हाथों में मेहंदी से लिखा-नियमित करें | Regularly written with mehndi in hands

भोपाल26 मिनट पहले
भोपाल में प्रदर्शन के दौरान महिलाकर्मियों ने हथेलियों पर नारे लिखवाएं।
भोपाल में संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल गुरुवार को 8वें दिन भी जारी रही। जेपी हॉस्पिटल कैम्पस में कर्मचारियों के अनोखे तरीके से प्रदर्शन किया। महिला कर्मचारियों ने न सिर्फ नारेबाजी की, बल्कि मेहंदी से हाथों में लिखा कि सरकार उन्हें नियमित करें। इनकी मांग है कि स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। साथ ही इन्हें स्थायी कर्मचारियों जितना वेतन भी मिलें। इसके अलावा जिन कर्मचारियों को बिना कारण निकाल दिया गया है, उन्हें वापस नौकरी पर रखा जाए।
महिलाओं ने हथेलियों पर लिखवाएं नारे। जिसमें नियमितीकरण और शोषण बंद किए जाने की बात लिखी हुई थी।
कर्मचारियों ने पहले तो मेहंदी लगाकर अपना विरोध जताया। इसके बाद सोहनलाल द्विवेदी की कविता ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ गाकर सबका मनोबल बढ़ाया। कर्मचारियों का कहना था कि हमसे वोट मांगने के समय सरकार दुनियाभर के वादे करती है, लेकिन अब कोई हमारी सुध लेने वाला नहीं है। आज हमें हड़ताल करते हुए 8 दिन हो गए हैं लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है। मीटिंग होती है लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

जेपी हॉस्पिटल में धरने पर बैठीं महिला स्वास्थ्यकर्मी।
संविदा में 25 साल होने पर काटा केक
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ की प्रदेश अध्यक्षा मीना शुक्ला ने बताया कि हम अपना भविष्य सुधारने के लिए इस हड़ताल में बैठे हैं। जब तक हमें नियमितीकरण का आदेश नहीं मिलेगा, हम यह आंदोलन जारी रखेंगे। 20-25 साल से कर्मचारी संविदा पदों पर काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक हमें नियमित नहीं किया गया है। हड़ताल के दौरान जिन कर्मचारियों को संविदा में काम करते हुए 24- 25 साल हो गए हैं, हमने उनके लिए केक भी काटा है। महंगाई बढ़ती जा रही है लेकिन संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की तरफ सरकार बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है।

अपने हाथों में नारे लिखी मेहंदी दिखातीं महिला स्वास्थ्यकर्मी।
संविदा कर्मचारियों की मुख्यमंत्री से शिकायत
प्रदेश अध्यक्ष शुक्ला ने बताया- हमें मुख्यमंत्री जी से शिकायत है कि भले ही वो हम पर ध्यान नहीं दे रहे, लेकिन क्या उन्हें आम लोगों की भी चिंता नहीं है? यहां प्रदेश भर से एएनएम और तमाम स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। दूसरी तरफ आम लोग परेशान हो रहे हैं। स्थायी कर्मचारी तो हमारा काम करेंगे नहीं तो कौन लोगों को टीके लगा रहा है? कौन उन्हें दवाई दे रहा है?
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