मध्यप्रदेश

Comedian Amit Tandon said in Indore- Nostalgia is a big product | इंदौर; कॉमेडियन अमित टंडन बोले…यहां हर दूसरा आदमी मीडिल क्लास: ‘अरे भाई मैं कॉमेडियन हूं, मुझे सिंगर अमित टंडन समझकर गाने का भी कहते हैं लोग…’ – Indore News

स्टैंड अप कॉमेडी से देश भर में नाम कमा चुके फेमस कॉमेडियन अमित टंडन बुधवार को इंदौर की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में आए थे। यहां उन्होंने कॉलेज स्टूडेंट के साथ उनकी कॉलेज लाइफ से जुड़े किस्सों पर कॉमेडी का जोरदार तड़का लगाते हुए स्टैंडिंग ओवेशन के साथ शो

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​चंडीगढ़ के रहने वाले अमित टंडन ने ​​​​​​इंजीनियरिंग के बाद MBA करके HR कंसल्टेंसी से जुड़ी अपनी एक कंपनी शुरू की थी। 30 साल की उम्र से शौक के लिए स्टैंड-अप कॉमेडी शुरू की। कुछ ही दिनों में ख्याति मिली तो कॉमेडी को फुल टाइम प्रोफेशन बना लिया। अमित अपने यूट्यूब चैनल में नए चैट शो के साथ अक्टूबर में दर्शकों के लिए नया कंटेंट लेकर आने वाले हैं।

दैनिक भास्कर से बातचीत में अमित टंडन ने अपने करियर और लाइफ के अलावा उनके ऑडियंस से जुड़ी बातों में खुलकर बातचीत की

स्टैंडअप कॉमेडियन अमित टंडन।

Q. आप 40’s के एज ग्रुप में पहुंच गए हैं। मोस्टली ऑडियंस यूथ बेस होती है, ऐसे में स्टेज और ऑडियंस के बीच कनेक्शन कैसे बनता है?

A. बिल्कुल अब तो मैं 50 के अराउंड पहुंच गया हूं, लेकिन शुरुआती दिनों से ही मेरी ऑडियंस 40-50 प्लस है। कई बार 80 साल तक के लोगों को अपने शो पर देख कर खुद ताज्जुब होता है। फिलहाल कुछ सालों में मेरी ऑडियंस का बेस चेंज हो रहा है।

दूसरा मैं कॉन्शियस होकर काम नहीं करता हूं। मैं ऑडियंस को खुद की कहानी सुनाता हूं, जिसमें खुद के बच्चों की भी बात करता हूं। 40-50 की उम्र वाले कनेक्ट करते हैं, क्योंकि वो मुझे खुद को देखते हैं। वहीं टीन एजर और यंग ऑडियंस उसमें अपने पिता को देख रहे होते हैं। कई बार मैं कहता हूं कि 5 सालों से मैंने अपने बच्चों के कान नहीं देखे तो इस लाइन पर दोनों तरह की ऑडियंस मुझसे कनेक्ट कर जाती है।

Q. आपने दो तरह की लाइफ स्टाइल में काम किया है। ज्यादा बेहतर कौन सी है?

A. ये लाइफ स्टाइल डिमांडिंग ज्यादा है। कई बार वीक-एंड के अलावा मीड ऑफ द वीक शो आ गया तो भी काम और ट्रैवलिंग में समय निकल जाता है। ओवर ऑल मेरे लिए ये लाइफ ज्यादा सुकून भरी है।

Q. आपके बायो में द मैरिड गाइज टैग लगा?

A. जब मैंने शुरुआत की तो अपनी मैरिज लाइफ के जोक ही लोगों को सुनाता था। लेकिन उस वक्त मेरे साथ वाले ही काफी यंग लोग थे। सिर्फ शादी के बारे में मैं ही बात करता था। तब मेरी वहीं से पहचान बन गई कि द मैरिड गाइज ओवर द कॉमेडी सीन।

Q. आपने मैकनिकल इंजीनियरिंग के बाद कॉमेडी में करियर कैसे देखा?

A. मैंने मैकनिकल इंजीनियरिंग वाला फील्ड बहुत जल्दी छोड़ दिया। करीब एक साल फैशन डिजाइनिंग में काम किया। और फिर एमबीए कर लिया। 4-5 साल जॉब करने के बाद खुद का बिजनेस शुरू करने का मन हुआ। लेकिन जीरो मनी पर एक ही काम शुरू हो सकता था।

तब मैंने पार्टनरशिप में रिक्र्यूटमेंट, एचआर कंसल्टेंट का काम शुरू कर दिया। लिखने और कुछ सुनाने का शौक भी साथ में चलता रहा। अपने पैशन को फॉलो करने के लिए दिन में बिजनेस और रात में कॉमेडी के शो करने शुरू कर दिए। कुछ दिनों बाद लोगों को मेरा काम पसंद आने लगा। जब कॉर्पोरेट शो मिलना स्टार्ट हुए फिर बिजनेस को छोड़ कर पूरी तरह अपने पैशन में आ गया।

Q. आप अपने अधिकांश शो पर मिडिल क्लास फैमिली का जिक्र करते हैं ऐसा क्यों?

A. मिडिल क्लास फैमिली का एक ब्रॉड नंबर है। हर दूसरा शख्स अपने आप को मिडिल क्लास में काउंट करता है। पिछले कुछ सालों में मिडिल क्लास में काफी चेंज भी आया है। मैंने खुद वो जिंदगी जी है और वो दिन देखे हैं, जब एक बेड रूम का घर और किचन में फ्रीज नहीं हुआ करता था।

तब मैं अपनी तरफ से अपनी ही कहानी सुनाता हूं और लोग भी कनेक्ट करते हैं। इसमें नॉस्टैल्जिया एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसका मार्केट बहुत बड़ा है। लोग पुरानी बातों को सुन कर ही खुश हो जाते हैं, कई बार जोक मारने की भी जरूरत नहीं होती।

Q. कई बार लोगों को दो अमित टंडन के नाम का कन्फ्यूजन हो जाता है, आपके साथ कितनी बार ऐसा हुआ?

A. बिल्कुल अमित टंडन नाम से एक बहुत अच्छे सिंगर और एक्टर हैं। हम दोनों के बीच लोगों को ऐसा कन्फ्यूजन है कि कई बार लोग विकीपीडिया पर मेरे बारे में जानने जाते हैं और उनका पढ़ के आ जाते हैं। किसी-किसी को लगता है कि मैं न्यूयॉर्क में पैदा हुआ हूं, जबकि मेरा जन्म तो पटियाला में हुआ है। फिर ज्यादा प्रॉब्लम तब हो गई जब हमने एक अपार्टमैंट छोड़ा तो वो उसी में रहने आ गए। फिर मेरे पास कई बार सिंगिंग की क्यूरी भी आई।

Q. क्या अब कॉमेडी में वल्गर कंटेंट के बिना शो हिट होना मुश्किल होता है?

A. लोगों की अपनी-अपनी पसंद होती है। पहले घर में एक टीवी हुआ करता था जो सब एक साथ बैठ कर देखते थे। आज सबके पास अपना-अपना स्क्रीन है। लोग हर तरह का कंटेंट देखना चाहते हैं। हर कॉमेडी के लिए अलग तरह की ऑडियंस है। उसी के हिसाब से शो भी प्लान किया जाता है इसमें कोई गलत नहीं हैं।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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