कभी इंफोसिस में गेस्ट को पकड़ाता था चाय-पानी, अब ऑडी में घूमता है यह छोरा, फिल्मी लगती है दादासाहेब की कहानी

हाइलाइट्स
दादासाहेब भगत का जन्म 1994 में महाराष्ट्र के बीड में हुआ था.
उनका परिवार साल में 6 महीने गन्ने के खेत में मजदूरी करता था.
उन्होंने जैसे-तैसे गांव में दसवीं तक की पढ़ाई की.
नई दिल्ली. अगर किसी व्यक्ति में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो उसे अपनी मंजिल पाने से कोई नहीं रोक सकता. इस बात का साबित किया है महाराष्ट्र के बीड़ जिले क रहने वाले दादा साहेब भगत (Dadasaheb Bhagat) ने. भगत कभी आईटी कंपनी इंफोसिस के गेस्ट हाउस में चपरासी का काम करते थे. वे मेहमानों को चाय-पानी पकड़ाते थे. पुणे से आईटीआई का कोर्स करने के बाद वे 9,000 हजार रुपये महीना की यह नौकरी कर रहे थे. लेकिन, उन्होंने कुछ बड़ा करने के अपने ख्बाब को पूरा करने के विचार नहीं त्यागा था. दिन में चपरासी की नौकरी के बाद वे रात में एक सेंटर में एनिमेशन सीखने जाते थे. आज दादा साहेब भगत दो कंपनियों, Ninthmotion और DooGraphics के मालिक हैं.
दादासाहेब भगत का जन्म 1994 में महाराष्ट्र के बीड में हुआ था. उनका परिवार साल में 6 महीने गन्ने के खेत में मजदूरी करता था. बचपन में उन्हें भी खेतों में मजदूरी करनी पड़ी. उन्होंने जैसे-तैसे गांव में दसवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद पुणे आईटीआई की पढ़ाई पूरी करने आ गए. आईटीआई करने के बाद उन्होंने इंफोसिस गेस्ट हाउस में ऑफिस ब्वॉय की नौकरी की.
बड़ा करने की चाहत फिर ले गई पढ़ाई की ओर
दादासाहेब भगत को 9,000 रुपये हर महीने मिलते थे. वह जानते थे कि यह नौकरी उनके लिए नहीं है. इंफोसिस में काम के दौरान उन्हें सॉफ्टवेयर का महत्व का पता चला. उन्होंने तय किया कि वो भी इसे सीखेंगे. फिर क्या था ,दादासाहेब भगत दिन में नौकरी करते और रात में ग्राफिक्स डिजाइनिंग और एनीमेशन की पढ़ाई एक सेंटर में करते. कोर्स को पूरा करने के बाद उन्हें मुंबई में एक नौकरी मिल गई. इसके बाद हैदराबाद में नौकरी मिली. वहां नौकरी के साथ-साथ C++ और Python का कोर्स किया.
एक्सीडेंट हुआ पर नहीं रुके कदम
डिज़ाइन और ग्राफ़िक्स कंपनी के साथ काम करते हुए उन्होंने देखा कि दोबारा से इस्तेमाल होने वाले डिजाइन और टेम्पलेट्स की लाइब्रेरी पर काम करना बहुत अच्छा विकल्प है. उन्होंने डिज़ाइन टेम्पलेट्स को ऑनलाइन बेचना शुरू किया. कुछ समय बाद उनका एक्सिडेंट हो गया. उन्हें कई महीनों तक बिस्तर पर रहना पड़ा. लेकिन, भगत ने हिम्मत नहीं हारी और बेड पर बैठे-बैठे ही डिजाइन और टेम्पलेट्स बनाने चालू रखे. इन्हें बेचकर उन्हें नौकरी से ज्यादा कमाई हो रही थी. साल 2015 में उन्होंने Ninthmotion नामक स्टार्टअप शुरू कर दिया. देखते ही देखते उनके साथ 6,000 कस्टमर जुड़ गए.
लॉकडाउन में बनाया कैनवा का देसी वर्जन
दादासाहेब ऑनलाइन ग्राफिक्स डिजाइनिंग पर लगातार काम करना जारी रखा. लॉकडाउन के दौरान उन्हें गांव जाना पड़ा. गांव में गौशाला में उन्होंने अपना अस्थायी ऑफिस बनाया. साल 2020 में उन्होंने आसान डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर बना दिया जो कैनवा के जैसा ही है. इसके साथ ही उन्होंने अपनी दूसरी कंपनी DooGraphics Pvt. Ltd की शुरुआत की. कभी 9,000 रुपये की नौकरी करने वाले दादासाहेब आज लाखों की कमाई कर रहे हैं. 26 सितंबर 2020 को पीएम मोदी ने भी अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में दादासाहेब के काम और उनके लगन की तारीफ की.
.
Tags: Business news in hindi, Inspiring story, Success Story, Successful business leaders
FIRST PUBLISHED : December 21, 2023, 19:55 IST
Source link