Money rained in the market on Dhanteras | धनतेरस पर बाजार में बरसा धन: ज्वेलरी-वाहन, बर्तन और कपड़ों की दुकानों पर लोगों ने की खरीददारी – Balaghat (Madhya Pradesh) News

ज्वेलरी शॉप पर आभूषण खरीदने पहुंचे लोग।
बालाघाट में आगामी 31 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले धनतेरस से पांच दिवसीय दीपावली पर्व की शुरुआत मंगलवार से हो गई।
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इस दिन को धन्वंतरि जयंती के नाम भी जाना जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि की पूजा से अरोग्यता की प्राप्ति होती है।
इस दिन वस्तुओं की खरीदारी को शुभ माना जाता है। इस दिन नए उपहार, सिक्का, बर्तन और गहनों की खरीदारी करना शुभ होता है। ताकि उनके घर में सुख और समृद्धि बनी रहे।
धनतेरस पर लोगों ने खरीदे नए कपड़े।
धनतेरस को लेकर बालाघाट का बाजार पहले से ही सज गया था। ग्राहकों की मांग और आधुनिकता को देखकर ग्राहकों की मनपसंद चीजे बाजार में उपलब्ध रही। खासकर धनतेरस के दिन सोना-चांदी और बर्तनों की खरीदी शुभ होने से, बर्तन दुकान और ज्वेलर्स शॉप में खासी भीड़ रही।
त्योहार का उत्साह लोगों की बाजार में उमड़ी भीड़ को देखते ही बनता था। धनतेरस के शुभ मुहर्त में सोने-चांदी के गहनों, बाइक, कार नए कपड़ों की खरीदी की।

बर्तन दुकानों पर दिनभर लगी रही भीड़।
पिछले साल से बेहतर रहा व्यापार
ज्वेलर्स व्यवसायी अनिल कांकरिया के अनुसार बीते दीपावली की अपेक्षा व्यापारियों को उम्मीद के अनुसार अच्छा व्यवसाय हुआ है। धनतेरस पर खासकर गहनों और वाहनों की खरीदी पर लोगों ने पैसा इन्वेस्ट किया। खासकर सोने की खरीददारी में इस बार तेजी के बावजूद लोगों ने जमकर इन्वेस्ट किया। धनतेरस पर जिले के सभी ज्वेलरी व्यापारियों का व्यवसाय अच्छा-खासा रहा। धनतेरस पर बाजार में बरसे धन से व्यापारी भी उत्साहित और प्रसन्नचित दिखाई दिए।

खरीदारी बाजार पहुंचे लोग जाम में फंसे।
हालांकि दीपावली किसानों की फसल नहीं बिकने का असर भी बाजारों में देखा गया। बाजार में धनतेरस पर बढ़ने वाली भीड़ के मद्देनजर यातायात व्यवस्था में कसावट देखी गई और बाजार में भीड़ के बावजूद कहीं जाम जैसी स्थिति देखने को नहीं मिली। बाजार में जगह-जगह यातायात और पुलिसकर्मी तैनात रहे, जिससे लोगों को त्योहार की भीड़ के बावजूद यातायात की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।
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