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बार-बार आदेश देने के बावजूद… सुप्रीम कोर्ट ने किस बात पर जताई चिंता, जानें जमानत के मामलों पर क्या कहा

नई दिल्ली.  उच्चतम न्यायालय ने सभी उच्च न्यायालयों से जमानत और अग्रिम जमानत अर्जियों को शीघ्रता से सूचीबद्ध करने और उनका निपटारा सुनिश्चित करने को कहा है, क्योंकि यह व्यक्तियों की स्वतंत्रता से संबंधित है. धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सी टी रवि कुमार और संजय कुमार की पीठ ने एक हालिया आदेश में कहा, “इस अदालत ने व्यवस्था दी है और दोहराया है कि अग्रिम जमानत अर्जियों, जमानत अर्जियों पर निर्णय स्वतंत्रता से संबंधित हैं. इसलिए, शीघ्रता से सुनवाई कर इसका निपटारा किया जाए.”

पीठ ने कहा कि 2022 में शीर्ष अदालत ने यही दृष्टिकोण दोहराया था और जमानत अर्जियों को स्वीकार करने और उसके बाद उन पर अनावश्यक रूप से फैसले टालने की प्रवृत्ति की आलोचना की थी. पीठ ने 11 दिसंबर के अपने आदेश में कहा, “विभिन्न अदालतों में उक्त स्थिति की पुनरावृत्ति के मद्देनजर, रजिस्ट्री इस आदेश की एक प्रति रजिस्ट्रार जनरल और सभी उच्च न्यायालयों के सभी संबंधित पक्षों को भेजेगी ताकि जल्द से जल्द जमानत अर्जियों, अग्रिम जमानत अर्जियों को सूचीबद्ध किया जा सके.”

धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले से इस मुद्दे पर इस न्यायालय की बार-बार की घोषणाओं के बावजूद ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति का पता चलता है. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा.

पीठ ने कहा कि छह दिसंबर, 2023 को इस मामले को उच्च न्यायालय की एक पीठ ने विचार के लिए सूचीबद्ध किया था और याचिकाकर्ता को सुनने के बाद इसे स्वीकार कर लिया गया था और केस डायरी मांगी गई थी. पीठ ने कहा, “आदेश से पता चलता है कि मामले को विशेष रूप से किसी भी तारीख पर सूचीबद्ध नहीं किया गया. आदेश दिया गया था कि मामले को उसके कालक्रम में सूचीबद्ध किया जाए. ऐसे में मामले को आगे विचार के लिए अदालत के समक्ष कब रखा जाएगा, यह एक अनुमान के अलावा और कुछ नहीं है.”

पीठ ने कहा, “हमें यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि इस तरह का आदेश अग्रिम जमानत, नियमित जमानत से संबंधित मामले में निश्चितता के बिना, वह भी मामले को स्वीकार करने के बाद, निश्चित रूप से अर्जी पर विचार करने में देरी करेगा और किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए ऐसी स्थिति हानिकारक होगी.”

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह ऐसे पहलुओं को ध्यान में रख रही है जिस पर इस न्यायालय ने कहा था कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों पर जल्द से जल्द सुनवाई और निर्णय लिया जाएगा. पीठ ने कहा, “यह चिंता की बात है कि बार-बार आदेश देने के बावजूद वही स्थिति बनी हुई है.” शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ से लंबित अग्रिम जमानत अर्जियों को कानून के अनुसार, शीघ्रता से और मुख्यत: उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्राप्ति से चार सप्ताह की अवधि के भीतर निपटारा करने को कहा.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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