Farmers are waiting for heavy rain | किसानों को तेज बारिश का इंतजार: 60 प्रतिशत तक हो चुकी बोवनी, इस बार सोयाबीन की नई वेराइटी पर भी फोकस – Dhar News

भले ही मानसून देरी से आया लेकिन प्री-मानसून की आवाजाही के बाद किसान खेती कार्य में जुट गया था। बारिश की शुरूआत होने से किसान भी सोयाबीन व अन्य खरीफ की फसल की बुवाई के लिए खेतो में बीज डाल दिए है। जून माह का आखरी समाप्त होने से किसानों को तेज बारिश की
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4 इंच पर करें बोवनी
लाभकारी मानसून 20 जून के बाद ही सक्रिय होता है, किंतु इस बार मानसून में देरी देखी जा रही है। प्री-मानसून की एक्टिविटी अच्छी रही हैं, अब मानसून का इंतजार है। जून के अंतिम व जुलाई के प्रथम सप्ताह में बोवनी करना उनके लिए हितकारी होगा। ऐसे में 4 इंच बारिश होने पर ही बोवनी किसानों को करना चाहिए। किसानों ने सोयाबीन डेमो करके भी देख की कितने प्रतिशत अंकुरण हुआ है बीज। किसानों ने की खाद की खरीदी सोसाइटी व अन्य माध्यम से मानसून के पहले ही पर्याप्त व्यवस्था कर ली है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी-भी किसानों को परेशानी आ रही है।
नवाचार कर रहे प्रयोग
जिले में परंपरागत खेती का ही चलन है। जिसमें सोयाबीन, कपास, मक्का, मुंग-उड़द जैसी फसलों की खेती की जाती है। यह परंपराएं अभी भी बरकरार है, लेकिन खेती-किसानी में तौर-तरीके के बदलाव को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार और खेती में नवाचार जैसे कार्यक्रमों का असर अब जिले के किसानों में दिखाई देने लगा है। कृषक परंपरागत खेती के साथ नवाचार के प्रयोगों में लगे हुए हैं।
जिले में कही क्षेत्र किसान कई इलाकों में किसान एक ही खेत में तीन अलग-अलग फसलों की एक साथ कतारबद्ध बुआई कर रहे हैं। बड़े कृषकों के खेतों में ट्रैक्टर दिखाई दे रहे हैं तो सुदूर अंचलों में छोटे आदिवासी किसानों के खेतों में बैलों के माध्यम से बुआई हो रही है। कृषि उपज एवं उद्यानिकी उपज एक साथ खेतों में बोई जा रही है।
उप संचालक कृषि विभाग ज्ञानसिंह मोहनिया के अनुसार 25 जून के लगभग मानसून बारिश के आसार है किसानों 4 इंची बारिश हो जब ही किसान बोनी करें। किसान बोनी में जल्दबाजी ना करें। अच्छे बीज का उपयोग करें व कृषि विभाग की सलाह ले वही बीज को पूर्व उसे उगाकर देख ले व किसान बीज उपचार कर ही बोवनी करे।
5 लाख 14 हजार बोवनी का लक्ष्य
फसल- रकबा
सोयाबीन- 2 लाख 78 हजार हेक्टेयर
कपास- 1 लाख 10 हजार हेक्टेयर
मक्का- 70 हजार हेक्टेयर
मूंग- अरहर 12 हजार हेक्टेयर
मूंगफली- 4 हजार 500 हेक्टेयर
उड़द- 5 हजार 600 हैक्टेयर
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