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मुसलमानों का जबरदस्ती कर दिया दाह संस्कार, अब मांगी जा रही है माफी

हर धर्म में जीवन-मरण से जुड़े रीति-रिवाज और संस्कार अलग-अलग होते हैं. कोई भी देश या धर्म अन्य धर्मों के संस्कारों का ना केवल सम्मान करता है, बल्कि पालन भी करता है. लेकिन श्रीलंका में ऐसा नहीं हुआ. वहां कोविड से मृतक मुसलमानों को दफनाने के बजाय जबरन दाह संस्कार कर दिया गया. श्रीलंका सरकार के इस कदम की चारों ओर कड़ी आलोचना हुई थी. सरकार अब देश के मुसलमानों से अपने इस कृत्य पर मांफी मांगने जा रही है.

श्रीलंका की सरकार ने कहा कि वह कोविड-19 से जान गंवाने वाले मुस्लिम व्यक्तियों के जबरन दाह संस्कार के लिए देश के मुस्लिम समुदाय से औपचारिक रूप से माफी मांगेगी. श्रीलंकाई सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण कोरोना महामारी के दौरान विवादित शवदाह नीति लागू की थी.

वर्ष 2020 में कोविड-19 पीड़ितों के दाह संस्कार का अनिवार्य आदेश जारी किया गया था जिससे मुसलमानों सहित कई अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित होना पड़ा था. हालांकि, बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बीच फरवरी 2021 में इस आदेश को रद्द कर दिया गया था.

एक कैबिनेट नोट के अनुसार, श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने सोमवार को एक बैठक में मार्च 2020 में थोपे गए आदेश के लिए मुस्लिम समुदाय से माफी मांगने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसमें कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने सरकार की ओर से सभी समुदायों से माफी मांगने का फैसला किया है. मंत्रिमंडल ने ऐसे विवादास्पद कदमों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कानून लाने का भी निर्णय लिया. साथ ही मंत्रिमंडल ने धर्म के आधार पर शवों को दफनाने या दाह संस्कार पर एक प्रस्तावित कानून को भी मंजूरी दे दी है. इसमें एक कानून लाने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है जो किसी खास व्यक्ति या रिश्तेदारों को मृत व्यक्ति को दफनाने या उसका दाह संस्कार के चयन की अनुमति देगा.

मुस्लिम समुदाय ने जबरन दाह संस्कार नीति का विरोध किया था और कुछ ने तो अपने प्रियजनों के शवों को अस्पताल के मुर्दाघरों में छोड़ दिया था. मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने कहा था कि या तो उन्हें शव जलाने की अनुमति देने के लिए मजबूर किया गया था या उनकी जानकारी के बिना ऐसा किया गया था. इस्लाम में शव दाह वर्जित है.

क्या था मामला
ये 2020-21 की घटना थी. जब पूरी दुनिया में कोविड महामारी के चलते हा-हाकार मचा हुआ था. श्रीलंका में इस संक्रमण के चलते 20 दिन के बेबी शेख की मौत हो गई. बेबी शेख का जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ था, इसलिए इस्लाम के मुताबिक, उसके शरीर को दफनाना होगा, लेकिन श्रीलंका सरकार के अधिकारियों ने परिजनों की इच्छा के खिलाफ बेबी शेख के शव का दाह-संस्कार कर दिया. इस तरह पूरे श्रीलंका में 276 मुसलमानों के शव का दाह संस्कार किया गया. मुसलमान ही नहीं ईसाइयों को भी सरकार की यह नीति झेलनी पड़ी थी. श्रीलंका सरकार के इस फैसले का पूरी दुनिया में जमकर विरोध हुआ था.

Tags: Sri lanka


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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