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VIP लाउंज हो, या गोल्डन टिकट…मूवी हॉल में अब सभी टिकट्स का रेट फिक्स होगा! सरकार का बड़ा फैसला

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Movie ticket price fixed: राज्य सरकार ने सिनेमा उद्योग को बड़ा तोहफा देते हुए टिकट दरें एक समान करने और मल्टीप्लेक्स की मनमानी रोकने का फैसला किया. फिल्म चैंबर ने इस फैसले का स्वागत किया, जबकि सरकार खुद का ओटीट…और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर

राज्य सरकार द्वारा सिनेमा क्षेत्र के लिए बड़े पैकेज की घोषणा के बाद फिल्म चैंबर में एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा, “कल का दिन हमारे लिए शुभ रहा.” उन्होंने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह फिल्म उद्योग के लिए ऐतिहासिक कदम है.

फिल्म उद्योग को मिला आधिकारिक दर्जा
उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि अब फिल्म जगत को एक उद्योग के रूप में मान्यता मिल गई है. सरकार ने फिल्म जगत की सभी मांगों को स्वीकार किया है, जिससे यह क्षेत्र और अधिक विकसित होगा. इसी के चलते यह बैठक बुलाई गई, ताकि इस फैसले पर विस्तार से चर्चा हो सके.

अब सभी टिकटों की कीमत होगी एक समान
फिल्म चैंबर के अनुसार, अब से सिनेमाघरों में सभी टिकटों की कीमत एक समान होगी, चाहे वह गोल्ड क्लास हो या अन्य कोई क्लास. फिल्म जगत से जुड़े वरिष्ठ सदस्य सारा गोविंद ने बताया कि टिकट दरों को लेकर साल 2016 से बातचीत चल रही थी. उस समय, विदेशी भाषा की फिल्मों से 95 करोड़ रुपये का राजस्व आया था, जबकि कन्नड़ फिल्मों का राजस्व सिर्फ 36 करोड़ रुपये था.

टिकट दर निर्धारण पर सरकार का बड़ा फैसला
तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जब इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, तो उन्होंने सुझाव दिया था कि टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपये तय की जानी चाहिए. अब जाकर सरकार ने इस फैसले को लागू किया है. इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने मैसूर को फिल्म सिटी बनाने की योजना पर भी विशेष रुचि दिखाई है, जिससे राज्य में फिल्म निर्माण को और बढ़ावा मिलेगा.

मल्टीप्लेक्स में टिकट महंगे नहीं होंगे
सिद्धारमैया सरकार ने घोषणा की है कि मल्टीप्लेक्स में टिकट की कीमतें बढ़ाने पर रोक लगाई जाएगी. सरकार जल्द ही ऐसा नियम लाने जा रही है, जिससे मल्टीप्लेक्स टिकट बिकने के बाद उनकी कीमत नहीं बढ़ा सकेंगे. फिल्म चैंबर के प्रदर्शनी सचिव कुशाल ने इस निर्णय पर खुशी जताई और कहा कि यह कदम दर्शकों के लिए फायदेमंद रहेगा.

विदेशी फिल्मों के प्रभाव को कम करने की तैयारी
फिल्म चैंबर ने इस फैसले को सकारात्मक बताते हुए कहा कि इससे विदेशी भाषा की फिल्मों के दबदबे पर भी असर पड़ेगा. अब दूसरी भाषाओं की महंगी फिल्मों का बोझ दर्शकों पर नहीं डाला जाएगा. इसके अलावा, सरकार खुद का ओटीटी प्लेटफॉर्म शुरू करने पर भी विचार कर रही है. इस फैसले से स्थानीय फिल्म निर्माताओं को एक नया मंच मिलेगा, जहां वे अपनी फिल्मों को प्रदर्शित कर सकेंगे.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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