International diver said- I neither go to parlor nor keep phone | इंदौर की गोताखोर ने सिंगापुर में जीते 5 मेडल: उम्र 15 साल लेकिन सीनियर्स को दे रही चैलेंज क्योंकि टारगेट 2028 ओलिंपिक – Indore News

मैं अपनी कॉम्पिटिशन को लेकर फोकस रहना चाहती थी। डाइव लगाते समय ध्यान नहीं भटके इसलिए छोटी थी तभी बाल छोटे करवा लिए थे। पहले गेम बाद में सब कुछ। बाल मैटर नहीं करते। गेम मैटर करता है। बाल कट जाएंगे, अच्छी नहीं दिखूंगी। कोई बात नहीं।
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कभी मन को मारकर अगर कोई चीज फायदा दे रही है तो उस डायरेक्शन में जाना चाहिए। बाल बाद में बढ़ जाएंगे। गेम को प्रायोरिटी मानते हो तो वो आपको आगे ले जाएगा। वो ज्यादा अच्छा लगेगा। मैं पार्लर भी नहीं जाती हूं। सोशल मीडिया यूज नहीं करती हूं। मेरे पास फोन नहीं है। फोन से डिस्ट्रेक्शन होता है।
अभी टाइम ये सब करने के लिए नहीं है। गोल सेट कर मेडल हासिल करना ही टारगेट है। बाद में पूरी लाइफ है। आप जितना चाहे उतना सोशल हो सकते हैं। किसी नाइट पार्टी में भी इन-वाल्व नहीं होती हूं, क्योंकि सुबह 3 बजे उठकर प्रैक्टिस करना होती है। मैं अपने गेम को सबसे पहले रखती हूं।
ये कहना है इंदौर की बेटी अंतर्राष्ट्रीय गोताखोर पलक शर्मा का। पलक की उम्र 16 साल है। नेशनल और इंटरनेशनल मिलाकर 40 से ज्यादा मेडल अब तक जीत लिए हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित हैं। साल 2022 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने एकलव्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
हाल ही में 30 अगस्त से 1 सितंबर तक सिंगापुर इंटरनेशनल एक्वेटिक चैम्पियनशिप में पलक ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। चैम्पियनशिप में 6 कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया और 5 मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। अंडर 19 जूनियर कैटेगरी में 3 गोल्ड और सीनियर कैटेगरी में 1 सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज जीता है।
पहली बार ऐसा हुआ है कि सिंगापुर नेशनल चैम्पियनशिप में किसी भारतीय लड़की ने पांच पदक एक साथ जीते हैं। पूर्व में वर्ल्ड एक्वेटिक चैम्पियनशिप के लिए भी पलक चुनी गई थी और वह भारत की पहली महिला गोताखोर बनी थीं। वहीं एशियाई खेल एवं अन्य स्पर्धा में भी वह भारत का प्रतिनिधित्व कर देश को स्वर्ण पदक दिला चुकी हैं।
इंदौर के नेहरू पार्क स्विमिंग पूल में रमेश व्यास सर से डाइविंग के गुर सीख रहीं हैं पलक।
जानिए इंदौर लौटने पर दैनिक भास्कर से बातचीत में पलक शर्मा ने उनके गेम और अब तक के सफर के बारे क्या कुछ कहा।
पलक बोली : डाइविंग देखने में सुंदर लेकिन बहुत रिस्की
मेरी कजिन स्विमिंग करती है। मैं स्विमिंग देखने गई थी। उम्र करीब 4 साल थी। तब मेरे बड़े पापा ने सजेस्ट किया कि मुझे डाइविंग (गोताखोर) में भी डाल सकते हैं। फिर डाइविंग देखने मैं नेहरू पार्क स्विमिंग पूल गई। वहां रमेश व्यास सर सभी को डाइविंग सीखा रहे थे। वहां से मुझे इंटरेस्ट आया। डाइविंग देखने में बहुत सुंदर दिखता है लेकिन है बहुत रिस्की।
2021 में मेरी उम्र 14-15 साल थी। जूनियर नेशनल में अच्छा परफॉर्म किया था। इससे फेडरेशन काफी इंप्रेस हुई। उन्होंने कहा कि अगर सीनियर कैटेगरी में खेलना है तो खेल सकते हो। उसके बाद मैं 2021 में सीनियर कैटेगरी में खेला। वहां भी एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था। तभी से मैं सीनियर नेशनल कॉम्पिटिशन खेल रही हूं।
सीनियर कैटेगरी में खेलना बहुत चैलेंजिंग रहता है। सीनियर गर्ल्स को काफी अनुभव रहता है। वो पहले से मेडल जीत रहे होते हैं। उन्हें हराकर मेडल जीतना अच्छी बात है।
परिवार की तरफ से बहुत सपोर्ट मिला। परिवार का बैकग्राउंड स्पोर्ट्स का नहीं है। परिवार का मिठाई का बिजनेस है। मैं पहली लड़की हूं जो प्रोफेशनल स्पोर्ट्स में हूं। जब मैं छोटी थी तब भी सुबह-शाम पापा-मम्मी, दादा-दादी प्रैक्टिस के लिए ले जाते थे। अभी भी पूरा सपोर्ट करते हैं।
16 सितंबर को केरला जा रही हूं। 19 से 21 सितंबर के बीच सीनियर नेशनल कॉम्पिटिशन होगी। अगला टारगेट यही है।
कई बार ऐसा हुआ, डाइव लगाई और सीधे हॉस्पिटल ले गए
डाइविंग दिखने में बहुत सुंदर है। लेकिन वो उतना ही रिस्की गेम है। आप फोर्थ फ्लोर से डाइव लगा रहे हैं। बॉडी हवा में है। आप जीरो ग्रेविटी पर हो। बॉडी लूज हो गई तो चोट लगने के चांस बहुत ज्यादा रहते हैं। बेक इंजुरी, शोल्डर इंजुरी, एंकल इंजुरी हो सकती है।
फोर्थ फ्लोर से गिरने पर पानी की मार भी बहुत ज्यादा लगती है। कोई नई डाइव सीखी है। तब भी रिस्क रहता है। ऐसा बहुत बार हुआ है जब मैंने डाइव लगाई। पानी में गिरी और इंजुरी हो गई और सीधे हॉस्पिटल लेकर गए। चोट लगी है तो डाइट, एक्सरसाइज और रेस्ट से रिकवर करते हैं।

पढ़ाई और प्रैक्टिस में फंसा पेच
पढ़ाई और डाइविंग प्रैक्टिस में परेशानी भी आई। स्कूल का टाइम शाम को 4 बजे तक रहता था। डाइविंग क्लास 3.30 बजे से रहती थी। इस वजह से प्रैक्टिस नहीं हो पाती थी। 7वीं क्लास से मैंने डमी एडमिशन ले लिया। फिर कोरोना में स्कूल ऑफ हो गए। अभी 12वीं क्लास में हूं।
जब हो गई थी नर्वस
2019 में एशियन एज ग्रुप चैम्पियनशिप खेली थी। जिसमें दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता। उसके बाद 2022 में वर्ल्ड एक्वेटिक चैम्पियनशिप (दोहा कतर) में हिस्सा लिया। ये बहुत डिफिकल्ट था, क्योंकि जिन प्लेयर को देखकर इंस्पायर होती थी। जो ओलिंपिक में मेडल जीत चुके हैं, उनके साथ खेलना था। इससे नर्वस हो गई थी। परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा। इंडोनेशिया, सिंगापुर इन्विटेशनल मीट में भी हिस्सा लिया।

पलक के अनुसार डाइविंग दिखने में बहुत सुंदर है। लेकिन वो उतना ही रिस्की गेम है।
2028 ओलिंपिक टारगेट, इंडिया में सुविधाएं कम
दूसरी कॉम्पिटिशन के लिए रेडी हो रही हूं। कोशिश है ज्यादा से ज्यादा कॉमन वेल्थ गेम खेलूं। ओलिंपिक 2028 टारगेट है। ओलिंपिक मेन गोल है, लेकिन उससे पहले काफी स्टैप हैं जो मुझे क्लियर करनी है। इंडिया में डाइविंग को लेकर इतनी सुविधाएं नहीं हैं। कोशिश यही है कि जो भी रिसोर्स हैं, उसका यूज कर अच्छे से अच्छा परफॉर्म करें।
गवर्नमेंट से अगर सुविधाएं मिलती है तो वो और भी अच्छी बात होगी। हम लोग और अच्छी ट्रेनिंग ले पाएंगे और इंडिया का नाम रोशन कर पाएंगे। डाइविंग को लेकर क्रेज बढ़ रहा है। कोशिश यही है कि जेवलिन की तरह ही डाइविंग को भी लोग जाने।
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