अजब गजब

गरीब घर में जन्‍में, कोयला डीपो पर की मजदूरी, ठेले पर बेची कुल्‍फी, अब भारत के धनकुबेरों में आता है नाम

हाइलाइट्स

चंद्रमोगन ने साल 1971 में शुरू किया अपना बिजनेस.
उनकी बनाई आईसकैंडी लोगों को आई खूब पसंद.
पहले साल ही उन्‍हें हुआ जबरदस्‍त मुनाफा.

नई दिल्‍ली. आर जी चंद्रमोगन (RG Chandramogan) दक्षिण भारत के बिजनेस टाइकून्स में से एक हैं. गरीब परिवार में जन्‍में चंद्रमोगन ने अपनी मेहनत, सूझबूझ और जज्‍बे के बल पर आज 20000 करोड़ का व्‍यापारिक साम्राज्‍य स्‍थापित कर दिया है. उनका आईसक्रीम ब्रांड अरूण आज दक्षिण भारत का जाना-माना उत्‍पाद. देश की सबसे बड़ी निजी डेयरी कंपनियों में से एक हटसन एग्रो प्रोडक्‍ट्स भी चंद्रमोगन ने ही खड़ी की है. कंपनी 10000 गांवों के 40,0000 किसानों से दूध लेती है. उनकी कंपनी 42 से अधिक कंपनियों को डेयरी सामग्री का निर्यात भी करती है.

हटसन एग्रो प्रोडक्ट के मालिक आरजी चंद्रमोगन का जन्म तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के थिरुथंगल में हुआ. उनके पिता किराने की एक छोटी सी दुकान चलाते थे. लेकिन, इस दुकान से इतनी कमाई नहीं हो पाती थी कि उनके परिवार का गुजारा अच्‍छे से हो सके. चंद्रमोगन सरकारी स्‍कूल में पढ़ते थे और गणित उनका फेवरेट सब्‍जेक्‍ट था. लेकिन, गणित में ही फेल होने पर उन्‍होंने पढाई छोड़ दी. 15 साल की उम्र में उन्‍होंने एक कोयले के डिपू पर काम करना शुरू कर दिया. उन्‍हें 65 रुपये महीना पगार मिलती थी.

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साल भर बाद छोड़ी नौकरी
चंद्रमोगन को नौकरी रास नहीं आई और उन्‍होंने एक साल बाद ही जॉब छोड़ दी. वे अपना काम करना चाहते थे पर उनके पास पैसे नहीं थे. कुछ साल बाद उन्‍होंने अपने पुरखों की कुछ संपत्ति बेच दी. इससे मिले 13,000 रुपये लेकर वे चैन्‍नई आ गए. रोयापुरम इलाके में उन्‍होनें एक छोटी सी जगह किराए पर ली और आईस कैंडी बनाने का काम शुरू कर दिया. उनकी उस छोटी सी फैक्‍टरी में वे खुद तीन मजदूरों के साथ काम करते थे और रात को वहीं सो जाते थे.

ठेले पर बेची आईसकैंडी
शुरू में चंद्रमोगन ने अपनी आईसकैंडी बेचने के लिए हाथ ठेले और तिपहिया साइकिल का इस्‍तेमाल किया. वो दिन भर में 10 हजार स्टिक और कप आईसकैंडी बनाते और उन्‍हें 6 तिपहिया साइकिल और 15 हाथ ठेलों पर लादकर बेचते थे. वे खुद भी हाथ ठेला लेकर आईसकैंडी बेचने निकल जाते थे. उन्‍होंने इसे अरूण नाम दिया. वे इनको स्‍कूल और कॉलेज के आगे खड़ा करते थे. उनका यह प्रोडक्‍ट छात्रों को खूब पसंद आया. पहले ही साल उन्‍होंने डेढ लाख रुपये का रेवेन्‍यू जेनरेट किया.

1974 में उन्‍होंने समुद्री जहाजों में भी अरूण आईसकैंडी की सप्‍लाई शुरू कर दी. कॉलेज कैंटीनों में भी उनका बनाया यह प्रोडक्‍ट खूब बिकता था. साल 1981 आते-आते उनकी कुल बिक्री 4.25 लाख रुपये तक जा पहुंची. इसी साल उन्‍होंने अरूण आईसक्रीम लॉन्‍च की.

2014 में बाजार में लिस्‍ट हुई कंपनी
चार साल में ही अरूण आईसक्रीम तमिलनाडु में सर्वाधिक बिकने वाली आईक्रीम बन गई. 1995 में चंद्रमोगन ने केरल और आंध्र प्रदेश में भी अपना प्रोडक्‍ट बेचना शुरू किया. उन्‍होंने अपने आईसक्रीम आउटलेट भी खोलने शुरू किए. साथ ही उन्‍होंने पैकेज्‍ड दूध भी बेचना शुरू किया. चंद्रमोगन ने अपनी कंपनी का नाम भी अरूण से बदलकर हटसन एग्रो प्रोडक्‍ट्स कर दिया. साल 2014 में अरूण आईसक्रीम का ही रेवेन्‍यू 2000 करोड़ रुपये पहुंच गया. इसी साल उन्‍होंने अपनी कंपनी को बाजार में लिस्‍ट कराया.

आज नेट वर्थ 2.4 अरब डालर
आज हटसन एग्रो की वैल्‍यूएशन करीब 20 हजार करोड़ रुपये है. चंद्रमोगन का नाम आज फोर्ब्स बिलेनियर्स लिस्ट में शामिल है. भारत के अमीरों की लिस्ट में उनकी रैंकिंग 93वां है. फोर्ब्स के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति 2.4 अरब डॉलर से अधिक है.

Tags: Business news in hindi, Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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