एग्जिट पोल आज शाम होंगे जारी: BJP की लाड़ली बहना योजना बनेगी गेम चेंजर या कांग्रेस की 11 गारंटियां, मध्य प्रदेश में होगा कांग्रेस का सूखा खत्म या फिर खिलेगा कमल?
Journalist Arvind Jain

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे रविवार को जारी किए जाएंगे। 17 नवंबर को मतदान होने के बाद अब नतीजों के साथ एग्जिट पोल का भी बेसब्री से इंतजार है। 3 दिसंबर को परिणाम आएगा, लेकिन इससे पहले कयासों और अटकलों का दौर जारी है। प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी और कौन सी पार्टी कितनी सीट जीत पाएगी, इसको लेकर चर्चा चौराहा से लेकर चाय-पान की दुकानों, व्यापारियों, जुआरियों, आमजन, राजनीतिक गलियारों और सरकारी दफ्तरों में हो रही है। निश्चित ही ऐसे में सट्टा बाजार से आ रही खबरें कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा नेताओं की धडक़नें बढ़ा रही है।
चुनाव आयोग ने 7 नवंबर से 30 नवंबर शाम 6.30 बजे तक एग्जिट पोल पर रोक लगा रखी थी। आज गुरुवार को तेलंगाना में मतदान के साथ पांचों राज्यों में मतदान की प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी। जिसके बाद मध्यप्रदेश के साथ ही सभी राज्यों के एग्जिट पोल जारी होंगे। 3 दिसंबर को यह तय हो जाएगा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सूखा खत्म होता है या फिर से कमल खिलता है. फिलहाल प्रदेश के सभी सियासी दलों के उम्मीदवार हर स्तर से हार-जीत को लेकर फीडबैक ले रहे हैं, साथ ही आने वाले 3 दिसंबर के परिणामों पर सबकी नजर भी टिकी हैं.
महिलाएं जिसके साथ, सत्ता उसके हाथ’!
भाजपा और कांग्रेस दोनों में शुरुआती मुकाबला तो बराबरी का दिख रहा था लेकिन कांग्रेस जिस भ्रष्टाचार और एंटी इन्कमबैंसी के भरोसे सत्ता में आने की राह देख रही थी, उसे भी मुद्दा नहीं बना पाई। भाजपा ने गरीब कल्याण, निःशुल्क राशन, पीएम आवास, लाड़ली बहना को चुनावी मुद्दा बनाया तो कांग्रेस ने अपनी 11 गारंटियों के भरोसे मतदाताओं से वोट की अपील की। जबकि मध्यप्रदेश में गेम चेंजर बनी लाड़ली बहना योजना से बीजेपी को एकतरफा एक करोड़ वोट मिल सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो 2003 के परिणाम जैसे हालात बनेंगे। वहीँ कांग्रेस ११ गारंटी स्कीम ops (ओल्ड पेंशन स्कीम) सरकारी कर्मचारियों के भरोसे सत्ता में वापिसी के लिए आस्वश्त दिख रही है।

प्रमुख सट्टा बाजार की खबरें माने तो प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 116 से 119 मिलने के साथ सरकार बनने का अनुमान लगाया जा रहा है, वहीं भाजपा को 106 से 109 सीट ही मिल रही है। छतरपुर की 6 विधानसभा सीटों में जनता की नब्ज टटोलने पर 3- बिजावर, महाराजपुर और राजनगर में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर के बावजूद बिजावर और महाराजपुर में भाजपा को मामूली बढ़त बताई जा रही हैं वहीँ बाकी 3 सीटें छतरपुर, बड़ा मलेहरा और चंदला कांग्रेस के खाते में एकतरफा जाती बताई जा रही हैं। जबकि दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के नेता अपनी जीत के न केवल दावे कर रहे हैं, बल्कि जनता पर भरोसा भी जता रहे है। साथ ही दोनों दल भाजपा-कांग्रेस अपनी जीत के साथ प्रदेश में सरकार बनाने के दावे को लेकर मजबूती से खड़े दिख रहे हैं. अब किसका दावा मजबूत होगा यह 3 दिसंबर को परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।
फलौदी सट्टा बाजार का अनुमान
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के रिजल्ट का सभी को बेसब्री से इंतजार है। तीन दिसंबर को परिणाम सामने आने के बाद साफ हो जाएगा कि एमपी में किसकी सरकार बनने जा रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं। इस बीच फलौदी सट्टा बाजार ताजा अनुमान से कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। सट्टा बाजार के अनुसार एमपी में भाजपा पांचवी बार सरकार बना सकती है। 25 नवंबर को राजस्थान विधानसभा चुनावों के वोटिंग के बाद दुनिया के चर्चित फलौदी सट्टा बाजार के अनुमान में अपडेट देखा गया है।
देश में चुनाव में भले ही राजनीतिक विश्लेषकों और जनता की राय मायने रखती हो लेकिन इससे अलग दुनिया सट्टा बाजार और उनके सटोरियों की है, जो बाकायदा अपने आंकलनों से चुनाव में पार्टियों की जीत और हार तय कर देते हैं।
मध्य प्रदेश में नतीजे से पहले सट्टे का भाव-
कांग्रेस: 116- 119 सीट (भाव- 75 पैसा)
भाजपा: 106-109 सीट (भाव- 1.25 पैसा)

एग्जिट पोल 2018
2018 में हुए चुनाव के एग्जिट पोल अधिकतर कांग्रेस के पक्ष में रहे थे। 2018 में 28 नवंबर को मतदान हुआ था। जिसके बाद इंडिया न्यूज-नेता एग्जिट पोल, इंडिया टुडे- एक्सिस माय इंडिया, न्यूज 24 और न्यूज नेशन के की ओर से जारी एग्जिट पोल में भाजपा और कांग्रेस के बीच करीबी मुकाबला बताया गया। वहीं एबीपी और रिपब्लिक-सी वोटर सर्वे में कांग्रेस को भाजपा से अधिक सीटें मिलते हुए बताया गया। जबकि टाइम्स नाउ- सीएनएक्स, रिपब्लिक-जन की बात, जी न्यूज और इंडिया टीवी ने अपने एग्जिट पोल में भाजपा को बढ़त बताई थी ।
मध्य प्रदेश विधानसभा की स्थिति
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में बहुमत का आंकड़ा – 116 जिसमें भाजपा 127 सीटों पर काबिज है। कांग्रेस के 97 विधायक है। वहीं दो बसपा, एक सपा और 4 निर्दलीय विधायक है। पिछले चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी और कमल नाथ के नेतृत्व में सरकार बनीं, लेकिन यह सरकार महज 15 माह तक ही चल सकी और भाजपा दोबारा सत्ता में लौटी। जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने ।
कर्मचारियों के बंपर मतदान ने बढ़ाईं भाजपा-कांग्रेस की धड़कनें, 3 लाख 23 हजार डाक से डले वोट
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में डाक मतपत्रों के जरिए बंपर मतदान ने भाजपा-कांग्रेस की धड़कनें बढ़ा दी हैं। दरअसल, इस बार डाक मत पत्र से अधिकारियों और कर्मचारियों ने 96 प्रतिशत मतदान किया है. चुनाव ड्यूटी में लगे तीन लाख 34 हजार 354 में से तीन लाख 23 हजार अधिकारियों-कर्मचारियों ने डाक मत पत्र से मतदान किया है। 11 हजार 354 ने डाक मत पत्र जारी होने के बाद भी वोट नहीं डाले। 51 हजार 259 बुजुर्ग और 12 हजार 93 दिव्यांगों ने घर से मतदान किया है। इसी तरह 75 हजार 382 सेवा मतदाताओं को डाक मत पत्र दिए गए हैं। इनके मतों की गणना डाक मत पत्रों के साथ होगी। अब ओल्ड पेंशन स्कीम से प्रभावित कर्मचारियों के वोटों का किस पार्टी पर कितना पड़ा प्रभाव, इसका खुलासा तीन दिसंबर होगा।
नतीजों को लेकर आला अफसरों की भी उड़ी नींद…
विधानसभा चुनावों की मतगणना का भाजपा- कांग्रेस को बेसब्री से इंतजार है ही, इसे लेकर प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा आला अफसरों की नींद भी उड़ी हुई है। अफसरों में जिलों में पदस्थ कलेक्टर और एसपी ज्यादा हैं। चुनाव प्रचार के दौरान पक्षपात को लेकर इनके खिलाफ भाजपा और कांग्रेस दोनों ने शिकायतें की हैं। भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव, छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर और छतरपुर एसपी अमित सांघी सहित कुछ अफसर ऐसे हैं, जिनकी शिकायत दोनों दलों की ओर से हुई है। पहले भाजपा ने भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव पर कांग्रेस के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था, बाद में नेता प्रतिपक्ष भी इनके खिलाफ चुनाव आयोग पहुंच गए। इसी प्रकार राजनगर में कांग्रेस कार्यकर्ता सलमान की हत्या के मामले में वहां के कलेक्टर-एसपी पर भी दोनों दलों ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया। शिकायतों के दायरे में आने वाले आईएएस और आईपीएस अफसरों को भी नतीजों का बेसब्री से इंतजार है। यदि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होता है तो अधिकांश कलेक्टर-एसपी का बदला जाना तय है लेकिन सजा उन्हें ज्यादा मिलेगी जिन पर भाजपा का एजेंट बनकर काम करने का आरोप है। भाजपा की फिर सत्ता में वापसी होती है तो उन पर गाज गिरेगी, जिन पर कांग्रेस को लाभ पहुंचाने का आरोप है लिहाजा नींद उड़ना स्वाभाविक है।