अजब गजब

बचपन में सिर से उठा मां-बाप का साया, गरीबी से दो-दो हाथ करने वाले शख्‍स ने कैसे बनाई रईसों वाली घड़ी रोलेक्‍स?

हाइलाइट्स

हैंस की संपत्ति बेचकर चाचा ने उन्‍हें स्‍कूल में दाखिल कराया.
साल 1908 में उन्‍होंने रोलेक्‍स ब्रांड नाम से वॉच बाजार में उतारी.
रोलेक्‍स का कामकाज अब हैंस विल्सडोर्फ़ फाउंडेशन देखता है.

नई दिल्‍ली. रोलेक्‍स (Rolex) घड़ियों की चर्चे अक्‍सर होते रहते हैं. स्‍टाइल, खूबियों और कीमत की वजह से रोलेक्‍स कंपनी की बनाई घड़ियां कई दशकों से रईसों की पहली पसंद बनी हुई हैं. हर कोई इस ब्रांड की वैल्यू जानता है, लेकिन बहुत कम लोग हैं जिन्हें इस बात की जानकारी होगी कि ये ब्रांड शुरू किसने, कब और कैसे किया. रोलेक्‍स कंपनी की नींव रखने वाला शख्‍स कोई अमीर आदमी नहीं था. बचपन में ही अनाथ होने वाले जर्मनी के हैंस विल्सडोर्फ़ (Hans Wilsdorf) ने इंग्‍लैंड के लंदन शहर में अल्फ्रेड डेविस के साथ मिलकर रोलेक्‍स की नीवं रखी थी. घड़ियों की दुनिया को पूरी तरह बदलने का श्रेय भी हैंस को ही जाता है. उन्‍होंने ही विश्‍व की पहली हाथ घड़ी बनाई थी.

22 मार्च 1881 को जर्मनी के कुलम्बाच में जन्‍में हैंस विल्सडॉर्फ जब 12 साल के हुए तो पहले उनकी मां और बाप का देहांत हो गया. उनके पिता उनके लिए कोई जमा पूंजी नहीं छोड़ गए थे. हैंस और उनके एक भाई और बहन की जिम्‍मेदारी उनके अंकल पर आ गई. उनके अंकल ने हैंस का दाखिला एक अच्‍छे स्‍कूल में करा दिया. इसके लिए उन्‍होंने हैंस के पिता की प्रॉपर्टी बेची. अंकल का मानना था कि अच्‍छा पढा लिखा होना जरूरी है.

साल 1926 में कंपनी ने रोलेक्‍स ऑयेस्‍टर नामक दुनिया की पहली वॉच लॉन्‍च की थी.

स्‍कूल में सहे ताने
दूसरे कस्‍बे से आने की वजह से हैंस को स्‍कूल में सहपाठियों ने काफी तंग किया. उन्‍हें ताने मारे. उन पर तंज कसे. लेकिन, जिंदगी में कुछ बनने की लालसा उनमें गहरे से बैठ चुकी थी. यही वजह थी की साथियों की प्रताड़ना को सहते हुए भी उन्‍होंने मन लगाकर पढाई की. लैंग्‍वेज और गणित में उनकी अच्‍छी पकड़ थी. वे स्‍कूल के होनहार छात्र थे.

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1945 में रोलेक्‍स डेट वन लॉन्‍च हुई जो समय के साथ तारीख भी बताती थी.

19 साल की उम्र में शुरू की नौकरी
19 साल की उम्र में ग्रेजुएशन कंप्‍लीट कर हैंस स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर नौकरी की तलाश में आ गए. जेनेवा में वो एक पर्ल कंपनी में काम करने लगे. कुछ समय बाद उन्‍होंने कूनो कॉटर्न नामक एक फेमस वॉच कंपनी में नौकरी कर ली. यहीं वो पहली बार घडियों की दुनिया से रूबरू हुए. वे घड़ियों की सटीकता जांचने और पैकेजिंग का काम करने लगे. यहां उन्‍होंने घड़ी बनाने की कला सीखी. उनका काम ठीक चल रहा था, लेकिन उन्‍हें वापस जर्मनी अनिवार्य सैन्‍य सेवा देने के लिए जाना पड़ा.

लंदन में फिर शुरू की नौकरी
सेना में सेवा देने के बाद 22 साल की उम्र में हैंस इंग्‍लैंड चले गए. उन्‍हें घड़ियों की कंपनी में काम करने का अनुभव था. इसलिए उन्‍हें एक वॉच कंपनी में ठीक-ठाक नौकरी मिल गई. यहां उनका काम सेल्‍स बढाने का था. दो साल हैंस ने कड़ी मेहनत की और कंपनी की बिक्री दोगुनी कर दी. नौकरी के साथ वो घड़ी बनाने की अपनी कंपनी शुरू करने के तौर-तरीके भी सीख रहे थे. लंदन में ही उनकी मुलाकात फ्लोरेंस फ्लोरिस मे क्रुटी नामक लड़की से हुई. बाद में हैंस ने उनसे शादी कर ली.

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1955 में रोलेक्‍स डे डेट को लॉन्‍च किया गया. यह दुनिया की पहली घड़ी थी जो समय और डेट के साथ दिन भी बताती थी.

1905 में शुरू की कंपनी
साल 1905 में हैंस ने अपनी जीजा से पैसे लेकर विल्‍सडॉफ एंड डेविस नामक घड़ी बनाने की कंपनी बनाई. शुरुआत में उन्‍होंने एक स्विस कंपनी के साथ पार्टनर्शिप की. वे स्विस कंपनी के पुर्जे इंग्‍लैंड लाकर असेंबल करके घड़ी बनाते और उसे बेचते. उनका काम अच्‍छा चल निकला. उन दिनों कलाई घड़ी पुरुष नहीं बांधते थे. वो घड़ी जेब में रखते थे. टाइम देखने को घड़ी को बार-बार जेब से निकालना पड़ता था. कुछ समय बाद उन्‍होंने पुरुषों के लिए कलाई घड़ी बना दी. 1908 आते-आते उनकी हाथ घड़ी इंग्‍लैंड में लोकप्रिय हो गई.

1908 में रखा रोलेक्‍स नाम 
हैंस को अपनी कंपनी का नाम पसंद नहीं था. यह नाम लंबा था और आसानी से बोला भी नहीं जाता था. वे छोटा नाम चाहते थे जो घड़ी के डायल पर पूरा आ जाए. एक दिन वो लंदन में कहीं जा रहे थे. तभी उनको एक आवाज सुनाई दी. रोलेक्‍स. और हैंस को उनकी घड़ी का नया नाम मिल गया. 1908 में ही उन्‍होंने इसे रजिस्‍टर्ड कराया और इस ब्रांड नेम से घड़ियां बेचने लगे.

विश्‍व युद्ध से बढा बिजनेस
पहले विश्‍व युद्ध में रोलेक्‍स घड़ियां खूब प्रसिद्ध हुई. सैनिक इसे खूब पसंद करते थे. हाथ पर बंधी होने से टाइम देखना आसान था. यह बिल्‍कुल करेक्‍ट टाइम बताती थी. साथ ही यह हर मौसम को भी सह लेती थी. 1914 में लंदन में रोलेक्‍स का हेड ऑफिस बनाया गया. रोलेक्‍स को स्विटजरलैंड से रिस्‍टवॉच क्रोनोमीटर का सर्टिफिकेट भी मिल गया. लंदन क्‍यू आब्‍जरिवेटरी से भी ‘ए’ सर्टिफिकेट मिल गया.

1919 में जेनेवा शिफ्ट हुआ हेडक्‍वार्टर
1919 में कुछ दिक्‍कतों के चलते रोलेक्‍स का हेडक्‍वाटर्र हैंस जेनेवा ले आए. 1924 में रोलेक्‍स ने अपने फाइव स्‍टार लोगों को लॉन्‍च किया. साल 1926 में कंपनी ने रोलेक्‍स ऑयेस्‍टर नामक घड़ी लॉन्‍च की. यह दुनिका पहली वॉटरप्रुफ हाथ घड़ी थी. 1927 में एक महिला ने इंग्लिश चैनल पार करने की घोषणा की. हैंस ने उस महिला को अपनी घड़ी साथ ले जाने के लिए मना लिया. हालांकि, वह महिला इंग्लिश चैनल पार नहीं कर पाई. लेकिन, खास बाद यह थी कि दस घंटे ठंडे पानी में रहने के बावजूद ऑयेस्‍टर घड़ी सही से काम कर रही थी. हैंस ने अखबारों में विज्ञापन देकर अपनी घड़ी की इस उपलब्धि को दुनियाभर में पहुंचाया.

दुनिया को एक से एक बेहतरीन घड़ी
हैंस ने ऑयेस्‍टर घड़ी में सुधार जारी रखा. 1931 में रोलेक्‍स ऑयेस्‍टर प्रपेचुटर लॉन्‍च की जिसमें चाबी भरने की आवश्‍यकता नहीं थी. 1945 में रोलेक्‍स डेट वन लॉन्‍च हुई. यह दुनिया की पहली घड़ी थी जो समय के साथ डेट भी बताती थी. 1955 में रोलेक्‍स डे डेट को लॉन्‍च किया गया. यह दुनिया की पहली घड़ी थी जो समय और डेट के साथ दिन भी बताती थी. साल 1960 में हैंस विल्सडोर्फ़ की मौत हो गई. अपनी मौत से पहले ही उन्‍होंने रोलेक्‍स का सारा कामकाज अपनी पत्‍नी के नाम पर बनाए ट्रस्‍ट ‘हैंस विल्‍सडोर्फ फाउंडेशन’ के नाम कर दिया था. उनकी मौत के बाद रोलेक्‍स पूरी तरह एक लग्‍जरी घड़ी बनाने वाली कंपनी बन गई.

Tags: Business news in hindi, Rolex, Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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