मध्यप्रदेश

Khandwa:आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दी गई सजा पर कोर्ट हैरान; कहा- ये मक्खी को हथौड़े से मारने जैसा, जानें मामला – In Khandwa, The Court Ordered To Withdraw The Dismissal Of Anganwadi Worker.


कोर्ट के फैसले के बाद मामले की जानकारी देतीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।
– फोटो : Amar Ujala Digital

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मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के एक मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी सामने आई है। जिले की एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नौकरी से निकाले जाने को लेकर कोर्ट ने कहा है कि ‘ये तो ऐसा है, जैसे एक मक्खी को मारने के लिए लोहे के हथौड़े का इस्तेमाल किया गया हो।’ अपनी इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने बर्खास्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सेवा फिर से बहाल कर उसके सारे लाभ भी उन्हें देने का आदेश कर दिया। 

दरअसल साल 2020 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता तिरोले को एक दिन अनुपस्थित रहने के चलते पहले तो शोकॉज नोटिस दिया गया। फिर 8 दिन के वेतन कटौती का आदेश दिया गया। इसके बाद उन्हें सेवा से ही बर्खास्त कर दिया गया था, जिसकी सुनवाई करते हुए अब हाईकोर्ट का आदेश आया है।

खंडवा जिले के चमाटी गांव के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक एक की कार्यकर्ता ममता तिरोले को साल 2020 में सेवा से बर्खास्तगी का आदेश दे दिया गया था। दरअसल एक दिन उनकी तबीयत खराब होने के चलते वे आंगनबाड़ी से अनुपस्थित थीं, और उसी दिन प्रोजेक्ट मैनेजर का आंगनबाड़ी में दौरा हो गया, जिसमें वो वहां नहीं मिलीं। उनपर कार्रवाई की गई। इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर प्रोजेक्ट ऑफिसर ने 27 जनवरी 2020 को पूर्व के आदेश को वापस लेते हुए ममता तिरोले को सेवा से ही बर्खास्त कर दिया। इस पर तिरोले ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लगभग तीन साल तक लगातार न्याय के लिए प्रयास करते रहने के बाद अब जबलपुर हाईकोर्ट ने उनके हक में फैसला दिया है।

सेवामुक्त करना पूरी तरह से अवैधानिक 

जबलपुर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुजय पॉल की एकलपीठ ने 60 दिन के भीतर याचिकाकर्ता को बहाल करने और सभी अनुषांगिक लाभ देने के निर्देश दिए। कोर्ट ने यह भी माना कि जब उक्त कृत्य के लिए पहले 8 दिन के वेतन कटौती का आदेश दे दिया गया था, तो बाद में कलेक्टर के निर्देश पर सेवामुक्त करना पूरी तरह से अवैधानिक है। इस मामले में सुनवाई के दौरान दलील दी गई थी कि एक ही आचरण पर जब एक बार सजा मुकर्रर कर दी गई, तो उसी के लिए सेवा से बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई अनुचित है। प्रोजेक्ट ऑफिसर ने अपने स्वविवेक का इस्तेमाल नहीं किया है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह कि टिप्पणी

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दंड पर हैरानी जताते हुए कहा कि मात्र एक दिन की अनुपस्थिति पर सेवा से बर्खास्तगी की सजा देने के रवैये से हम हतप्रभ हैं। एक दिन की अनुपस्थिति पर सेवा बर्खास्तगी की सजा मक्खी को हथौड़े से मारने जैसी है। इन्हें पुनः बहाल करें और सभी वित्तीय लाभ प्रदान करें।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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