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भारत में पहली बार…ISRO नहीं, अब छात्र भी चला सकते हैं सैटेलाइट! AI से होगा कमाल

Agency:Local18

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AI satellite lab India: स्टार्टअप ‘टेक मी 2 स्पेस’ ने AI-ड्रिवन सैटेलाइट लैब लॉन्च की, जिससे छात्र दुनिया में कहीं से भी सैटेलाइट ऑपरेट कर सकते हैं. यह भारत को स्पेस टेक्नोलॉजी में मजबूत बनाएगा और नई संभावनाओं …और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर

हैदराबाद की टेक स्टार्टअप कंपनी ‘टेक मी 2 स्पेस’ (Take Me 2 Space) ने भारत में पहली बार एक अनोखी पहल की है. यह एक AI-ड्रिवन सैटेलाइट लैब प्रोजेक्ट है, जिसे दुनिया में कहीं से भी ऑपरेट किया जा सकता है. इस क्रांतिकारी योजना के तहत भारत के छात्र अब दूरस्थ रूप से सैटेलाइट्स को नियंत्रित कर सकते हैं. इससे भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में पकड़ और मजबूत होगी और देश की उपस्थिति वैश्विक स्तर पर और प्रभावी बन सकती है.

स्पेस रिसर्च में भारत की बढ़ती ताकत
अब तक भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान का क्षेत्र मुख्य रूप से सरकारी एजेंसियों और कुछ चुनिंदा शीर्ष शोध संस्थानों तक ही सीमित था. लेकिन इस नए प्रोजेक्ट के जरिए अब आम छात्र, शोधकर्ता और प्राइवेट कंपनियां भी इस क्षेत्र में कदम रख सकती हैं. अमेरिका और चीन जैसे देशों के मुकाबले भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूती दिलाने के लिए यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

टेक्नोलॉजी के जरिए शिक्षा का विस्तार
‘टेक मी 2 स्पेस’ के संस्थापक रोनक कुमार सामंतराय ने इस प्रोजेक्ट के महत्व को समझाते हुए कहा कि यह लैब दुनिया में कहीं से भी एक्सेस की जा सकती है. उन्होंने कहा, “आपको NASA या ISRO जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि आप केरल, दिल्ली, या फिर अंटार्कटिका में रहकर भी सैटेलाइट ऑपरेट कर सकते हैं.” यह सुविधा स्पेस टेक्नोलॉजी को अधिक सुलभ और उपयोगी बनाएगी.

स्कूल और यूनिवर्सिटीज के लिए बड़े फायदे
यह सैटेलाइट लैब उन स्कूलों और विश्वविद्यालयों के लिए एक नई राह खोल रही है, जो स्पेस रिसर्च में रुचि रखते हैं. वे इस सेवा की सदस्यता लेकर छात्रों को सैटेलाइट ऑपरेट करने का अनुभव दे सकते हैं. छात्र इस लैब से जुड़कर रिमोट एक्सेस के माध्यम से अपना कोड अपलोड कर सकते हैं और वास्तविक सैटेलाइट्स के साथ प्रयोग कर सकते हैं. ठीक उसी तरह जैसे आज स्कूलों में कंप्यूटर और रोबोटिक्स लैब मौजूद होती हैं.

प्रोजेक्ट को मिल रही शुरुआती सफलता
फिलहाल, टेक मी 2 स्पेस ने 20 ग्राहकों को आकर्षित किया है, जिनमें से 16 ग्राहक GIS और डेटा एनालिटिक्स सेक्टर से हैं और 4 शैक्षिक संस्थान हैं. यह दर्शाता है कि भविष्य में स्पेस एजुकेशन और टेक्नोलॉजी में यह प्रोजेक्ट बड़े बदलाव ला सकता है.

अंतरिक्ष में डेटा सेंटर बनाने की योजना
कंपनी की योजना सिर्फ सैटेलाइट ऑपरेशन तक सीमित नहीं है. वे भविष्य में अंतरिक्ष में डेटा सेंटर भी स्थापित करना चाहते हैं. ये डेटा सेंटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य कंप्यूटिंग संसाधनों से संचालित होंगे, जिससे पृथ्वी पर मौजूद सिस्टम्स पर निर्भरता कम होगी. यह सरकार के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को भी आकर्षित कर सकता है.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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