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भाग-दौड़ भरी जिंदगी में भारी मन को यदि हल्का करना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें ‘लाइटर’

मानवता जिस तरह से सोचती और काम करती है, उसे अनेक पहलू प्रभावित करते हैं, लेकिन सबसे बड़ा पहलू है व्यक्ति की हीलिंग. दुनिया में शांतिपूर्वक रहने के लिए यह ज़रूरी नहीं है कि सभी लोगों की अच्छी तरह से हीलिंग हो, लेकिन जैसे अधिक-से-अधिक लोगों की हीलिंग होगी तो उससे बदलाव की एक ऐसी लहर पैदा होगी जो मानव इतिहास की दशा और दिशा को बदल कर रख सकती है. मनुष्य जितना हील करेगा, उतना ही सोच-समझकर कार्य करेगा, उसके फैसले अधिक स्वीकार्य होंगे, उसकी सोच स्पष्ट होगी तथा दुनिया का भविष्य और अधिक उज्ज्वल होगा.

‘पेंगुइन स्वदेश’ द्वारा प्रकाशित किताब ‘लाइटर’ के लेखक डिएगो पेरेज़ अपने उपनाम ‘यंग प्युब्लो’ से लिखते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘युवा लोग’. लेखक का ये छद्म नाम एक सामाजिक टिप्पणी को दर्शाते हुए मानवता के विकास एवं परिपक्वता को भी दिखाता है. यह नाम ऐसे समय के बारे में संकेत देता है जब लोग सामूहिक रूप से अदूरदर्शिता तथा आत्मसंतुष्टि द्वारा शासित किए जाने से आगे बढ़ें और आपस में मेल-मिलाप के महत्व को बेहतर तरीके से समझें.

प्युब्लो की किताब ‘लाइटर’ का उद्देश्य है, निजी बदलाव तथा वैश्विक परिवर्तन की धारा के बीच एक ऐसा पुल तैयार करना, जिसकी मदद से मनुष्य और मनुष्यता को आपस में गहराई से जोड़ा जा सके. पाठकों के लिए यह किताब महज एक प्रेरक किताब के रूप में ही काम नहीं आएगी, बल्कि यह निजी रूप में हीलिंग तथा उसके लाभों के रहस्य के आवरण से बाहर लाने में भी मदद करेगी. किताब के माध्यम से लेखक का वास्तविक मकसद ऐसे व्यक्तियों की हीलिंग करना है, जो अपने आप में ही गहराई तक घुसे हुए हैं और बाहर नहीं आ पाते.

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मनुष्य के अनुभव का दायरा बहुत बड़ा होता है, लेकिन कुछ बातें व्यापक होती हैं, जिनको उजागर करने से उसे अपने आपको और इस संसार को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलती है. प्युब्लो कहते हैं, “मेरे दैनिक जीवन का बड़ा हिस्सा अभी भी ध्यान में जाता है, लेकिन हीलिंग के बारे में मेरी जो समझ थी उसको बताने के लिए यंग प्युब्लो के रूप में लिखना मेरे लिए बहुत अच्छा साधन रहा है. जब शुरू-शुरू में मैंने अपने लेखन को साझा करना शुरू किया तो मुझे उम्मीद थी कि कुछ लोगों को यह पसंद आएगा, लेकिन मैंने इस बात की कभी कल्पना ही नहीं की थी कि दुनियाभर में इतने सारे लोगों को मेरे लिखे का अर्थ समझ में आएगा और इसमें उनको राहत महसूस होगी.”

यह बात पूरी तरह सच है, कि जिसने अपने मन को हल्का करना सीख लिया उसने दुनिया जीत ली. यंग प्युब्लो की हीलिंग से संबंधित यात्रा तब शुरू हुई थी, जब सालों तक ड्रग्स के सेवन का बुरा असर उनके मन और शरीर पर पड़ने लगा. लेकिन इसके बाद उन्होंने संभलते हुए जब हीलिंग की यात्रा पर आगे बढ़ना शुरू किया, तो उन्होंने पाया कि वह जिस चिंता और डर से भाग रहे हैं, यदि उसका ईमानदारी से परीक्षण और सामना किया जाए, तो मन के विकार बंद हो जाते हैं. अपनी किताब ‘लाइटर’ में प्युब्लो ने यही दिखाने की कोशिश की है, कि मनुष्य अपनी हीलिंग की दिशा में कैसे आगे बढ़ सकता है, जिसका सबसे आसान तरीका है बीते को जाने दें… वर्तमान से जुड़ें… और भविष्य का विस्तार करें! ऐसा करने से न सिर्फ मन का भारीपन दूर होगा, बल्कि मनुष्य वह सोचना भी बंद कर देगा जिसे वह बोझ समझता है.

प्रस्तुत है पुस्तक अंश (पृष्ठ 179)-
इस यात्रा के दौरान अपनी प्रगति का आकलन

आमतौर पर यह चुनौती होती है कि जब आप किसी प्रक्रिया के बीच में हों, तो अपनी प्रगति का आकलन कैसे करें. आप उस समय अपने बारे में कुछ निर्णय लेना नहीं चाहते, जब आप गुस्से में होते हैं, क्योंकि उस समय आपका नज़रिया प्रभावित होता है. चूंकि हमारी हीलिंग का बहुत सारा हिस्सा हमारी अपनी जागरूकता की तीक्ष्णता पर निर्भर होती है, हम हमेशा इस बात को समझ नहीं पाते हैं कि हम अपने मन को किस प्रकार से प्रशिक्षित कर रहे हैं, ताकि वह ऐसा सूक्ष्मदर्शी बन जाए जो हमारी सभी मानसिक गतिविधियों की जड़ों को पहचान ले. हम सचेतन रूप से अपने ध्यान को अपने अंदर ले जाते हैं, जिसके कारण नई तरह की सूचनाएं आती हैं, जिससे हम अपने आपको अधिक गहराई से समझ पाते हैं.

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कई बार यह नई तरह की स्पष्टता चरम पर पहुंच जाती है, क्योंकि हम अपनी सारी कमियों को एक साथ देख पाते हैं और अपने विकास पूरी यात्रा के दौरान देखने के बजाय किसी ख़ास पल के नज़रिए से देखने लगते हैं. उदाहरण के लिए, कई बार हमें ऐसा लगता है कि हम अपने आज की तुलना अपने कल से करें, या इस महीने के अपने स्वरूप की तुलना पिछले महीने के स्वरूप से करें. इस तरह से छोटी-छोटी अवधि में बांटकर देखने से यह नहीं ठीक से कहा जा सकता है कि हीलिंग एक सीध में नहीं होती है. कम अवधि के दौरान बहुत आगे-पीछे भी होता रह सकता है, उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, या अपने बारे में कोई नई जानकारी मिल सकती है, जिसके लिए यह ज़रूरी होता है कि हम धीमे हो जाएं, ताकि उस नई जानकारी को समझ सकें. इसके अलावा, हमारे अंदर अतीत की बहुत सारी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं, जो आखिरकार उभर कर आ गई हों. दोनों ही अवस्थाओं में पूर्णता से हमारी आसक्ति बहुत तेज़ी से ऊपर की ओर बढ़ती दिखाई देगी, जबकि आपकी यात्रा की सच्चाई अधिक जटिल तथा आभासी होती है.

पुस्तक : लाइटर (नॉन-फिक्शन)
लेखक : यंग प्युब्लो
अनुवादक : प्रभात रंजन
प्रकाशक : पेंगुइन स्वदेश
मूल्य : 299 रुपए

Tags: Book, Book revew, Hindi Literature, Hindi Writer, Inspiring story, Poet


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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