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नेहरू की नजर में औरंगजेब और दारा शिकोह: एक तुलना.

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Nehru On Aurangzeb: भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इतिहासकार भी थे. उन्होंने डिस्कवरी ऑफ इंडिया के जरिए भारत के इतिहास के बारे में भी लिखा. नेहरू ने औरंगजेब को खराब शासक बताया.

हाइलाइट्स

  • नेहरू ने औरंगजेब को संकीर्ण धार्मिक कट्टर बताया.
  • दारा शिकोह की धार्मिक सहिष्णुता की नेहरू ने तारीफ की.
  • दारा शिकोह ने उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया.

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जाने-माने लेखक भी थे. जिन्हें अपनी किताबों पर मोटी रायल्टी मिलती थी. उन्होंने अपनी किताब में औरंगजेब को खराब और कट्टर शासक बताया था तो उसके बड़े भाई दारा शिकोह की जमकर तारीफ की है. जहां उनकी नजर में औरंगजेब एक कट्टर, संकीर्ण सोच वाला और कठोर शासक था तो दारा शिकोह को उन्होंने भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने वाला बताया था.

मंदिर तोड़ने के लिए की औरंगजेब की आलोचना
नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया में लिखा कि “औरंगजेब की कठोर धार्मिक नीतियों और असहिष्णुता ने मुग़ल साम्राज्य की स्थिरता को कमजोर कर दिया.”
उन्होंने कहा कि जहां अकबर और दारा शिकोह धार्मिक समन्वय और सहिष्णुता के पक्षधर थे, वहीं औरंगजेब ने हिंदुओं और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों पर जज़िया कर लगाया, जिससे असंतोष बढ़ा. उन्होंने औरंगजेब की मंदिरों को तुड़वाने और धार्मिक कट्टरता की नीतियों की आलोचना की.

नेहरू ने लिखा कि “औरंगजेब के कठोर शासन और अत्यधिक सैन्य अभियानों ने मुग़ल साम्राज्य को आर्थिक और प्रशासनिक रूप से कमजोर कर दिया.” उन्होंने यह भी कहा कि “दक्षिण में लंबे समय तक युद्धों में उलझे रहने से औरंगजेब ने साम्राज्य के संसाधनों को खत्म कर दिया, जिससे मुग़ल सत्ता के पतन की शुरुआत हुई.” मराठों, राजपूतों, जाटों और सिखों के खिलाफ लगातार युद्धों ने उसके साम्राज्य को और कमजोर किया.

नेहरू ने अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में औरंगजेब को संकीर्ण धार्मिक दिमाग वाला बताया. साथ ही ये लिखा कि सभी मुगलों में वह सबसे् खराब शासक था. (wiki commons)

औरंगजेब संकीर्ण धार्मिक कट्टर था
नेहरू के अनुसार, “औरंगजेब एक प्रतिभाशाली प्रशासक और सैन्य रणनीतिकार था, लेकिन वह अपने पूर्वजों की तरह व्यापक दृष्टिकोण नहीं रखता था.”
उन्होंने लिखा कि “जहां अकबर, जहांगीर और शाहजहां ने एक बहुलतावादी समाज की नींव रखी, वहीं औरंगजेब ने इसे संकीर्ण धार्मिक कट्टरता में बदल दिया.”उनका मानना था कि “अगर औरंगजेब ने अकबर की तरह सहिष्णुता अपनाई होती, तो मुग़ल साम्राज्य लंबे समय तक मजबूत रह सकता था.”

कैसे की दारा शिकोह और औरंगजेब की तुलना की
नेहरू ने दारा शिकोह को भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक बताया और कहा कि अगर वह मुग़ल सम्राट बनते, तो भारत अधिक सांस्कृतिक रूप से समावेशी और सहिष्णु राष्ट्र बन सकता था. उन्होंने लिखा कि “भारत को दारा शिकोह की जरूरत थी, लेकिन उसे औरंगजेब मिला, जिससे धार्मिक कट्टरता बढ़ी और साम्राज्य की शक्ति कमजोर हुई.”नेहरू ने औरंगजेब को अदूरदर्शी शासक बताया, जिसकी कट्टर नीतियों ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया.

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नेहरू ने दारा शिकोह को भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक बताया और कहा कि अगर वह मुग़ल सम्राट बनते, तो भारत अधिक सांस्कृतिक रूप से समावेशी और सहिष्णु राष्ट्र बन सकता था. (फाइल फोटो)

दारा की तारीफ की
नेहरू ने लिखा कि “दारा शिकोह भारतीय संस्कृति और धार्मिक समन्वय के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता था.” वह हिंदू धर्म और इस्लाम के बीच एक सेतु बनाना चाहता था. धर्मों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करते थे. “यदि दारा शिकोह मुग़ल सम्राट बनते, तो अकबर की धर्मनिरपेक्ष नीतियां जारी रहतीं और भारत का इतिहास अधिक सहिष्णु एवं समावेशी होता.” दारा शिकोह ने भी सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखने की वकालत की.

दारा ने उपनिषदों का अनुवाद कराया
नेहरू ने दारा के बारे में लिखा, “दारा शिकोह ने संस्कृत सीखी और उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया.” “भारत को दारा शिकोह की विचारधारा की आवश्यकता थी, लेकिन इतिहास ने औरंगजेब को चुन लिया, जिससे भारत में धार्मिक कट्टरता बढ़ गई.”

क्यों हिंदू दारा को पसंद करते थे
वैसे दारा शिकोह के जिंदा रहने तक हिंदू उसे बहुत पसंद करते थे. उसकी हत्या औरंगजेब ने ही कराई. आज भी दारा के दृष्टिकोण और उदारता की तारीफ की जाती है. कोई भी इतिहासकार ऐसा नहीं है,जिसने दारा की तारीफ नहीं की हो.

चाहे भारतीय इतिहासकार हों या फिर विदेशी, सभी ने दारा शिकोह की तारीफ की, उन्हें धर्म को लेकर उदारवादी और बेहतर सोच वाला बताया. (wiki commons)

वी.एस. स्मिथ (Vincent Smith) ने अपनी किताब “अकबर: द ग्रेट मुगल” में लिखा कि दारा शिकोह अकबर की नीतियों को आगे बढ़ा सकते थे. वह औरंगजेब की तुलना में ज्यादा सक्षम और उदार शासक साबित होते. उन्होंने ये भी लिखा कि दारा शिकोह का हिंदू धर्म के प्रति सम्मान “मुश्किल समय में भी सहिष्णुता और समझदारी बनाए रखने की उनकी क्षमता को दिखाता है.”

आर.सी. मजूमदार (R.C. Majumdar) ने अपनी किताब “हिस्ट्री ऑफ द मुग़ल्स” में दारा शिकोह को “भारत की समग्र संस्कृति का सच्चा वाहक” कहा. वह मानते थे कि दारा शिकोह भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते थे, यदि वे मुग़ल सम्राट बनते.

दारा शिकोह की शादी का चित्र, जिसमें वह घोड़े पर आगे है और पीछे हैं शाहजहां और औरंगजेब. (wiki commons)

दारा आध्यात्मिक था
प्रसिद्ध इतिहासकार इरफ़ान हबीब ने दारा शिकोह को “एक विचारशील और आध्यात्मिक व्यक्ति” बताया, जो भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करना चाहते थे. दारा शिकोह की हार भारत में एक समावेशी समाज के विकास को धीमा कर गई.

वह विचारक और सुधारक था
रिचर्ड ईटन (Richard Eaton) ने अपनी किताब “India in the Persianate Age” में दारा शिकोह को “इस्लाम और हिंदू धर्म के बीच संवाद स्थापित करने वाला महत्वपूर्ण व्यक्तित्व” कहा. वह मानते थे कि उनका संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद भारतीय बौद्धिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान था. सुधीर कसलीवाल (Sudhir Kasliwal) ने अपनी किताब “The Fall of Dara Shikoh” में दारा शिकोह की उदारता और सूफी विचारधारा की सराहना की. उन्होंने लिखा, “दारा शिकोह केवल एक राजकुमार नहीं, बल्कि एक विचारक और सुधारक भी था.”

दारा को क्यों पसंद किया जाता था
दारा शिकोह को हिंदू समुदाय में अधिक पसंद किए जाने के कई कारण थे, जिनमें उनके धार्मिक दृष्टिकोण, उसकी नीतियां और हिंदू धर्मग्रंथों के प्रति उनकी रुचि प्रमुख हैं. दारा शिकोह धार्मिक रूप से सहिष्णु और उदार था. उसने इस्लाम और हिंदू धर्म के बीच एकता स्थापित करने की कोशिश की. वह सभी धर्मों को समान रूप से देखता था.

भारतीय धर्म शास्त्रों पर काम करने के लिए संस्कृत सीखी
दारा शिकोह ने संस्कृत सीखी और हिंदू धर्मग्रंथों, विशेष रूप से उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया. उसकी पुस्तक “सिर्र-ए-अकबर” (सबसे महान रहस्य) में उन्होंने उपनिषदों को इस्लामी रहस्यवाद (सूफीवाद) के करीब बताया.

हिंदू संतों और विद्वानों की सोहबत करता था
दारा शिकोह का संबंध कई हिंदू संतों और विद्वानों से था. वो काशी और अन्य धार्मिक स्थानों पर गया. वहां के पंडितों से चर्चा की. उसने हिंदू और इस्लामी दार्शनिक विचारों को जोड़ने की कोशिश की. यदि दारा शिकोह सत्ता में आता, तो निश्चित तौर पर धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देता जबकि औरंगजेब ने जज़िया कर (ग़ैर-मुस्लिमों पर कर) फिर से लागू किया. हिंदू मंदिरों को नष्ट किया. इस कारण हिंदुओं को दारा शिकोह अधिक प्रिय थे.

ब्राह्मणों और हिंदू समाज का समर्थन
दारा शिकोह को हिंदू ब्राह्मणों और पंडितों का व्यापक समर्थन प्राप्त था क्योंकि उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों को महत्व दिया और उनके विचारों को सम्मान दिया.

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नेहरू ने क्यों बताया औरंगजेब को खराब,उसके भाई की तारीफ,जिसे हिंदू करते थे पसंद


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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