अजब गजब

कोरोना ने जॉब सीकर को बनाया जॉब क्रिएटर, घर आकर शुरू किया स्टार्टअप, अब दे रहीं फ्रेंचाइजी

नीरज कुमार/बेगूसराय. लॉकडाउन को याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं. कई लोगों की नौकरी तक इस दौरान छूट गई. हालांकि, जिन्होंने इस आपदा को अवसर बना लिया, उनकी जिंदगी पहले से बेहतर भी हो गई. जो कल तक जॉब सीकर थे, वे अब जॉब क्रिएटर हो गए हैं. बेगूसराय की श्वेता अग्रवाल की लाइफ भी कोरोना ने बदल दी. कोरोना काल तक वह जॉब करती थी, आज वह अपना स्टार्टअप चलाती हैं. दरअसल, लॉकडाउन में घर आने की वजह से इन्हें भी नौकरी छोड़नी पड़ी. लेकिन, अब वह अपने स्टार्टअप में दूसरों को नौकरी दे रही है.

यह है श्वेता के आत्मनिर्भर बनने की कहानी
श्वेता अग्रवाल ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि पुणे से एमबीए करने के बाद दिल्ली में उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज पर चार साल तक जॉब किया. फिर, कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के कारण वह नौकरी छोड़कर वापस घर आ गई. हालांकि, घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से वह वापस नौकरी पर जाने के बारे में सोच भी नहीं पाई. लेकिन, वह अपना हुनर भी दिखाना चाहती थी. इस कारण यहीं पर कोई छोटा सा स्टार्टअप करने की सोच रही थी. इसी बीच चार दोस्तों से मिले आइडिया के बाद लगभग 3 लाख की लागत से अपने स्टार्टअप की शुरूआत कर दी. जो अब बेगूसराय में ब्रांड बनते जा रहा है.

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आइए जानते हैं काके दा नान को
श्वेता अग्रवाल ने बताया कि अंग्रेजों के समय में 1942 में चांदनी चौक पर तंदूरी रोटी और नान का एक फूड स्टॉल हुआ करता था, जिसका नाम काके दा नान था. आगे चलकर इसकी फ्रेंचाइजी विश्व के कई देशों में खुलने लगी. इसी कड़ी में इसकी पहली फ्रेंचाइजी बिहार के बेगूसराय और फिर पटना में खुली है. उनका मानना है जॉब तो आखिरकार जॉब ही होता है, लेकिन बिजनेस में अपनापन होता है. यही वजह है कि उनके स्टार्टअप को बेगूसराय में सबसे ज्यादा युवा और उद्योगपति पसंद कर रहे हैं.

ऐसे तैयार होता है नान
नान बनाने के लिए सामग्री की अगर बात की जाए तो मैदा, बेकिंग सोड़ा, तेल, दही और चीनी को मिलाकर बनाया जाता है. एक नान की कीमत यहां 200 रुपया है. श्वेता ने रोजाना की आमदनी का तो जिक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने बताया कि रोजाना 5 से 8 हजार तक का सेल तो होना ही है. 30 फीसदी तक बचत हो जाती है.

Tags: Begusarai news, Bihar News, Local18, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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