दुकान पर काम करने वाला ‘छोटू’ अब अरबों का मालिक, बनाई ऐसी चीज जिसे 270 करोड़ लोग रोज करते हैं यूज

Success Story : आग में तपकर सोना कुंदन हो जाता है. दबाव सहकर पत्थर हीरा हो जाता है. इसी तरह इंसान भी अगर ठान ले तो संघर्ष और कठिनाइयां उसे चमकने से रोक नहीं सकतीं. जेन कूम (Jan Koum) का नाम आपने शायद न सुना हो, मगर उसकी बनाई चीज का इस्तेमाल आप रोजाना करते होंगे. यहां तक कि दिन में कई-कई बार उस चीज का यूज करते होंगे. अपने शुरुआती दिन गरीबी में काटने वाले जेन कूम ने जवानी में ऐसी चीज बना दी कि दुनिया के 270 करोड़ से अधिक लोग इस्तेमाल करते हैं. यह नंबर कितना बड़ा है इसका अंदाजा यहां बात से लगाएं कि भारत की आबादी इस समय 130 करोड़ के आसपास है.
जेन कूम की सक्सेस स्टोरी काफी प्रभावशाली है. उनके अविष्कार ने दुनिया को लगभग उसी तरह प्रभावित किया, जिस तरह पहिये के अविष्कार ने किया होगा. ज्यादा बातें घुमाने की बजाय बता ही देते हैं कि जेन कूम हैं कौन और उन्होंने क्या चीज बनाई थी? जेन कूप को वॉट्सऐप (WhatsApp) का जनक कहा जाता है. उनके इस प्रोडक्ट ने दुनियाभर में बातचीत (कम्युनिकेशन) करने का तरीका ही बदल दिया. SMS के विकल्प के तौर पर लाया गया वॉट्सऐप अब न केवल मैसेजिंग से आगे बढ़कर टेक्स्ट, वॉइस और वीडियो चैटिंग ऐप में बदल चुका है.
पांच सालों में ही हिला दी दुनिया
2009 में जेन कूम ने वॉट्सऐप की स्थापना की थी. हालांकि वे अकेले इसके संस्थापक नहीं थे. इस यज्ञ को शुरू करने में उनके साथ ब्रायन एक्टन (Brian Acton) भी शामिल थे. केवल पांच ही वर्षों में इस ऐप ने इंटरनेट की दुनिया में नाम पा लिया था. 2014 में मार्क ज़करबर्ग की कंपनी फेसबुक (जोकि अब मेटा है) ने इस स्टार्टअप को 22 बिलियन डॉलर में खरीद लिया था. आज के हिसाब से यह राशि 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बनती है.
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कर्ण जैसे दानवीर
forbes.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2018 तक जेन कूम वाट्सऐप के सीईओ बने रहे. इसी महीने उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने कहा कि वे जल्द ही फेसबुक बोर्ड से भी अलविदा ले लेंगे. इससे पहले कूम ने 9 वर्षों तक याहू (Yahoo) के साथ भी काम किया था. यह बताया गया कि जेन कूम ने अपनी कूम फैमिली फाउंडेशन समेत अन्य संस्थाओं को परोपकारी कार्यों के लिए 1.5 बिलियन डॉलर दान में दे दिए.
जेन कूम की नेटवर्थ
फॉर्ब्स की ही रिपोर्ट के अनुसार 2014 में जेन कूम की नेट वर्थ 6.8 बिलियन डॉलर थी. 2022 तक इसमें 3.2 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ और इसे 9.8 बिलियन डॉलर रिकॉर्ड किया गया. लेकिन पिछले साल में उनकी नेटवर्थ में जबरदस्त उछाल आया और यह 13.7 बिलियन डॉलर (11,380 करोड़ रुपये) हो गई. नीचे टेबल में वर्ष के हिसाब से नेट वर्थ दी गई है. 2023 में वे फॉर्ब्स की रिच लिस्ट में 44वें नंबर पर रहे. अरबपतियों की सूची में 130वें नंबर पर हैं.
साल | नेट वर्थ |
2014 | 6.8 बिलियन डॉलर |
2014 | 6.6 बिलियन डॉलर |
2016 | 8.6 बिलियन डॉलर |
2017 | 9 बिलियन डॉलर |
2018 | 9.1 बिलियन डॉलर |
2019 | 9.6 बिलियन डॉलर |
2020 | 9.7 बिलियन डॉलर |
2021 | 9.9 बिलियन डॉलर |
2022 | 9.8 बिलियन डॉलर |
2023 | 13.7 बिलियन डॉलर |
क्यों एंड-टू-एंड इन्क्रिप्टेड है वॉट्सऐप
जेन कूम का जन्म 1976 में कीव (यूक्रेन) में एक यहूदी परिवार में हुआ था. उनके पिता कंस्ट्रक्शन का काम करते थे और उनकी मां घर पर बच्चे की देखभाल में व्यस्त रहती थीं. कूम ने अपना बचपन ऐसी जगह बिताया, जहां नागरिकों की हर बात को सरकार सुनती थी. साम्यवादी शासन (Communist regime) हमेशा उन्हें परेशान करता था, जहां प्राइवेसी का कोई प्रावधान था ही नहीं. यह बात हमेशा उनके दिल में रही. जब उनके पास मौका था एक चैटिंग ऐप बनाने का तो उन्होंने सबकुछ ध्यान में रखते हुए ऐप डिजाइन की.
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एक बार कूम से पूछा गया था कि वे अपने बिजनेस में प्राइवेसी के पहलू पर बहुत फोकस क्यों करते हैं… तो उन्होंने कहा था, “मैं एक ऐसे समाज के बीच बड़ा हुआ, जहां पर आपकी कही हर बात को सुना जाता था, रिकॉर्ड किया, या छीन लिया जाता था. किसी को भी दूसरे की बातें सुनने का अधिकार नहीं होना चाहिए…”
छोटू के तौर पर काम किया
पूर्वी यूरोप में कम्यूनिज्म के बिखरने के बाद, कूम की मां ने फैसला लिया कि वहां से अमेरिका चले जाना ही उनके परिवार के हित में होगा. वे माउंटेन व्यू (कैलिफोर्निया) मूव हुए, लेकिन कूम के पिता साथ नहीं आए. अमेरिका पहुंचे तो पता चला कि कूम की मां को कैंसर है. अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने के लिए मां और बेटे ने फेडरल असिस्टेंस लिया, जिसमें वेल्फेयल, फूड स्टांप और सरकारी घर शामिल थे. घर की स्थिति देखते हुए जेन कूम ने एक ग्रोसरी स्टोर पर ‘छोटू’ अथवा सहायक के तौर पर काम किया.
हैकर्स बनकर सीखे साइबर सिक्योरिटी के गुर
गरीबी ने उनके कदमों में बंधन डालने के भरसक प्रयार किये, मगर जेन कूम की हिम्मत ने दम नहीं तोड़ा. वे जल्दी सीखने वालों में शामिल थे और हार्ड वर्क से डरते नहीं थे. अमेरिका आने के दो साल बाद कूम ने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखना शुरू कर दिया. इसी दौरान उन्होंने एक बड़ा हैकिंग ग्रुप जॉइन किया, जिसमें उन्होंने साइबर सिक्योरिटी के गुर ग्रहण किए. रायटर्स ने उनका बयान छापा था- “नेटवर्किंग सीखने के शुरुआती दिनों में मैंने खूब मजे किए. मैंने सिक्योरिटी, स्केलेबिलिटी समेत कई चीजें सीखीं.”
आज बेशक वे अरबपतियों की उस सूची में शामिल हैं, जिसमें मार्क ज़करबर्ग से लेकर जैक डोर्सी और लैरी एलिसन शामिल हैं, लेकिन यह भी सच है कि वे अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए थे. चूंकि वे काफी शार्प थे, याहू ने उनके कॉलेज के खत्म होने से पहले ही उन्हें लपक लिया और नौकरी ऑफर कर दी. जेन कूम ने भी पढ़ने की बजाय नौकरी करना बेहतर समझा.
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FIRST PUBLISHED : January 10, 2024, 16:49 IST
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