अजब गजब

अब ये करेगा तू? इसलिए पढ़ाया-लिखाया था? घर से ताने सुनकर भी नहीं डिगा हौसला, बना दी 2000 करोड़ की कंपनी

नई दिल्‍ली. एन्टरप्रिन्योर बनने के लिए बड़ा रिस्क लेना पड़ता है इसलिए बिजनेस करना कभी आसान काम नहीं रहा है. क्योंकि, यहां मुश्किलें एक नहीं होती है यह फैसला लेने से पहले परिवार से लड़ना पड़ता है. आमतौर पर कुछ हटकर काम करने पर परिवार भी साथ नहीं देता. ऐसा ही कुछ हुआ सागर दरयानी के साथ. जिन्होंने जब अपने दोस्‍त के साथ मोमोज बेचने का प्‍लान बनाया तो उनके पिता ने ही उन्‍हें सबसे ज्‍यादा ताने दिए. सागर के पिता चाहते थे कि वो डॉक्‍टर या इंजीनियर बने. लेकिन, सागर का इरादा कुछ और ही था. कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन करते हुए ही उन्‍होंने बिजनसमैन बनने की राह पर कदम रख दिए. अपने दोस्‍त बिनोद कुमार के साथ उन्‍होंने 30 हजार रुपये लगाकर मोमोज बनाने और बेचने के लिए एक छोटा सा काउंटर शुरू किया. यहीं से उनकी कंपनी वॉव! मोमो (Wow! Momo) की नींव पड़ी.

आज सागर दरयानी (Sagar Daryani) की तीन कंपनियां है और उनका वैल्‍यूएशन 2000 करोड़ रुपये है. वो हर महीने 42 करोड़ रुपये अपने पार्टनर के साथ मिलकर कमाते हैं. पिज्‍जा-बर्गर के साथ आज मोमोज सबसे ज्‍यादा बिकने वाला फास्‍ट फूड है. मोमोज देश में लोकप्रिय होगा, यह सागर ने आज से करीब 15 साल पहले ही पहचान लिया था. हाल के वर्षों में मोमोज का मार्केट देशभर में खूब बढ़ा है. सागर दरयानी वॉव ! मोमो के सीईओ (Wow!mom CEO) हैं जबकि बिनोद कुमार सीओओ की जिम्‍मेदारी निभा रहे हैं.

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ऐसे पड़ी वॉव! मोमो की नींव
कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में ग्रेजुएशन करने के दौरान ही सागर दरमयानी ने देखा की मोमोज लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. उन्‍होंने अपने दोस्‍त विनोद कुमार के साथ मोमोज का एक स्‍टॉल शुरू करने की सोची. घर वालों को अपना प्‍लान बताया तो पिता खूब नाराज हुए. उन्‍हें यह जरा भी गंवारा नहीं था कि उनका बेटा मोमोज बेचे. लेकिन, सागर ने अपना इरादा नहीं बदला और 2008 में कोलकाता में मोमोज काउंटर शुरू कर दिया. उनका काउंटर खूब चला और देखते ही देखते यह एक आउटलेट में तब्‍दील हो गया.

दो साल आई कठिनाई
सागर और विनोद की बिक्री तो खूब हो रही थी, लेकिन उन्‍हें अपने बिजनेस के विस्‍तार के लिए दो साल तक फंड और वर्कफोर्स की कमी के चलते खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन, सागर दरयानी ने हार नहीं मानी. वो लगातार मेहनत करते रहे और उन्‍होंने हर कठिनाई पर जीत हासिल कर ली. उन्‍होंने मोमोज के साथ कुछ खास प्रयोग किए. स्टीम मोमोज के साथ ही तंदूरी मोमोज, कॉकलेज मोमोज, फ्राई मोमोज जैसी अन्य वैराइटी भी बेचनी शुरू कर दीं.

तीन कंपनियां, 600 से ज्‍यादा आउटलेट
छोटी सी दुकान से शरू किए गए वॉव मोमो का कारोबार आज देश भर में फैल गया है. आज देश के 26 राज्यों में इसके 600 से ज्यादा आउटलेट्स हैं और इनके जरिए हर दिन करीब 6 लाख से ज्यादा मोमोज बेचे जाते हैं. वॉव मोमो अब 2000 करोड़ रुपये मूल्‍य की कंपनी बन चुकी है. सागर और विनोद ने वॉव मोमोज के साथ ही इसकी दो सहायक कंपनियां वॉव!चीन और वॉव ! चिकन भी शुरू कर दी है. तीनों कंपनियों का रेवेन्‍यू वित्‍त वर्ष 2023 में 400 करोड़ रुपये रहा है. बीते एक साल में वॉव मोमो ने देश भर में 190 नए मोमोज आउटलेट्स खोले हैं.

हर महीने 42 करोड़ कमाई
सागर और विनोद को तीनों कंपनी से हर महीने करीब 42 करोड़ रुपये की कमाई होती है. इनमें सबसे ज्यादा योगदान वॉव मोमो का है. वॉव मोमो की कमाई 25 करोड़ रुपये महीना है. इसके अलावा 14 करोड़ रुपये महीने की कमाई वॉव! चीन और करीब 3 करोड़ प्रतिमाह की कमाई वॉव!चिकन से होती है. देश में कंपनी के तीन प्रोडक्शन प्लांट हैं.

Tags: Business news in hindi, Inspiring story, Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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