Eow Files Fir Against Chhattisgarh Psc Scam Accused – Amar Ujala Hindi News Live

सीजीपीएससी भवन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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EOW Action ON CGPSC scam: आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने पूर्व की कांग्रेस सरकार में चर्चित सीजीपीएससी घोटाले की पन्ने खोलने शुरू कर दिए हैं। ईओडब्ल्यू ने आरोपियों, पूर्व अधिकारियों एवं नेताओं पर एफआईआर की है। मामले में सीजीपीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, तत्कालीन सचिव और आईएएस जीवन किशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य ऑफिसर्स और कांग्रेस नेताओं पर ईओडब्ल्यू ने अपराध दर्ज किया है। इनके विरुद्ध धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश से संबंधित कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
सीएम विष्णुदेव ने मामले में पूर्व की भूपेश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि CGPSC महाघोटाले के आरोपी पूर्व अधिकारियों एवं नेताओं पर EOW ने FIR दर्ज कर दी है। इस महाघोटाले में अपने भविष्य की बलि देने वाले मेरे सभी बच्चों को आश्वस्त करता हूं कि आपके साथ हुए अन्याय का हिसाब होगा। गुनहगार बचेंगे नहीं, हम आपकी प्रतिभा का सौदा करने वालों को उनके अंजाम तक पहुंचाकर रहेंगे।
सीएम ने दूसरे ट्वीट में लिखा कि भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार में जिला खनिज न्यास मद में पैसों के बंदरबांट के लिए एक नियम बनाया था, जिससे कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ और पैसों की अफरातफरी। भ्रष्ट कांग्रेस सरकार में खनिज विभाग के संचालक द्वारा 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी कर यह व्यवस्था दी गई थी कि जिले के खनिज अमले द्वारा ई-परमिट का भौतिक सत्यापन होने के बाद ही ई-ट्रांजिट पास जारी किया जा सकेगा। इस आदेश के माध्यम से इसके पहले जो ऑनलाईन प्रक्रिया थी उसको बंद करके ऑफलाइन किया गया था। जिससे प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप शुरू हुआ, भ्रष्टाचार के आक्षेप लगे और परिवहन में भी विलंब होता था। लेकिन आज छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन है कि हमारी सरकार ने भ्रष्टाचारी दीमक रूपी इस नियम को ही खत्म कर दिया।
उन्होंने तीसरे ट्वीट में लिखा कि अब छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के लिए बिल्कुल भी जगह नहीं है। युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ होगी कड़ी कारवाई । मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कोल परिवहन में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था एवं सुशासन को ध्यान में रखकर खनिज विभाग द्वारा 15 जुलाई 2020 को जारी परिपत्र एवं इसके अनुक्रम में जारी अन्य सभी अनुषंगी निर्देशों को निरस्त करने की घोषणा की।
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