क्या देश के नागरिक के लिए न्याय पाना आसान है? राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूछा सवाल, CJI चंद्रचूड़ भी थे मौजूद

नई दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को न्यायपालिका में प्रतिभाशाली युवाओं का चयन करने और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन का सुझाव दिया. उच्चतम न्यायालय द्वारा यहां आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘खर्च’ और ‘भाषा’ न्याय चाहने वाले नागरिकों के लिए बाधाएं हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि न्याय तक सभी की पहुंच में सुधार के लिए संपूर्ण प्रणाली को नागरिक-केंद्रित बनाने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, “इस विविधीकरण प्रक्रिया को तेज करने का एक तरीका एक ऐसी प्रणाली का निर्माण हो सकता है जिसमें योग्यता आधारित, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न पृष्ठभूमियों से न्यायाधीशों की भर्ती की जा सके.” उन्होंने कहा, “अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का सृजन करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है जो प्रतिभाशाली युवाओं का चयन और उनकी प्रतिभा को निखारने का काम कर सकती है.”
मुर्मू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “ऐसी प्रणाली कम प्रतिनिधित्व वाले सामाजिक समूहों को भी अवसर प्रदान कर सकती है. न्याय प्रणाली को मजबूत करने के इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कोई भी प्रभावी तंत्र तैयार करने का जिम्मा मैं आपके विवेक पर छोड़ती हूं.” इस कार्यक्रम में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी शामिल हुए.
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति बनने के बाद, मुझे कई केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम सहित अन्य संस्थानों का दौरा करने का मौका मिला. मुझे कई संस्थानों में जाने की जरूरत है. मैं बहुत भाग्यशाली हूं क्योंकि मैं वहां के बच्चों के साथ बातचीत करती हूं. वे बहुत प्रतिभाशाली हैं. कई मौकों पर मैंने उनसे पूछा कि वे क्या बनना चाहते हैं. कुछ कहते हैं आईएएस, आईपीएस (अधिकारी) और अन्य कहते हैं कि वे न्यायपालिका में जाना चाहते हैं. यहां (न्यायपालिका) आसानी से आने के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत हैं.”
मुर्मू ने कहा, “हमें खुद से पूछना चाहिए, खासकर आज जैसे मौकों पर क्या देश के हर एक नागरिक के लिए न्याय पाना आसान है. आत्मनिरीक्षण करने पर, हमें पाएंगे कि इसमें कई बाधाएं हैं. खर्च, सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है. यह ऐसा मामला है जिस पर मेरा विशेष ध्यान है, इसीलिए न्यायपालिका, विशेष रूप से शीर्ष अदालत द्वारा मुफ्त कानूनी सहायता के दायरे का विस्तार करने के लिए जो कदम उठाएं गये हैं मैं उनकी सराहना करती हूं.”
उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, भाषा जो न्याय में बाधा का दूसरा बड़ा कारण है. विभिन्न भारतीय भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने के शीर्ष अदालत के हाल ही के कदम से मैं आश्वस्त महसूस करती हूं. अदालती कार्यवाही का लाइव वेब प्रसारण भी नागरिकों को न्यायिक प्रणाली का सच्चा हितधारक बनाने में काफी मददगार साबित होगा.”
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Tags: Constitution Day, Draupadi murmu, DY Chandrachud, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : November 26, 2023, 18:10 IST
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