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घर से म‍िले थे 4.3 करोड़ और 10 हथियार, अब उनको नीतीश कुमार ने क्यों द‍िया ट‍िकट… क्‍या है इसकी इनसाइड स्‍टोरी?

पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कब क्या करेंगे किसी को भी भनक नहीं लगती? सोचिए, जरा अभी कुछ ही दिन पहले जिस नेता के घर पर जांच एजेंसी एनआईए की 19 घंटे तक लगातार रेड चलती रही. इस रेड में 4.3 करोड़ कैश और 10 हथियार भी बरामद हुए. जेडीयू ने उसी पूर्व एमएलसी को बेलागंज उपचुनाव में पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया. आपको बता दें कि बेलागंज से जेडीयू प्रत्याशी मनोरमा देवी हाल के सालों में बिहार की चर्चित नामों से एक नाम हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो एनआईए को मनोरमा देवी के नक्सल कनेक्शन के पुख्ता सबूत म‍िले थे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जेडीयू ने ऐसे दागी चेहरे को उम्मीदवार क्यों बनाया?

अगर मनोरमा देवी जीताऊ उम्मीदवार हैं तो क्या जेडीयू के पास कोई दूसरा उम्मीदवार बेलागंज सीट के लिए नहीं मिल रहा था? क्या जीत हासिल करने के लिए नीतीश कुमार अपने वसूलों से समझौता कर रहे हैं? बेलागंज के पूर्व एमएलए और मौजूदा जहानाबाद से आरजेडी सांसद सुरेंद्र यादव से मुकाबला करने के लिए मनोरमा देवी को टिकट मिला है? मनोरमा देवी को उम्मीदवार बनाना नीतीश की मजबूरी है या फिर जेडीयू का बिहार में सिमटता जनाधार एक कारण है?

नीतीश कुमार ने क्यों दिया मनोरमा देवी को टिकट?
आपको बता दें कि मनोरमा देवी के प्रत्याशी बनाये जाने के ऐलान से पहले ही इस बात की चर्चा चल रही थी कि बेलागंज से जेडीयू मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव को प्रत्याशी बनाया जा सकता है. लेकिन इस बीच एनआईए की रेड हो गई तो बेटे की जगह मां को जेडीयू ने प्रत्याशी बना दिया. रॉकी यादव है, जिसने 7 मई 2016 को आदित्य सचदेवा नाम के एक लड़के की गोली मारकर हत्या कर दी थी. निचली अदालत ने रॉकी यादव समेत तीन आरपियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. हालांकि पटना हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में रॉकी यादव समेत तीनों को बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और तीनों को तुरंत रिहा कर दिया.

क्या इस बार सुरेंद्र यादव की पकड़ कमजोर होगी?
बिहार में चार सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज सीटें के विधायक लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए थे. रामगढ़ से आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह, बेलागंज से सुरेंद्र यादव, इमामगंज से जीतनराम मांझी और तरारी से सुदामा प्रसाद विधायक थे. चार में से तीन सीट महागठबंधन के कब्जे में था, जबकि एक सीट एनडीए के कोटे की थी.

कौन हैं मनोरमा देवी
हालांकि, मनोरमा देवी के मैदान में उतरने से बेलगंज का चुनाव दिलचस्प भले हो गया है. लेकिन नीतीश कुमार के साथ-साथ बीजेपी पर भी सवाल उठने लगे हैं कि एक दागी उम्मीदवार पर कैसे सहमति दी. आखिर भ्रष्टाचार पर समझौता नहीं करने वाली बीजेपी ने मनोरमा देवी के एनआईए की रेड में 4 करोड़ से अधिक कैश मिलने पर भी उम्मीदवार बनाने पर अपनी सहमति क्यों दी?

एमवाई समीकरण में सेंध लगाने की तैयारी
90 के दशक से बेलागंज आरजेडी का मजबूत किला रहा है. इसको जीतने के लिए जेडीयू लगातार कोशिश करती आई है, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. अगर जातीय समीकरण की बात करें तो बेलागंज सीट पर यादव वोटर निर्णायक साबित होते रहे हैं. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के सुरेंद्र यादव ने जेडीयू प्रत्याशी अभय कुशवाहा को हराया था. सुरेंद्र यादव इस सीट से 7 बार जीते हैं. इस सीट पर यादव 70 हजार, अनुसूचित जाति के तकरीबन 50 हजार, भूमिहार 20 हजार, राजपुत, 15 हजार, कोयरी-कुर्मी 25 हजार, बनिया 10 हजार और मुस्लिम तकरीबन 62 हजार वोटर हैं. आरजेडी एमवाई समीकरण की वजह से इस सीट पर लगातार जतीत रही है. इस बार जेडूयू ने यादव कैंडिडेट उतार कर यादव वोटबैंक में सेंधमारी कर जीत हासिल करने का ख्वाब देख रही है.

वहीं, मनोरमा देवी ने अपना राजनीतिक करियर पति की मौत के बाद शुरू किया. साल 2020 में अतरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी लेकिन वह हार गईं. इस बार जेडीयू ने एमवाई समीकरण के साथ अन्य जातियों के वोटबैंक देखते हुए उम्मीदवार बनया है.

Tags: Assembly bypoll, Bihar News, CM Nitish Kumar, JDU BJP Alliance


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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