कनाडा की राजनीति में गुजराती समुदाय का उदय: चार उम्मीदवार मैदान में

Canada’s 45th Federal Election: कनाडा में भारतीय मूल के लोग, विशेष रूप से कनाडा के सिख प्रवासी एक शक्तिशाली समूह और घरेलू राजनीतिक क्षेत्र में एक बड़ी ताकत बन गए हैं. वर्तमान संसद में भी उनका बराबर प्रतिनिधित्व होता है. उदाहरण के लिए, अल्बर्टा प्रांत के 34 सांसदों में से तीन भारतीय मूल के हैं. ब्रिटिश कोलंबिया में 45 सांसदों में से पांच सांसद भारतीय मूल के हैं. इनमें कुछ प्रख्यात सिख नेता जैसे जगमीत सिंह और हरजीत सज्जन भी शामिल हैं. इसके अलावा भारतीय मूल के कई ऐसे नेता भी हैं जो वर्तमान में संसद के सदस्य नहीं हैं.
यह जगजाहिर है कि पंजाबी कनाडा की राजनीति में एक प्रमुख ताकत हैं. अब गुजराती अपनी पहचान बनाने की कोशिश में हैं. इस महीने के अंत में होने वाले कनाडा के संघीय चुनावों के लिए चार गुजराती मूल के उम्मीदवार मैदान में हैं. जयेश ब्रह्मभट्ट, संजीव रावल, अशोक पटेल और मिनेश पटेल 28 अप्रैल को कनाडा के 45वें संघीय चुनाव में संसदीय सीटों के लिए चुनाव लड़कर इतिहास रचेंगे. आइए उनके बारे में जानते हैं…
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जयेश ब्रह्मभट्ट
एनडीटीवी के अनुसार , जयेश ब्रह्मभट्ट पीपुल्स पार्टी के टिकट पर ब्रैम्पटन चिंगुआकोसी पार्क निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते हैं. सिविल इंजीनियर ब्रह्मभट्ट 2001 में कनाडा चले गए थे. इसके बाद वह एक सफल रियल एस्टेट डेवलपर बन गए. ब्रह्मभट्ट ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “हम सभी के लिए स्वतंत्रता, जिम्मेदारी, निष्पक्षता और सम्मान के पक्ष में हैं और कहीं न कहीं यह बात मेरे साथ प्रतिध्वनित होती है.” उन्होंने कहा, “मैंने बहुत से लोगों से बात की है और वे इस चुनाव से बदलाव चाहते हैं. कनाडा में राजनीतिक दल अब भारतीयों को राजनीतिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण समुदाय के रूप में पहचान रहे हैं, और गुजरातियों जैसे उप-समूह प्रतिनिधित्व पाने और अपनी बात कहने के इस अवसर का भरपूर लाभ उठा रहे हैं.”
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संजीव रावल
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, संजीव रावल कैलगरी मिडनापुर निर्वाचन क्षेत्र से लिबरल पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. तंजानिया में जन्मे संजीव रावल दो दशक से अधिक समय से कैलगरी में रह रहे हैं. रावल के पास दुकानों की एक चेन है, उनका भारतीय समुदाय समूहों से अच्छे संबंध हैं. हिंदुस्तान टाइम्स ने रावल के हवाले से कहा, “हम मध्यम वर्ग के सामने आने वाले मुद्दों पर लड़ रहे हैं, जो बेहतर बुनियादी ढांचे और खेल सुविधाओं, किफायती आवास और सभी के लिए काम के अवसरों की मांग कर रहे हैं.” “देश को अप्रवासियों की जरूरत है, लेकिन एक संतुलन होना चाहिए. हमें उम्मीद है कि सही नीतियों के साथ इसे बहाल किया जा सकेगा. अब हमारे पास आवाज है.”
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अशोक पटेल और मिनेश पटेल
एनडीटीवी के अनुसार, अशोक और मिनेश पटेल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. अशोक एडमंटन शेरवुड निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि मिनेश पटेल ने कैलगरी स्काईव्यू से अपना नामांकन दाखिल किया है. दोनों की पृष्ठभूमि बिजनेस वाली है. कनाडा की राजनीति पर करीबी नजर रखने वालों यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (ओएफआईसी) के इंटरनेशनल बिजनेस डॉयरेक्टर हेमंत शाह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “कनाडा में एक लाख से ज्यादा गुजराती रहते हैं. यह समुदाय लगभग सभी बड़े शहरों में मौजूद है, लेकिन टोरंटो, मॉन्ट्रियल, ओटावा, कैलगरी और वैंकूवर में ज्यादा हैं. कई लोग अप्रवासी के तौर पर देश में आए जबकि कई छात्र के तौर पर आए और यहीं बस गए. मैं चार दशकों से कनाडा में हूं और इस चुनाव में हम शायद गुजराती मूल के सबसे ज्यादा उम्मीदवार देख रहे हैं. उनकी जीत से इतर, यह समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पंजाबियों के बाद कनाडा का दूसरा सबसे बड़े समुदाय है.”
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पंजाबी समुदाय की राजनीतिक ताकत
देश में पंजाबी-कनाडाई समुदाय की बढ़ती ताकत का प्रमाण देश के राजनीतिक नेतृत्व में झलकता है. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह पिछली जस्टिन ट्रूडो सरकार में एक प्रमुख सहयोगी थे. लाइवमिंट के अनुसार, जगमीत सिंह कनाडा में किसी प्रमुख संघीय राजनीतिक पार्टी का नेतृत्व करने वाले पहले सिख भी हैं. जगमीत सिंह की एनडीपी ने ट्रूडो की अल्पमत सरकार को समर्थन प्रदान किया था. सितंबर 2024 में जगमीत सिंह ने किफायती आवास, स्वास्थ्य सेवा और जीवनयापन की बढ़ती लागत जैसे प्रमुख मुद्दों को हल करने में विफल रहने के कारण ट्रूडो की सरकार से समर्थन वापस ले लिया. बाद में ट्रूडो ने ‘आंतरिक पार्टी संघर्ष’ और अपने शासनकाल से असंतोष के कारण इस्तीफा दे दिया.
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मौजूदा सरकार में 2 पंजाबी मंत्री
कनाडा में इस समय अनीता आनंद विज्ञान और उद्योग मंत्री के पद पर हैं, जबकि कमल खेड़ा स्वास्थ्य मंत्री हैं. आनंद पिछले ट्रूडो मंत्रिमंडल में भी थे. लिबरल पार्टी के सांसद सुख धालीवाल भी एक हाई-प्रोफाइल राजनेता हैं. युवा मामलों के पूर्व मंत्री बर्दिश चग्गर भी सिख मूल के हैं.
कनाडा में 7.71 लाख सिख
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार , नवीनतम जनगणना से पता चलता है कि कनाडा में लगभग 7.71 लाख सिख हैं. वे देश की जनसंख्या का लगभग 2.1 प्रतिशत हैं. गुडरीड्स के अनुसार , सिख कनाडा में सबसे तेजी से बढ़ने वाला समूह है. वे देश का चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समूह भी हैं. ओंटारियो, ब्रिटिश कोलंबिया और अल्बर्टा में कनाडा की सबसे बड़ी सिख आबादी रहती है. 7.71 लाख सिखों में से 2.36 लाख से अधिक जन्म से कनाडाई नागरिक हैं. 2022 में पंजाबी कनाडा में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई.
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