Krishna Janmabhoomi Case: 1968 में हुआ समझौता अवैध…. क्या आपको पता है श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद का पूरा विवाद?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वह मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति की मांग वाली याचिका पर पहले सुनवाई करेगा और इसके बाद वाद की पोषणीयता के मुद्दे पर निर्णय करेगा. अदालत अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति के आवेदन पर 18 दिसंबर 2023 को सुनवाई करेगा. यह याचिका मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में इस हाईकोर्ट में लंबित मुकदमे में दायर की गई थी.
न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने इससे पूर्व 16 नवंबर को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था. हाईकोर्ट में यह याचिका, भगवान श्री कृष्ण विराजमान समेत 7 अन्य याचिकाकर्ताओं में वकील हरिशंकर जैन, वकील विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन समेत अन्य ने दायर की गई थी. इस याचिका में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मौजूद है. याचिका में कहा गया है कि ऐसे कई संकेत मौजूद है कि शाही ईदगाह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है. इस मामले में हाईकोर्ट में पेश वकील विष्णु शंकर जैन की याचिका में यह कहा गया है कि मस्जिद में एक कमल के आकार का स्तंभ है जोकि हिन्दुओं के मंदिर में होता है. इतना ही नहीं इसमें एक शेषनाग की छवि भी उसमें है जो हिंदू देवी-देवाताओं का प्रतीक है.
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याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने के विशेष निर्देश के साथ एक आयोग का गठन किया जाये. इस पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने का भी अनुरोध किया गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस वर्ष मई में मथुरा की अदालत में लंबित श्री कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े सभी मुकदमे अपने पास स्थानांतरित कर लिए थे.
इस मामले में क्या दिया है कोर्ट ने आदेश
हाईकोर्ट ने मथुरा के विवादित परिसर के कोर्ट कमिश्नर की अर्जी को मंजूरी दे दी है और हाईकोर्ट ने मथुरा के विवादित परिसर के सर्वे को लेकर दाखिल अर्जी को भी मंजूरी दे दी है. पहले कोर्ट कमिश्नर भेजने की अर्जी पर अब 18 दिसंबर को सुनवाई होगी. इसके बाद आदेश 7 नियम 11 की सिविल वाद की पोषणीयता की आपत्ति अर्जी पर सुनवाई होगी. इसके बाद कोर्ट यह तय करेगी कि कोर्ट कमिश्नर में कौन-कौन लोग शामिल होंगे. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने श्री कृष्ण विराजमान की ओर से ऑर्डर 26 रूल 9 में अर्जी दाखिल की गई अर्जी को मंजूरी दी थी. इस अर्जी में एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वे कराए जाने की मांग की गई थी.
अयोध्या जन्मभूमि की तरह हाईकोर्ट में ट्रायल
अयोध्या जन्मभूमि विवाद की तर्ज पर मथुरा विवाद का इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रायल हो रहा है. मथुरा जिला कोर्ट से ट्रांसफर हुई सभी 18 याचिकाओं पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रही है. जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र की सिंगल बेंच ने 26 मई 2023 को मथुरा जमीन विवाद से जुड़ी सभी याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई का फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने मथुरा जिला कोर्ट में चल रहे सभी केसों की पत्रावली भी तलब कर ली थी.
क्या है पूरा विवाद?
– हाईकोर्ट में लीडिंग सूट भगवान श्री कृष्ण विराजमान कटरा केशव देव के नाम से रंजन अग्निहोत्री की ओर से दाखिल की गई है.
– याचिकाओं में 12 अक्टूबर 1968 को हुए समझौते को अवैध बताया गया है. इसके साथ ही समझौते के तहत शाही ईदगाह मस्जिद को दी गई 13.37 एकड़ जमीन भगवान श्री कृष्ण विराजमान को दिए जाने की मांग की गई है.
– अवैध रूप से बनी शाही ईदगाह मस्जिद को भी हटाए जाने की मांग की गई है.
– याचिका में कुल चार पक्षकार बनाए गए हैं. शाही ईदगाह मस्जिद,यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और श्री कृष्ण जन्मभूमि संघ
को पक्षकार बनाया गया है.
1968 का समझौता क्या कहता है?
अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, 1968 से पहले 13.77 एकड़ भूखंड पर कई झोपड़ियां थीं. समझौते के बाद, ईदगाह के किरायेदारों को खाली करने के लिए कहा गया ताकि एक नया मंदिर बन सके. इसके बाद फैसला हुआ कि दोनों पूजा स्थल एक साथ संचालित हो सकें. एक दीवार के जरिए उन्हें अलग-अलग कर दिया गया. इस बात पर सहमति हुई कि मस्जिद की कोई खिड़की, दरवाजा या नाली मंदिर के सामने नहीं खुलेगी. हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ताओं का कहना है कि समझौता धोखे से किया गया है और यह कानून की नजर में अमान्य है. याचिका में कहा गया है कि किसी भी मामले में देवता कार्यवाही का हिस्सा नहीं थे और उसके अधिकारों को समझौते से समाप्त नहीं किया जा सकता है.
श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ, ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह और कुछ मुसलमानों के बीच विवाद था, जो ट्रस्ट के किरायेदार होने का दावा करते थे. इस मामले में कई दीवानी और फौजदारी मामले लंबित थे. ट्रस्ट द्वारा ईदगाह की ‘कच्ची कुर्सी’ की उत्तरी एवं दक्षिणी दीवार को पूर्व की ओर रेलवे लाइन तक बढ़ाया जाएगा. समझौते के अनुसार, ट्रस्ट उत्तर और दक्षिण दिशा में दीवार के बाहर बसे मुस्लिम घोषियों आदि को खाली कराएगा और जमीन संघ को सौंप देगा. इसके बाद भूमि के स्वामित्व को लेकर कोई चर्चा नहीं होगी. कच्ची कुर्सी के पश्चिम-उत्तर कोने की जमीन संघ की है. ट्रस्ट कच्ची कुर्सी को आयताकार करेगा ट्रस्ट और यह उसकी संपत्ति मानी जाएगी. 15 अक्टूबर 1968 तक ट्रस्ट दक्षिण की तरफ की सीढ़ियों का मलबा हटा देगा और उस जमीन पर संघ का कब्ज़ा होगा.
उत्तर और दक्षिण की दीवारों के बाहर की भूमि, दीवारों आदि के निर्माण से पहले 15 अक्टूबर 1968 तक ट्रस्ट द्वारा संघ को सौंप दी जाएगी. ट्रस्ट इन दीवारों या कच्ची कुर्सी की दीवारों में संघ की ओर कोई दरवाजा, खिड़की या ग्रिल नहीं लगाएगा या उस दिशा में कोई नाली या पानी का आउटलेट नहीं खोलेगा. संघ भी ऐसा कोई काम नहीं करेगा. संघ अपनी लागत पर पाइपों को ठीक करके और बाद में एक चिनाई नाली का निर्माण करके ईदगाह आउटलेट के पानी को डायवर्ट करेगा. मस्जिद ईदगाह की दीवारों में पाइप लगाने पर ट्रस्ट को कोई आपत्ति नहीं होगी.
रेलवे की जिस जमीन का अधिग्रहण हो रहा है उसमें से उत्तर और दक्षिण की दीवारों के अंदर ईदगाह के सामने की जमीन संघ ट्रस्ट को देगा. दोनों पक्ष सभी शर्तों को पूरा करने के बाद सभी लंबित मामलों में समझौते के अनुसार समझौता दाखिल करेंगे. यदि कोई पक्ष शर्तों का पालन नहीं करता है, तो दोनों पक्षों को इसे अदालत के माध्यम से या जिस भी तरीके से संभव हो, लागू कराने का अधिकार होगा.
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Tags: Mathura Krishna Janmabhoomi Controversy, Mathura news
FIRST PUBLISHED : December 14, 2023, 16:12 IST
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