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जस्टिस नागरत्‍ना: संविधान लुटियंस दिल्‍ली का प्रोडक्‍ट नहीं; सुप्रीम कोर्ट की जज ने किस बात पर जताई चिंता – Justice Nagarathna Indian Constitution not product of Lutyen Delhi National Law University 11th convocation ceremony

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने शनिवार को छात्रों से कंस्‍ट्रक्टिव सिटिजनशिप के विचार के प्रति खुद को समर्पित करने का आग्रह किया. उन्‍होंने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि सोशल वर्क को सच्ची नागरिकता का आधार बनाना चाहिए. जस्टिस नागरत्‍ना ने भारतीय संविधान को लेकर भी बड़ी बात कही है. उन्‍होंने कहा कि संविधान न तो लुटियंस दिल्‍ली का प्रोडक्‍ट है और न ही उसका एक्‍सक्‍लूसिव डोमेन है. सीनियरिटी के आधार पर भारत की पहली महिला CJI बनने वालीं जस्टिस नागरत्ना ने कानूनी पेशे में महिलाओं का प्रतिनिधित्‍व कम होने पर चिंता जताई है.

जस्टिस बीवी नागरत्‍ना ने यहां नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संविधान न तो लुटियन दिल्ली का प्रोडक्‍ट है और न ही इसपर इसका एकमात्र अधिकार है. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि व्यक्तिगत या स्थानीय संबंधों के आधार पर संबंध बनाना और सामाजिक कार्यों के जरिये समाज में सक्रिय रूप से योगदान देना कंस्‍ट्रक्टिव सिटिजनशिप की आधारशिला होनी चाहिए. उन्होंने संविधान सभा में डॉ. बीआर आंबेडकर के समापन भाषण का भी हवाला दिया, जिसमें आंबेडकर ने सोशल चेंज के लिए संवैधानिक तरीकों को बढ़ावा देने में वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला था.

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संविधान किसी खास समूह के लिए नहीं- जस्टिस नागरत्‍ना
सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस नागरत्‍ना ने आगे कहा कि संविधान किसी खास समूह के लिए नहीं है. जस्टिस नागरत्ना ने ग्रैजुएशन के छात्रों से कंस्‍ट्रक्टिव सिटिजनशिप के विचार के लिए खुद को कमिट करने का आह्वान किया. उन्होंने कानूनी पेशे में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व को लेकर भी चिंता व्यक्त की है. जस्टिस नागरत्‍ना ने कहा कि भारत के हाईकोर्ट में केवल 13 प्रतिशत महिला जज हैं, जबकि नामांकित वकीलों में महिलाओं का आंकड़ा महज 15 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि कानूनी फर्मों में महिलाओं की संख्या केवल 27 प्रतिशत है. उन्होंने दुख जताया कि कई महिलाओं को व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरह की मांगों के कारण अपने करियर के चरम पर कानूनी पेशे से बाहर होना पड़ता है.

NLU की सफलता
इस मौके पर NLU दिल्ली के VC प्रोफेसर जीएस बाजपेयी ने भी इस अवसर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों की शैक्षणिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और एक मजबूत रिसर्च सिस्‍टम विकसित करने, शैक्षिक समानता हासिल करने और अंतरराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने में NLU के प्रयासों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इन प्रयासों ने NLU को लगातार सातवें साल केंद्र की एनआईआरएफ रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल करने में मदद की है. दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन भी इस मौके पर मौजूद थे. दीक्षांत समारोह में इनके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस चंद्रधारी सिंह और राष्ट्रीय राजधानी की शिक्षा, कानून, न्याय और कानून मामलों की मंत्री आतिशी सहित कई हस्तियां शामिल हुई थीं.

Tags: National News, Supreme Court


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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