मध्यप्रदेश

4 college girls who ran away from Damoh were found in Mumbai | दमोह से भागी 4 कॉलेज छात्राएं मुंबई में मिलीं: मुंबई से पिता को कॉल किया- पापा यहां बहुत खराब लग रहा है, हमारे साथ में कोई नहीं है – Damoh News


दमोह के कमला नेहरू गर्ल्स कॉलेज की गायब हुई 4 छात्राएं मुंबई में मिली हैं। कोतवाली पुलिस गुरुवार शाम उन्हें मुंबई से वापस लेकर आई। अलग-अलग गांव की रहने वाली इन चारों लड़कियों में दो सगी बहनें हैं।

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सोमवार को ये घर से कॉलेज जाने का कहकर निकली थीं, लेकिन फिर घर नहीं लौटीं। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर कॉलेज के सीसीटीवी चेक किए, लेकिन छात्राएं नजर नहीं आईं। एक छात्रा ने मंगलवार को अपने पिता से फोन पर कहा था कि अभी शादी नहीं करना है। आगे की पढ़ाई के लिए जा रही हूं। हम चारों साथ में हैं।

कोतवाली पुलिस इन छात्राओं से पूछताछ कर रही है कि वह मुंबई कैसे पहुंची और किसने उन्हें वहां पर आने के लिए कहा था। परिजनों का कहना है कि छात्राओं को किसी महिला ने फोन पर नौकरी दिलाने की बात कही थी, इसके बाद वह यहां से निकली थीं।

दूसरी बात यह भी सामने आई है कि लट्टू अहिरवार अपनी दोनों बेटियों की शादी करना चाहता था और बेटियां शादी करने को तैयार नहीं थीं। वो पढ़ना चाहती थीं, इसलिए सहेलियों के साथ भागी थीं।

पुलिस के अनुसार किरण पिता धनीराम पटेल (18) निवासी बीजौरी, किरण पिता भगवत पाल (18) सीता नगर के साथ पिंकी (19) और सुनीता (18) पिता लट्टू अहिरवार लापता हुई थीं, जो कि मुंबई के दादर स्टेशन पर मिली। इन्हें मुंबई जीआरपी की मदद से खोजा गया है। चारों फर्स्ट ईयर में थीं। ये गांव से बस से कॉलेज आना-जाना करती थीं।

बेटी को लेकर मुंबई से लौटे पूजा के पिता धनीराम ने कहा- बेटी ने मुझे कॉल कर बताया था कि वह मुंबई रेलवे स्टेशन पर है। मुझे यहां अच्छा नहीं लग रहा है आप लेने आ जाओ। उन्होंने बताया कि वे सभी बस से दमोह से जबलपुर गई थीं। यहां से भोपाल जाने के लिए ट्रेन में सवार हुई थीं, लेकिन वे गलती से मुंबई जाने वाली ट्रेन में सवार हो गई थीं।

बेटी ने बताया कि किसी ने उन्हें कहा था कि यहां आ जाओ, अच्छी नौकरी लगवा देंगे। 15-16 हजार तो आराम से मिल जाएंगे। मुझे यह नहीं पता कि उन्हें भोपाल बुलाया गया था या फिर मुंबई। चारों ही नौकरी करना चाहती थीं, इसलिए साथ चली गई थीं।

सुनीता और पिंकी के पिता लट्टू अहिरवार ने बताया कि जबलपुर से टिकट लेकर मुंबई वाली ट्रेन में बैठ गईं। सुबह साढ़े 7 बजे कॉल आया कि पापा हम काफी दूर आ गए हैं। दोपहर 2 बजे हमारे पास कॉल आया कि पापा हम मुंबई पहुंच गए हैं। हमने कहा- ठीक है बेटी तुम लोग अब वापस घर लौटकर आ जाओ। उन्होंने कहा-ठीक है हम टिकट कटवाकर वापस आ रहे हैं। उन्होंने कहा- हमारे साथ में कोई नहीं है, यहां तो बहुत ही खराब लग रहा है।

कोई मैडम ने उन्हें नौकरी दिलाने की बात कही थी। मोबाइल पर बात भी उनकी हुई थी। हकीकत यह है कि उन्हें पढ़ाई करनी थी, इसलिए वे घर से चली गई थीं। हां वे नौकरी के साथ पढ़ाई करना चाहती थीं, यह बात सही है। हमने अभी ज्यादा कुछ नहीं पूछा है।

बड़ी और मंझली दोनों की शादी की बात चल रही थी। बड़ी बेटी की तो करने वाले थे। मंझली की रुककर करते। मेरी 5 बेटियां हैं। शादी तो करनी पड़ेगी। मैं कितनों को पढ़ाऊंगा। पढ़ाई करनी है तो यहीं पर रहकर करो। भागना क्यों।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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