पहले 9000 की नौकरी, फिर गांव में छप्पर डालकर शुरू किया तकनीक का कारोबार, ऑस्ट्रेलिया-जापान से भी आते हैं ऑर्डर

Success Story: यंग एन्टरप्रिन्योर दादासाहेब भगत की कहानी काफी इंस्पायरिंग है. ये कहानी उस हर युवा को प्रेरित करने वाली है जो खुद का बिजनेस करना चाहता है. अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो सफलता हर हाल में आपके कदम चूमेगी. महाराष्ट्र के बीड के एक छोटे से गांव के रहने वाले भगत आज एक सफल कंपनी डू-ग्राफिक्स (Doographics) के सीईओ हैं, जो कभी इंफोसिस जैसी दिग्गज आईटी कंपनी में ऑफिस बॉय का काम करते थे.
महाराष्ट्र के बीड के रहने वाले दादासाहेब भगत का जन्म 1994 में हुआ था. हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भगत गांव से पुणे आ गए. आईटीआई डिप्लोमा पूरा करने के बाद उन्हें 9,000 रुपये प्रति माह की नौकरी मिली. हालाँकि, उन्होंने इंफोसिस गेस्ट हाउस में नौकरी की.
ITI डिप्लोमा लेकर परोसी चाय
दादासाहेब भगत को इंफोसिस गेस्ट हाउस में मेहमानों को रूम सर्विस, चाय और पानी परोसने की जिम्मेदारी मिली. इंफोसिस में काम करते हुए उन्होंने सॉफ्टवेयर का महत्व सीखा और इस विषय में उनका इंटरेस्ट बढ़ने लगा. भगत कॉर्पोरेट जगत से भी बहुत प्रभावित हुए, लेकिन उनके पास ऐसी शिक्षा नहीं थी.
वह टेक सेक्टर में करियर बनाने को लेकर सोच रहे थे. इसी दौरान दादासाहेब भगत को एनीमेशन और डिज़ाइनिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया. यह बात भगत को जम गई. इसके बाद वह रात में काम करते थे और दिन में एनीमेशन की पढ़ाई करते थे. सिलेबस पूरा होने के बाद भगत को मुंबई में अच्छी नौकरी मिली. कुछ समय बाद करने बाद वह ट्रांसफर लेकर हैदराबाद चले गए.
नौकरी के दौरान हासिल किया हुनर
भगत ने हैदराबाद में एक डिजाइनिंग और ग्राफिक्स फर्म में नौकरी करते हुए पायथन और सी++ का अध्ययन शुरू किया. उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि कई दृश्य प्रभावों को बनाने में बहुत समय लगता है और पुन: प्रयोज्य टेम्पलेट्स की लाइब्रेरी बनाना शानदार होगा. जैसे-जैसे उनका विचार बढ़ता गया, उन्होंने इन डिज़ाइन टेम्पलेट्स का ऑनलाइन विपणन करना शुरू कर दिया.
एक सड़क हादसे में घायल होने के बाद भगत ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपना सारा समय अपनी डिज़ाइन लाइब्रेरी को डेवलप करने लगे. उन्होंने अपनी पहली कंपनी निंथमोशन, 2015 में शुरू की. जिसके जरिए उन्होंने कम समय में ग्लोबल लेवल पर लगभग 6,000 ग्राहकों को सेवाएं दीं. इनमें बीबीसी स्टूडियो और 9एक्सएम म्यूजिक चैनल जैसी प्रसिद्ध कंपनियां शामिल थीं.
लॉकडाउन के बाद गांव से शुरू किया बिजनेस
भगत ने ऑनलाइन ग्राफ़िक डिज़ाइन के लिए कैनवा के समान एक प्लेटफ़ॉर्म बनाने का निर्णय लिया. इसके भगत ने दूसरा बिजनेस डूग्राफिक्स शुरू किया. हालाँकि, उन्हें COVID-19-प्रेरित लॉकडाउन के कारण पुणे में व्यवसाय बंद करने और बीड, महाराष्ट्र में अपने गाँव में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
गांव में इस काम को शुरू करने के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव था. इसके बाद भगत ने 4G नेटवर्क कनेक्शन लेकर गांव में छोटा-सा ऑफिस खोला और अपने कुछ दोस्तों के साथ काम करना शुरू किया. जिन्हें उन्होंने व्यक्तिगत रूप से एनीमेशन और डिज़ाइन की ट्रेनिंग दी थी. इसके तुरंत बाद गाँव के और भी बच्चों को डूग्राफिक्स का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ और संचालन शुरू हुआ.
6 महीनों में उनके पास 10,000 एक्टिव यूजर्स थे, जिनमें से अधिकांश महाराष्ट्र, दिल्ली, बैंगलोर से थे, साथ ही कुछ यूजर्स जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूके से भी थे. भगत पीएम मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए पूरी तरह से भारतीय निर्मित सॉफ्टवेयर डूग्राफिक्स को दुनिया के सबसे बड़े डिजाइन पोर्टल में बदलना चाहते हैं.
.
Tags: Business news in hindi, High net worth individuals, Infosys, IT Companies, Success Story
FIRST PUBLISHED : August 22, 2023, 15:38 IST
Source link