोग सक्शन ट्यूब के रूप में करने से व्यक्ति के जख्म के आसपास सेकेंडरी इंफेक्शन नहीं होता। साथ ही जख्म जल्दी ठीक होता है।’

वैद्य बेरा चंग टराव मणिपुर से आए हैं। वे जख्म में बने मवाद को हिरण के सींग से निकालते हैं। उनका दावा है कि इससे जख्म जल्द ठीक होता है, इंफेक्शन भी नहीं होता।

वैद्य बेरा चंग टराव मणिपुर से आए हैं। वे जख्म में बने मवाद को हिरण के सींग से निकालते हैं। उनका दावा है कि इससे जख्म जल्द ठीक होता है, इंफेक्शन भी नहीं होता।

जानिए, किस जड़ी बूटी से किस बीमारी का इलाज होता है…


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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