Delhi CAG Report: वादे आसमान भर, पर काम ऊंट के मुंह में जीरा टाइप, कैग रिपोर्ट ने खोली AAP सरकार की पोल – delhi health services comptroller and auditor general cag report aam aadmi party aap government completely fail

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Delhi CAG Report: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर CAG की रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया. इसमें कई तरह के खुलासे किए गए हैं. पिछली सरकार पर गंभीर आरोप…और पढ़ें
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश की. (फोटो: पीटीआई)
हाइलाइट्स
- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में पेश की CAG रिपोर्ट
- पिछली सरकार पर कई तरह के गंभीर आरोप, चौंकाने वाले खुलासे
- AAP सरकार पर फंड का उपयोग न करने का भी लगा है आरोप
नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की अगुआई में नई सरकार का गठन हो चुका है. रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री का कार्यभार भी संभाल लिया है. सीएम रेखा गुप्ता ने विधानसभा सत्र के दौरान दिल्ली हेल्थ सर्विसेज पर CAG रिपोर्ट को जनता के सामने रखा. CAG रिपोर्ट में कई खुलासे किए गए हैं. कोरोना काल से लेकर हेल्थ वर्कर्स की भर्ती तक को लेकर खुलासे किए गए हैं. इसके अलावा अस्पतालों में बेड को लेकर भी रिपोर्ट में गंभीर बातें कही गई हैं. रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली की पिछली सरकार को पर्याप्त मात्रा में फंड मुहैया कराया गया था, लेकिन जनता के हित में उसे शत प्रतिशत खर्च नहीं किया गया. इसका खामियाजा आमलोगों को भुगतना पड़ा.
दिल्ली विधानसभा में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी CAG कैग रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 से निपटने के लिए केंद्र सरकार से मिले 787.91 करोड़ रुपये में से सिर्फ 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए. बाकी राशि बिना उपयोग के रह गई. इसके चलते कोरोना संकट के दौरान जरूरी सुविधाओं की भारी कमी रही. फंड की अनदेखी और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती और वेतन के लिए मिले 52 करोड़ रुपये में से 30.52 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए. इससे साफ है कि सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों की पर्याप्त भर्ती नहीं की. इस वजह से महामारी के दौरान लोगों को इलाज में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इसी तरह दवाओं, पीपीई किट और अन्य मेडिकल सप्लाई के लिए मिले 119.85 करोड़ में से 83.14 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए.
सरकारी अस्पतालों में बेड की भारी कमी
दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 2020-21 के बीच 32,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया था, लेकिन सिर्फ 1,357 बेड ही जोड़े गए. जो कि कुल लक्ष्य का मात्र 4.24 फीसद है. राजधानी के कई अस्पतालों में बेड की भारी कमी देखी गई, जहां बेड ऑक्यूपेंसी 101% से 189% तक रही. यानी एक ही बेड पर दो-दो मरीजों को रखा गया या मरीजों को फर्श पर इलाज कराना पड़ा. कैग रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दिल्ली में तीन नए अस्पताल बनाए गए, लेकिन सभी प्रोजेक्ट पहले की सरकार के कार्यकाल में शुरू हुए थे. इनके निर्माण में 5 से 6 साल तक की देरी हुई, जिस वजह से लागत भी बढ़ गई. इंदिरा गांधी अस्पताल के निर्माण कार्य को पूरा करने में 5 साल की देरी हुई. लागत 314.9 करोड़ रुपये बढ़ी. बुराड़ी अस्पताल के निर्माण में 6 साल की देरी हुई और लागत 41.26 करोड़ रुपये बढ़ गई. एमए डेंटल अस्पताल (फेज-2) को पूरा करने में 3 साल की देरी हुई, जिससे लागत 26.36 करोड़ रुपये तक बढ़ गई.
डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी
कैग रिपोर्ट में डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी के बारे में भी बताया गया है. इसके अनुसार, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभागों में 8,194 पद खाली पड़े हैं. नर्सिंग स्टाफ की 21 फीसद और पैरामेडिकल स्टाफ की 38 प्रतिशत तक की कमी है. राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की 50-74 तक की कमी पाई गई है. वहीं, नर्सिंग स्टाफ की 73-96 फीसद तक की कमी दर्ज की गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि लोक नायक अस्पताल में बड़ी सर्जरी के लिए 2-3 महीने और बर्न और प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6-8 महीने का इंतजार करना पड़ा. चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय (CNBC) में पीडियाट्रिक सर्जरी के लिए 12 महीने का इंतजार करना पड़ा.
New Delhi,Delhi
February 28, 2025, 15:55 IST
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