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चंद्रयान-3 के बाद भारत का एक और कीर्तिमान, अब स्‍पेस में बिजली बनाएगा ISRO, क्‍या है पूरा प्‍लान?

नई दिल्‍ली. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने एक और कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी स्‍पेस में बिजली बनाने की तकनीक का सफल परीक्षण कर लिया है. फ्यूल सेल तकनीक का इसरो ने सफल परीक्षण कर लिया है. दावा किया जा रहा है कि इस तकनीक की मदद से इसरो अंतरिक्ष स्‍टेशन पर भविष्‍य में उर्जा सप्‍लाई करने पर विचार कर रहा है। बताया जा रहा है कि यह तकनीक भविष्‍य में कार-बाइक को ऊर्जा देने में भी काम आएगी.

इसरो ने शुक्रवार को बताया कि उसने पारंपरिक बैटरी सेल की तुलना में अधिक कुशल और कम लागत वाले नए प्रकार के सेल का परीक्षण किया है. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि उसने ‘10 एएच सिलिकॉन-ग्रेफाइट-एनोड’ पर आधारित उच्च ऊर्जा घनत्व वाले ली-आयन सेल को वर्तमान में उपयोग किए जा रहे पारंपरिक सेल की तुलना में कम वजन और कम लागत वाले विकल्प के रूप में तैयार किया है.

Fuel cell payload

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अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा कि एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58 के प्रक्षेपण के दौरान बैटरी के रूप में सेल का उड़ान परीक्षण भी सफलतापूर्वक पूरा किया गया. इसरो ने कहा, ‘इस प्रदर्शन के माध्यम से प्राप्त आत्मविश्वास के आधार पर, इन सेल को आगामी परिचालन मिशनों में उपयोग करने के लिए तैयार किया गया है, जिनमें 35-40 प्रतिशत बैटरी द्रव्यमान बचत की उम्मीद है.”

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इसरो ने कहा कि टेलीमेट्री के माध्यम से बैटरी के ‘ऑन-ऑर्बिट वोल्टेज’, करंट और तापमान मूल्यों को प्राप्त किया गया और यह अनुमानों के अनुसार रहा. एनोड सामग्री के रूप में शुद्ध ग्रेफाइट के उपयोग वाले पारंपरिक ‘ली-आयन सेल’ की तुलना में यह सेल एनोड सामग्री के रूप में मिश्रित सी-ग्रेफाइट का उपयोग करता है.

Tags: International Space Station, ISRO, Space news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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