मामी से 10,000 रुपये उधार ले शुरू किया बिजनेस, बाइक पर ढोया माल, आज इनके बनाए कपड़े पहनकर इतराते हैं लोग

हाइलाइट्स
कमल खुशलानी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ.
जब वे 19 साल के थे तो उनके पिता की मौत हो गई.
उन्होंने अपनी मामी से पैसे उधार ले काम शुरू किया.
नई दिल्ली. भारत में आज मुफ्ती (Mufti) एक जाना-पहचाना फैशन ब्रांड है. मिड प्रीमियम और प्रीमियम मेन्ज वीयर मार्केट में इसका अच्छा-खासा नाम है. वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी का रेवेन्यू करीब 500 करोड़ रुपये रहा था. लेकिन, आपको जानकार हैरानी होगी की मुफ्ती की नींव पैसे उधार लेकर रखी गई थी. मुफ्ती के फाउंडर कमल खुशलानी (Mufti Founder Kamal Khushlani) एक साधारण परिवार में जन्में. 19 साल की उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया था. घर चलाने को उन्होंने कुछ दिन एक कैसेट कंपनी में नौकरी भी की. लेकिन, उनका सपना अपना फैशल ब्रांड बनाना था. कड़ी मेहनत, लगन और टेलेंट के बलबुते कमल खुशलानी ने आखिरकार यह कर दिखाया.
मुफ्ती की पेरेंट कंपनी क्रिडो ब्रांड मार्केटिंग ने आईपीओ लाने के लिए सेबी के पास दस्तावेज जमा करा रखे हैं. देशभर में मुफ्ती के 379 एक्सक्लूसिव ब्रांड स्टोर, 89 लार्ज फॉर्मेट स्टोर और 1305 मल्टी ब्रांड आउटलेट्स हैं. Mufti के प्रोडक्ट में शर्ट, जींस, ट्राउजर, टी-शर्ट, शॉर्ट्स, ब्लेजर और विंटरवियर/आउटरवियर के साथ फुटवियर भी शामिल हैं. वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी 498.18 करोड़ का रेवेन्यु अर्जित किया. इससे पिछले वित्त वर्ष में राजस्व 341.17 करोड़ रुपये था.
उधार ले शुरू किया काम
कमल खुशलानी ने साल 1992 में Mr & Mr नाम से पुरुषों के लिए शर्ट बनाने वाली मैन्युफैक्चरिंग कंपनी खोली. इसके लिए उन्होंने अपनी मामी से 10 हजार रुपये उधार लिए. वो वर्कशॉप में शर्ट बनवाते थे. उनका घर ही उनका ऑफिस और गोदाम था, क्योंकि ऑफिस का किराया चुकाने के पैसे उनके पास नहीं था. कमल का काम ठीक चल रहा था. जिंदगी भी ठीक-ठाक चल रही थी, लेकिन कमल अपने काम से संतुष्ट नहीं थे. उनको लगता था कि वह अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल नहीं कर रहे. यदि वह अपनी पूरी ताकत के साथ लगें तो न केवल देश बल्कि दुनियाभर में फैशन की नई लहर पैदा कर सकते हैं.
1998 में कमल खुशलानी ने मुफ्ती (Mufti) नामक एक फैशनवेयर ब्रांड शुरू कर दिया. कमल ने मुफ्ती को अकेले शुरू किया. उनके पास एक बाइक थी, जिस पर कई किलो कपड़ा लादकर वर्कशॉप पर लेकर जाते. जब कपड़े बन जाते तो उसी बाइक पर लादकर बेचने निकलते थे. उनके पास कोई स्टाफ नहीं था और न ही कोई ऑफिस. वे बाइक पर सूटकेस में कपड़े भरकर बेचते थे.
साल 2000 के बाद पकड़ी रफ्तार
मुफ्ती को पहचान साल 2000 के बाद ही मिली. मुफ्ती की जिंस को लोगों ने हाथों हाथ लिया. इसका कारण था. उस समय सभी ब्रांड एक ही जैसे प्रोडक्ट ऑफर कर रहे थे. उनकी क्वालिटी भी तकरीबन समान थी. मुफ्ती ने इस एकरुपता को तोड़ा और ग्राहकों के सामने कई विकल्प रखे. मुफ्ती देश में ऐसा पहला ब्रांड था जिसने पुरुषों के लिए स्ट्रेच जींस बनानी शुरू की थी.
साल 2000 के बाद मुफ्ती के एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट खोले जाने लगे और मुफ्ती की मौजूदगी बड़े और मल्टी ब्रांड आउटलेट में बनी. मुफ्ती भारत में अरविंद मिल्स, केजी डेनिम, एनएसएल और मफतलाल से फैब्रिक खरीदती है. Mufti की अन्य एक्सेसरीज भी भारत से ही खरीदी जाती है.
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FIRST PUBLISHED : October 22, 2023, 13:57 IST
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