अजब गजब

पार्टी का प्रचार करते समय मिला मुर्गी पालन का आइडिया, कर्ज लेकर शुरू किया धंधा, अब है इतनी कमाई

नीरज कुमार/बेगूसराय : बाजार में अंडे और चिकन की डिमांड के चलते मुर्गी पालन एक शानदार व्यवसाय के तौर पर सामने आया है. इस व्यवसाय से आप हर महीने में लाखों रुपये तक की कमाई कर सकते है. इस बिजनेस को शुरू करने में ज्यादा लागत भी नहीं लगता है. कम जगह और कम लागत में ये बिजनेस किसानों को अच्छा मुनाफा देता है.

यह बातें आज के समय में युवाओं को प्रेरित कर रहीं है, क्योंकि मुर्गी पालन पर सरकार भी लोन देकर मदद कर रही है. हालांकि कुछ वर्ष पूर्व तक बिहार में मुर्गी पालन का क्रेज़ ना के बराबर था. लोगों को इस कारोबार पर भरोसा नहीं था. लेकिन इस दौर में भी कुछ व्यक्ति मुर्गी पालन कर अपनी गरीबी की दलदल से बाहर निकलकर पहचान बना रहे हैं. इसी से प्रेरित होकर बबलू कुशवाहा ने भी मुर्गी पालन शुरू कर दिया. आज भले हीं बबलू कुशवाहा की पहचान एक सफल कारोबारी के रूप में है, लेकिन संघर्ष के दिन आज भी भूले नहीं हैं.

संघर्ष के बाद सियासत से बिजनेस तक में बनाई पहचान

बेगूसराय जिला मुख्यालय से तकरीबन 29 किलोमीटर दूर चेरियाबरियारपुर प्रखंड स्थित बिक्रमपुर पंचायत के अर्जुन टोला के रहने वाले बबलू कुशवाहा ने बताया कि 2004 में राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं की बदलते जीवन शैली को देखकर उनसे आमदनी का रहस्य पूछा और इस रहस्य का जवाब मुर्गी पालन मिला. फिर क्या था सियासत की कुर्सी को छोड़ बिजनेस की ओर अग्रसर हो गए.

बबलू बताते हैं कि इस दौरान बैंक ने भी लोन देने से मना कर दिया. वहीं पड़ोसियों ने भी कर्ज देने से इंकार कर दिया. इसके बाद पूर्व मंत्री कुमारी मंजू वर्मा से मदद लेकर अपने कारोबार को आगे बढाया. शुरुआत के दो-तीन वर्षों तक नुकसान भी हुआ, क्योंकि मुर्गी पालन का तरीका नहीं जानते थे, लेकिन धीरे-धीरे बिजनेस में बदलाव आया और अब अच्छी कमाई भी हो रही है.

45 दिनों में बिक्री के लिए तैयार हो जाता है मुर्गियां

बबलू कुशवाहा ने बताया कि लगभग 4 लाख की लागत लगाकर आधुनिक तकनीक से मुर्गी पालन कर रहे हैं. फॉर्म में टेंपरेचर को मेंटेन करने के लिए हीटर भी लगाया है. टेंपरेचर मेंटेन करने के लिए कोयला पर हीटर जलाते हैं. टेंपरेचर की निगरानी भी जरूरत के मुताबिक करते रहते हैं. उन्होंने बताया किएक कट्ठे में बनाए गए शेड में 2800 मुर्गी को पालने के लिए 30 से 45 दिनों का वक्त लगता है. इस पर 3 से 4 लाख तक का खर्च आता है. वहीं मुर्गियों को बाजार में बेचने पर 6 लाख तक की आमदनी हो जाती है. बबलू सफल मुर्गा कारोबारी के साथ-साथ क्षेत्र में बिजनेसमैन के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं.

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Tags: Bihar News, Local18, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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