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इमरान खान की आखिरी कोशिश, जानिए क्यों सुप्रीम कोर्ट पहुंची पूर्व पीएम की पार्टी?

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इमरान खान

Imran Khan News: इमरान खान जेल में है। हाल ही में खबर आई कि उनका नामांकन रद्द कर दिया है। यही नहीं, उनकी पार्टी चुनाव चिह्न ‘क्रिकेट का बल्ला’ चाहती थी, जिसे लेकर उसे बड़ी जद्दोजहद करना पड़ी। लेकिन इस चुनाव चिह्न के लिए अंतत: पार्टी को अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा है। ये पार्टी की अपना पसंदीदा चुनाव चिह्न पाने की अंतिम कोशिश होगी। यही कारण है कि चुनाव चिह्न बचाने की आखिरी कोशिश के तहत इमरान खान की पार्टी उच्चतम न्यायालय पहुंची है।

जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने उसके चुनाव चिह्न के संबंध में आये लाहौर उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान निर्वाचन आयोग का वह आदेश बहाल कर दिया था जिसमें पार्टी के संगठनात्मक चुनाव को अमान्य घोषित किया गया था और इसका चुनाव चिह्न ‘क्रिकेट का बल्ला’ रद्द कर दिया था। पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) ने बुधवार को पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) के आदेश को बहाल कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने लाहौर उच्च न्यायालय का रुख किया था। हालांकि, गुरुवार को लाहौर उच्च न्यायालय ने पार्टी की याचिका खारिज कर दी। 

शुक्रवार को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

‘डॉन’ समाचार पत्र की खबर के अनुसार पार्टी की याचिका पर शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होगी। इमरान की पार्टी की ओर से गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में दलील दी गई है कि पीएचसी ने आयोग की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया था और अदालत के 26 दिसंबर के आदेश में यह प्रदर्शित हुआ था, इसलिए अदालत का बुधवार का फैसला “कायम रहने योग्य नहीं” है।

22 दिसंबर को रद्द कर दिया था चुनाव चिह्न

खबर के मुताबिक, याचिका में पीएचसी के बुधवार के आदेश को “बेहद कठोर, गैर तर्कसंगत और कायम नहीं रखने योग्य” करार दिया गया है। उल्लेखनीय है कि 22 दिसंबर को पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने इमरान की पार्टी के संगठनात्मक चुनाव को खारिज करने के साथ ही पार्टी का चुनाव चिह्न क्रिकेट का बल्ला रद्द कर दिया था। दिसंबर में हुए इस चुनाव में बैरिस्टर गौहर खान को पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया था। 

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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