अजब गजब

ग्रह-नक्षत्रों से नहीं मार्केटिंग स्‍ट्रेटजी से ज्‍योतिष के बिजनेस किंग बने पुनीत, स्‍टार्टअप सफल बनाने के बताए 3 मूल मंत्र

हाइलाइट्स

आईटी सेक्‍टर और मार्केटिंग के खिलाड़ी पुनीत की जिंदगी भी एक भविष्‍यवाणी के बाद बदल गई.
कंपनी को सफल बनाने के लिए सिर्फ 30 लाख रुपये का निवेश किया और आज बड़ी कंपनी बन गई.
आलम ये है कि आज कंपनी रोजाना करीब 1.80 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू जेनरेट कर रही है.

नई दिल्‍ली. ज्‍योतिष यानी एस्‍ट्रोलॉजी (Astrology) जिसे भारत में सुपर साइंस भी कहा जाता है, एक ऐसी विधा है जिसके बारे में उत्‍सुकता तो सभी में होती है पर भरोसा जल्‍दी नहीं होता. कमोबेश ऐसी ही कुछ स्थिति थी ज्‍योषित फील्‍ड में काम करने वाले सफल स्‍टार्टअप एस्‍ट्रोटॉक के फाउंडर व सीईओ पुनीत गुप्‍ता (Astrotalk Founder & CEO) की. आईटी सेक्‍टर और मार्केटिंग के खिलाड़ी पुनीत की जिंदगी भी एक भविष्‍यवाणी के बाद बदल गई.

दरअसल, पुनीत के आईटी सेक्‍टर में नौकरी करते थे. इसी दौरान उनकी मुलाकात एक ज्‍योतिषी से हुई जिसने कहा कि जल्‍द ही आप आईटी का कारोबार शुरू करेंगे लेकिन आगे चलकर ठप हो जाएगा. एकबारगी तो पुनीत को इस बात पर यकीन नहीं हुआ और वे सबकुछ भूलकर अपने काम में लग गए. कुछ समय बाद ही उन्‍होंने एक पार्टनर के साथ मिलकर आईटी सॉल्‍यूशंस कंपनी शुरू की. कुछ समय बाद उनके पार्टनर ने साथ छोड़ दिया और बिजनेस डूब सा गया. तब उन्‍हें ज्‍योतिषी की बात याद आई और उससे मिलने पहुंच गए.

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जिस पर यकीन नहीं, वहीं दिखा भविष्‍य
पुनीत का कहना है कि वे आईटी बिजनेस डूबने के बाद ज्‍योतिषी से मिले और उससे आगे का रास्‍ता दिखाने के लिए कहा. ज्‍योतिषी ने उन्‍हें एस्‍ट्रोलॉजी की फील्‍ड में कुछ करने को कहा, जो उनके लिए बेहतर बताया लेकिन एक साथ धक्‍के खाने के बाद अच्‍छे दिन आएंगे. आधे-अधूरे मन से उन्‍होंने बात मान भी ली और इस पर काम भी शुरू कर दिया. आईटी सेक्‍टर की नस-नस पहचानने वाले पुनीत ने इस पुरानी विधा को नए तरीके और ग्‍लैमरस अंदाज में पेश किया.

फेल हो गया पहला आइडिया
यह साल 2017 की बात है, जब पहले तो पुनीत की मंशा थी कि एस्‍ट्रोलॉजी से जुड़े काम को वीडियो के जरिये पेश किया जाए और एक-एक आदमी तक पहुंचकर इस पर बात की जाए. लेकिन, जल्‍द ही पता चल गया कि लोग अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहते और न ही अपनी समस्‍या पर ऐसे सामने से बात करना चाहते हैं. फिर एक ऐप बनाया और उसके जरिये ऑडियो कॉल करने की सुविधा दी. इसे लोगों ने काफी पसंद किया और काम चल निकला.

बदलता गया ऐप का स्‍वरूप
पुनीत ने बताया कि ऑडियो कॉल की शुरुआत में लोगों को सिर्फ सामने से किसी एस्‍ट्रोलॉजर यानी ज्‍योति‍षी से बात कराई जाती थी. कॉलर यानी यूजर को ज्‍योतिषी के बारे में कुछ नहीं पता चलता था. काम तो चल पड़ा, लेकिन लोगों का भरोसा नहीं जमा. हमने यूजर्स से फीडबैक लिया तो उसके आधार अपने यूजर्स को ज्‍योतिषी की डिटेल दिखानी शुरू कर दी. इससे लोग आसानी से कनेक्‍ट हो पाते थे.

फिर चला सबसे बड़ा दांव
पुनीत ने बताया कि वैसे तो ऑडियो कॉल को लोगों ने काफी पसंद किया, लेकिन हम यह सुविधा चैट के रूप में भी देना चाहते थे. फिर कस्‍टमर से फीडबैक लिया तो उनका रेस्‍पांस ठीक नहीं आया. फिर भी हमने चैट का ऑप्‍शन शुरू किया और यह मास्‍टर स्‍ट्रोक साबित हुआ. हमने देखा कि पहले दिन में ज्‍यादा काम नहीं आता था, अब दिन के समय भी काम आना शुरू हो गया.

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पहले 30 फिर प्रति मिनट का शुरू किया फॉर्मूला
पुनीत ने कहा कि मेरी सफल यात्रा का सबसे बड़ा मंत्र यही था कि मैं कुछ भी शुरू करने से डरता नहीं था. शुरुआत में हमने कॉल या चैट को 30 मिनट के स्‍लॉट के हिसाब से शुरू किया था, लेकिन इस पर लोगों की काफी शिकायतें आने लगीं कि अगर हमारी बात 5 मिनट में खत्‍म हो जाती है तो बाकी 25 मिनट का पैसा बेकार हो जाएगा. तो, हमने बदलकर प्रति मिनट के हिसाब से चार्ज करना शुरू कर दिया.

एक साल बाद मिला सफलता का स्‍वाद
पुनीत ने बताया कि इस तरह लगातार बदलाव करते हुए करीब 9-10 महीने में हमने एक सफल प्रोडक्‍ट बना लिया. तब जाकर यकीन हुआ कि हां उस ज्‍योतिषी की बात सच हुई और मैंने कुछ अच्‍छा तैयार किया है. इस तरह 2018 में पहली बार हमारी कंपनी प्रॉफिट में आई. इसके बाद हमने अपनी मार्केटिंग स्‍ट्रेटजी में लगातार सुधार किया और यूजर बेस बढ़ाते गए.

  • सफलता के 3 मूल मंत्र
    पुनीत ने अपनी सफलता के 3 मूल मंत्र बताए, जो किसी भी युवा उद्यमी को आगे बढ़ने के लिए जरूरी होते हैं. अगर इन 3 चीजों पर फोकस करके आगे बढ़ा जाए तो उसके सफल होने की पूरी गारंटी होती है.
  • यूजफुल प्रोडक्‍ट : सबसे पहला काम है कि एक ऐसा प्रोडक्‍ट बनाया जाए जिसकी मार्केट में डिमांड हो और जिसे लोगों को बेचा जा सके.
  • डिस्‍ट्रीब्‍यूशन-मार्केटिंग : प्रोडक्‍ट तैयार होने के बाद लोगों को पता होना चाहिए कि यह कहां मिलेगा और इसका क्‍या फायदा होगा, ताकि प्रोडक्‍ट के बारे में सभी को क्‍लीयर पिक्‍चर बताई जा सके. इसके लिए मार्केटिंग बहुत जरूरी है.
  • अच्‍छे लोगों का ध्‍यान रखना : आखिरी और तीसरा काम है अपने साथ अच्‍छे लोगों को जोड़ना और उनका ख्‍याल रखना.

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विदेश में पैर पसार रही कंपनी
पुनीत ने कंपनी की आगे की रणनीति का भी खुलासा किया. उन्‍होंने बताया कि हमने इंडियन मार्केट को तो काफी डॉमीनेंट कर लिया है, लेकिन अब हमारा टार्गेट विदेशी मार्केट है. अमेरिका, यूरोप में भी एस्‍ट्रोलॉजी को लेकर लोगों का काफी इंट्रेस्‍ट है. एस्‍ट्रोटॉक अब ऐसे बाजार को लक्ष्‍य बनाकर काम कर रहा है. पहले हमने एनआरआई को टार्गेट किया और उनकी हिस्‍सेदारी कुल राजस्‍व में 17 फीसदी पहुंच चुकी है. अब हम नेटिव अमेरिकन्‍स या यूरोपियन्‍स को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

30 लाख से बना डाली अरबों की कंपनी
पुनीत ने अपनी कंपनी को सफल बनाने के लिए बहुत बड़ा निवेश नहीं किया, बल्कि सिर्फ 30 लाख रुपये का निवेश किया. आलम ये है कि आज कंपनी रोजाना करीब 1.80 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू जेनरेट कर रही है. अगर वित्‍तवर्ष 2023 के आंकड़े देखें तो एस्‍ट्रोटॉक को करीब 27.06 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ. अब कंपनी को 2023-24 में करीब 98.4 करोड़ रुपये का प्रॉफिट होने का अनुमान है. इस दौरान कंपनी का राजस्‍व करीब 590 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.

Tags: Astrology, Business ideas, Business news in hindi, Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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