अजब गजब

12 साल नौकरी के बाद शुरू किया ग्रोथ जॉकी, यूं स्टार्टअप की दुनिया बदल रही ये कंपनी

नई दिल्ली. कई वर्षों तक कॉर्पोरेट में काम करने का नतीजा यह होता है कि व्यक्ति तपकर निरखता है. वह जीवन में कोई भी मुकाम हासिल करने की हिम्मत हासिल कर लेता है. ऐसा ही हुआ आशुतोष कुमार के साथ. फिलहाल वे ग्रोथ जॉकी के सीईओ हैं. एक ऐसी कंपनी जो स्टार्टअप्स शुरू करने में मदद करती है. इसका उद्देश्य नए और छोटे व्यवसायों को सफल बनाने के लिए उनका मार्गदर्शन करना है. इसे यूं समझिए कि बड़ी कंपनियों को एक चलता हुआ प्रोडक्ट (बच्चा) बनाकर देना इसका मुख्य काम है. फिलहाल उनकी कंपनी की वैल्यूएशन 20 मिलियन डॉलर (लगभग 166 करोड़ रुपये) है. इस वित्त वर्ष में 4 मिलियन डॉलर (लगभग 34 करोड़ ) के नेट रेवेन्यू का टारगेट रखा गया है.

आशुतोष कुमार ने 12 वर्षों तक अलग-अलग कंपनियों में काम किया. वे पहले एयरटेल में सेल्स एंड मार्केटिंग हेड थे, बाद में जियो में 3 साल तक मार्केटिंग टीम का हिस्सा रहे. एक समय आया जब उन्हें लगा कि अब कुछ अपना और कुछ बड़ा किया जाना चाहिए. आशुतोष ट्रकों के लिए एक स्टार्टअप शुरू करने वाली टीम का हिस्सा बने. इसका नाम था Rivigo. यह बेसिकली ट्रकों का ऊबर था, जिसे बाद में महिंद्रा लॉजिस्टिक्स ने अधिग्रहित कर लिया.

करती क्या है ये कंपनी?
न्यूज़ 18 हिन्दी से बात करते हुए आशुतोष कुमार ने अपने बिजनेस की कई डिटेल्स के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि ग्रोथ जॉकी (Growth Jockey) एक ऐसी कंपनी है, जो स्टार्टअप्स को शुरू से ही तेजी से बढ़ने में मदद करती है. यह कंपनी लेटेस्ट तकनीक और इनोवेशन का उपयोग करते अपने ग्राहकों के नए बिजनेस को नई ऊंचाई देने का काम करती है.

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आशुतोष ने बताया कि ग्रोथ जॉकी की शुरुआत 2019 में हुई थी, लेकिन 2020 में इसे रजिस्टर करवाया गया. सिर्फ एक साल के अंदर ही इसने INR 100 करोड़ का सालाना रेवेन्यू (ARR) कमा लिया था. यह एक बड़ी उपलब्धि थी, जो इस बात का सबूत है कि कंपनी कैसे सफलता की तरफ अग्रसर है. इसका मतलब यह है कि ग्रोथ जॉकी के पास अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने का अच्छा अनुभव और क्षमता है, जैसे स्वास्थ्य सेवा, वित्त, ऊर्जा, ई-कॉमर्स, आदि.

चुनौतियों आईं और गईं
किसी भी नए बिजनेस के लिए चुनौतियां आना स्वाभाविक है, और ग्रोथ जॉकी के साथ भी ऐसा ही हुआ. जब 2020 में कोविड-19 महामारी आई, तो इस कंपनी के सामने कई बड़ी मुश्किलें आईं. लेकिन ग्रोथ जॉकी ने हार नहीं मानी और अपनी टीम को सुरक्षित रखते हुए उन चुनौतियों का सामना किया. इसका परिणाम यह हुआ कि कंपनी ने उन मुश्किलों के बावजूद तेजी से प्रगति की.

ग्रोथ जॉकी ने कई बड़े और सफल स्टार्टअप्स की मदद की है. सीईओ आशुतोष कुमार उदाहरण देते हुए कहते हैं, “इसने एयरटेल पेमेंट बैंक, जियो और रिवीगो जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में काम किया है. इसके अलावा, कंपनी ने कई अन्य क्षेत्रों में भी सफल उद्यमों का निर्माण किया है, जैसे बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा), इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, हेल्थ टेक, और एडटेक.” इनमें से ज्यादातर प्रोजेक्ट बड़ी कंपनियों के रहे हैं.

कैसे होती है स्टार्टअप की स्थापना
जैसे ही ग्रोथ जॉकी को कोई कंपनी एक स्टार्टअप स्थापित करने के बारे में संपर्क करती है तो ग्रोथ जॉकी की एक टीम वह काम सौंपा जाता है. वह टीम यह असेसमेंट करती है कि क्या करना होगा और कैसे करना होगा. उसके बाद स्टार्टअप के लिए एक प्लान बनाया जाता और ग्रोथ जॉकी के अंदर से ही एक टीम बनाई जाती है. यह टीम प्रोडक्ट बनाने की दिशा में काम करती है. जब प्रोडक्ट बन जाता है तो वह टीम हायर करके उस प्रोडक्ट को कंपनी को हैंडओवर करने तक का काम करती है. उसके बाद धीरे-धीरे अपने लोगों को हटा लिया जाता है और एक सफल प्रोडक्ट की रनिंग पूरी तरह मेन कंपनी को सौंप दी जाती है.

Tags: Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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