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दिन में 300 बार सिंगल शॉट खेलना, 100 मीटर पावर-हिटिंग, जानें Yashasvi Jaiswal का शतकवीर तक का सफर | wi vs ind yashasvi jaiswal playing single shot 300 times a day yashasvi jaiswal journey

Cricket

oi-Sohit Kumar

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West
Indies
vs
India,
1st
Test:

भारत
और
वेस्टइंडीज
के
बीच
12
जुलाई
से
दो
मैचों
की
टेस्ट
सीरीज
का
आगाज
हो
चुका
है,
जिसका
पहला
टेस्ट
मैच
डोमिनिका
के
विसंडर
पार्क
में
खेला
जा
रहा
है।
टीम
इंडिया
के
युवा
बल्लेबाज
यशस्वी
जायसवाल
ने
अपने
पहले
डेब्यू
टेस्ट
में
शतक
जड़कर
एक
बड़ी
उपलब्धि
अपने
नाम
कर
ली
है,
इस
आंकड़े
तक
पहुंचने
के
लिए
जायसवाल
ने
जमकर
पसीना
बहाया
है।


यशस्वी
जायसवाल
ने
कैसे
तय
किया
शतकवीर
बनने
तक
का
सफर

दरअसल,
यशस्वी
जायसवाल
ने
खुद
को
शतकवीर
बनाने
के
लिए
खुद
पर
जमकर
मेहनत
की।
जायसवाल
ने
तालेगांव
में
दिन
में
300
बार
एक
ही
शॉट
खेलना,
पावर
गेम
को
बेहतर
बनाने
के
लिए
बेसबॉल
कोच
के
साथ
काम
करना
और
लगातार
घंटों
की
रेंज-हिटिंग
के
बाद
अपनी
हथेलियों
पर
दर्दनाक
छालों
के
साथ
मैच
खेलना।
इन
सभी
मुश्किलों
से
गुजरने
बाद
ही
क्रिकेटर
यशस्वी
जायसवाल
का
निर्माण
हुआ
है।

yashasvi jaiswal


जायसवाल
को
किसने
बनाया
खरा
सोना
जायसवाल
को
‘खरा
सोना’
बनाने
के
पीछे
मुंबई
टीम
में
सचिन
तेंदुलकर
के
साथी
रहे
जुबिन
भरूचा
का
बड़ा
योगदान
है।
भरूचा
आईपीएल
में
राजस्थान
रॉयल्स
के
हाई
परफार्मेंश
डायरेक्टर
हैं,
जिस
टीम
का
जायसवाल
भी
हिस्सा
हैं।भरूचा
को
यह
समझने
में
देर
नहीं
लगी
कि
उनके
सामने
विशेष
प्रतिभा
है।
भरुचा
का
ध्यान
खींचने
के
लिए
जयसवाल
द्वारा
खेला
गया
सिर्फ
एक
शॉट
ही
काफी
था।


एक
ही
शॉट
से
जायसवाल
ने
कर
दिया
था
कमाल

भरूचा
ने
पीटीआई
के
साथ
बातचीत
के
दौरान
बताया
कि,
‘वह
अंडर-19
भारत
से
आया
था
लेकिन
आईपीएल
बहुत
अलग
स्तर
का
है।
वह
ट्रायल
के
लिए
आया
था
और
मुझे
याद
नहीं
है
कि
गेंदबाज
कौन
था
लेकिन
पहली
ही
गेंद
पर
उसने
कमाल
का
शॉट
खेला
था।

भरूचा
ने
कहा
कि
‘मैं
पहली
बार
में
ही
क्रिकेटर
पर
बहुत
विश्वास
रखता
हूं।
मैं
उसे
और
अधिक
नहीं
देखना
चाहता
था
क्योंकि
मैंने
उसके
अंदर
वह
अकल्पनीय
आत्मविश्वास
का
स्तर
देखा
था
जो
आप
एक
बल्लेबाज
में
देखना
चाहते
हैं।’
इसके
बाद
भरूचा
ने
जायसवाल
को
18
साल
की
प्रतिभाशाली
खिलाड़ी
से
अंतरराष्ट्रीय
स्तर
के
खिलाड़ी
में
बदलने
में
महत्वपूर्ण
भूमिका
निभाई।

उन्होंने
कहा
कि,
‘वह
निश्चित
रूप
से
जानता
है
कि
वह
कहां
से
आया
है।
वह
बहुत
स्पष्ट
है
कि
वह
शून्य
से
ऊपर
आया
है
और
वह
इस
बात
से
अवगत
है
कि
वह
अब
क्या
कर
रहा
है
और
उसे
लगता
है
कि
वह
कहां
जा
रहा
है।’
दरअसल,
जायसवाल
को
मैच
अभ्यास
के
लिए
तालेगांव
ले
जाया
गया
ताकि
उनका
ध्यान
पूरी
तरह
से
खेल
पर
रहे।


नागपुर
से
90
मिनट
की
दूरी
पर
है
तालेगांव

भरूचा
ने
रॉयल्स
अकादमी
में
अपनाए
जाने
वाले
प्रशिक्षण
का
खुलासा
करते
हुए
बताया
कि,
‘तालेगांव
नागपुर
से
90
मिनट
की
दूरी
पर
है।
विचार
उसे
अलग-थलग
करने
का
था,
इसलिए
जब
वह
वहां
जाता
है,
तो
उसके
दिमाग
में
अभ्यास
के
अलावा
कुछ
नहीं
होता
है।
यहां
तक
कि
कोविड
के
दौरान
भी,
वह
वहां
रह
रहा
था
और
अभ्यास
कर
रहा
था
और
उसकी
गतिविधियों
में
कोई
रुकावट
नहीं
थी।’

उन्होंने
बताया
कि,
‘हमारे
पास
एक
बहुत
स्पष्ट
फॉर्मूला
था।
चाहे
वह
300
कट
शॉट
हों
या
300
रिवर्स
स्वीप
या
300
स्वीप,
हम
तब
तक
नहीं
रुकेंगे
जब
तक
हम
उस
विशेष
शॉट
के
साथ
एक
निश्चित
स्तर
की
स्थिरता
हासिल
नहीं
कर
लेते।
जायसवाल
ने
भी
ऐसा
ही
किया।
चाहे
आप
टेस्ट
मैच
खेलें
या
टी20,
गेंद
एक
ही
जगह
गिरेगी
लेकिन
आप
इसे
कैसे
लेते
हैं
और
आप
इस
पर
कैसे
काम
करते
हैं
यह
हमारा
उद्देश्य
था।’

ये भी पढ़ें- जानें किसके नाम है सबसे कम उम्र में Test Debut में शतक लगाने का रिकॉर्ड, चौथे नंबर पर हैं Yashasvi Jaiswalये
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पढ़ें-
जानें
किसके
नाम
है
सबसे
कम
उम्र
में
Test
Debut
में
शतक
लगाने
का
रिकॉर्ड,
चौथे
नंबर
पर
हैं
Yashasvi
Jaiswal


हथेली
पर
पड़
गए
थे
छाले

भरूचा
ने
कहा,
‘हमने
उनसे
हर
दिन
200
लॉब
करने
के
लिए
कहा।
लॉब्स
का
मतलब
है
कि
प्रत्येक
गेंद
को
100
मीटर
तक
मारने
के
लिए
अलग-अलग
वजन
और
आकार
के
बल्ले
और
गेंदों
का
उपयोग
करना।
यह
आसान
नहीं
है।
आप
उनकी
हथेली
पर
छाले
तक

गए
थे।
उन्होंने
जो
हासिल
करने
के
लिए
दर्द
सहा
है
उसके
पास
है।’

English summary

wi vs ind yashasvi jaiswal playing single shot 300 times a day yashasvi jaiswal journey


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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