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नौकरी छोड़ी, फिर शुरू किया ये बिजनेस, अब कमा रहे हैं लाखों रुपए महीना! जानिए तरीका

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कुल्लू के रुधिर सिंह डोड ने मर्चेंट नेवी छोड़कर 2012 में रेनबो ट्राउट फिश फार्म शुरू किया. साल 2019 में हेचरी बनाई और अब सालाना 20 लाख से ज्यादा कमाते हैं. बाढ़ से 25 लाख का नुकसान हुआ, लेकिन दोबारा खड़ा हुए. स…और पढ़ें

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 गोशैनी में बना फिश फॉर्म

हाइलाइट्स

  • कुल्लू के रुधिर सिंह डोड ने नौकरी छोड़कर मछली पालन का बिजनेस शुरू किया.
  • साल 2019 में हेचरी बनाई और अब सालाना 20 लाख रुपए से ज्यादा कमाते हैं.
  • सरकार से मछली फीड पर सब्सिडी की मांग कर रहे हैं.

कुल्लू: कुल्लू की खूबसूरत तीर्थन घाटी के गुशैनी गांव के रुधिर सिंह डोड आज मछली पालन से अच्छी कमाई कर रहे हैं. उन्होंने साल 2012 में रेनबो ट्राउट फिश फार्म की शुरुआत की और 2019 में हिमाचल की पहली हेचरी भी बनाई. आज 20 लाख रुपए से ज्यादा उनकी सालाना कमाई है.

नौकरी छोड़कर शुरू किया बिजनेस
रुधिर सिंह पहले मर्चेंट नेवी में नौकरी करते थे. इसी दौरान नॉर्वे जाने का मौका मिला. वहां पर उन्होंने एक होटल में ट्राउट मछली का स्वाद चखा और सोचा कि जब यहां हो सकता है, तो मेरे गांव में क्यों नहीं? इसी सोच के साथ उन्होंने मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़ी और घर लौट आए.

शुरुआत में मत्स्य पालन विभाग ने उन्हें 20% सब्सिडी दी, जिससे उन्होंने फिश फार्म के लिए टैंक तैयार किए. धीरे- धीरे उनका काम बढ़ने लगा और मछलियों की अच्छी पैदावार होने लगी.

2019 में फॉर्म का किया विस्तार
साल 2019 में मत्स्य विभाग से 80% सब्सिडी मिलने पर उन्होंने फार्म का विस्तार किया. अब वे हिमाचल ही नहीं, बल्कि दिल्ली तक भी रेनबो ट्राउट भेजने लगे. इससे उनका बिजनेस और तेजी से बढ़ा. हालांकि, 2023 में तीर्थन नदी में आई बाढ़ से उन्हें 25 लाख रुपए का भारी नुकसान हुआ. तेज बहाव के कारण पानी दूसरी ओर चला गया, जिससे टैंक में पाली गई मछलियां खराब हो गईं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और रुधिर ने दोबारा मेहनत कर पानी को अपने फार्म तक पहुंचाया.

अब न सिर्फ वे मछलियां पाल रहे हैं, बल्कि छोटी मछलियों (बेबी फिश) की सप्लाई भी कर रहे हैं. यह बेबी फिश वे सरकार से मिलने वाली सब्सिडी दर पर नए मछली पालकों को दे रहे हैं, जिससे अन्य लोग भी इस व्यवसाय में आगे बढ़ सकें.

सरकार मछली की फीड पर दे रही है सब्सिडी
रुधिर सिंह का कहना है कि मछली पालन एक महंगा बिजनेस है. मछली की फीड काफी महंगी होती है. यह फीड एक निजी कंपनी से आती है, जिसकी कीमत 150 रुपए प्रति किलो है. उनका कहना है कि अगर सरकार मछली पालन को बढ़ावा देना चाहती है तो फीड पर सब्सिडी दे. जिससे नए लोग भी इस क्षेत्र में आसानी से कदम रख सकें. इससे हिमाचल में मछली पालन को नई ऊंचाइयां मिलेंगी और युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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