Fishing changed fate of the youth annual income up to 9 lakhs

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सीतापुर विकास खंड के ग्राम पंचायत उडुमकेला के निवासी दिनेश सिंह ने मत्स्य पालन को अपनी आजीविका का साधन बनाकर सफलता की नई मिसाल पेश की है.
मत्स्य पालन
हाइलाइट्स
- दिनेश सिंह ने मत्स्य पालन से सालाना 9 लाख रुपये की आमदनी हासिल की.
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से 2.80 लाख रुपये सब्सिडी मिली.
- दिनेश सिंह ने 2-3 लोगों को स्थायी रोजगार भी दिया.
अम्बिकापुर:- शासन की योजनाओं ने शिक्षित बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं. इन योजनाओं का लाभ उठाकर युवा न केवल अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी है सीतापुर विकास खंड के ग्राम पंचायत उडुमकेला के निवासी दिनेश सिंह की, जिन्होंने मत्स्य पालन को अपनी आजीविका का साधन बनाकर सफलता की नई मिसाल पेश की है.
मत्स्य पालन बना रोजगार का जरिया
श्री दिनेश सिंह ने एमए (राजनीति विज्ञान) तक पढ़ाई की, लेकिन नौकरी के सीमित अवसरों को देखते हुए उन्होंने स्वरोजगार स्थापित करने का फैसला किया. इसी दौरान उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की जानकारी मिली, जिसमें मत्स्य पालन के हेतु शासन की ओर से 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है. उन्होंने साल 2022 में अपनी एक हेक्टेयर जमीन पर तालाब निर्माण के लिए आवेदन किया. शासन की सहायता से उन्हें तालाब निर्माण के लिए 4.5 लाख रुपये मिले, जिसमें से उन्हें 2.80 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में प्राप्त हुए.
सालाना 9 लाख रुपये की आमदनी
दिनेश सिंह ने तालाब में कुल 10000 नग फिंगरलिंग रोहू, कतला, मृगल, कॉमन कार्प, रुपचंदा का मत्स्य बीज संचयन किया. आज उनका व्यवसाय फल-फूल रहा है और प्रति वर्ष 5-6 टन मछली का उत्पादन करते हैं, जिसे थोक भाव में 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक्री करने पर उन्हें सालाना लगभग 8 से 9 लाख रुपये की आय होती है. खर्च निकालने के बाद भी उन्हें 4 से 4.5 लाख रुपये की शुद्ध बचत हो रही है.
इसके अलावा, उनके इस काम में 2-3 लोगों को स्थायी रोजगार भी मिला है, जिससे उनका परिवार चल रहा है. दिनेश सिंह की सफलता साबित करती है कि सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करके युवा स्वावलंबी बन सकते हैं. उनकी मेहनत और लगन ने न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि गांव के अन्य युवाओं को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया है. शासन की ऐसी योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और बेरोजगारी दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.
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