Why is Kamlesh Shah not able to become a minister? | कमलेश शाह क्यों नहीं बन पा रहे मिनिस्टर: रावत को मंत्री बनाने के बाद लिया गया यू टर्न; अपनों की नाराजगी बनी वजह

छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से बीजेपी विधायक कमलेश शाह को मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी में शामिल होने से पहले पार्टी ने शाह को मंत्री बनाने का कमिटमेंट किया था। अमरवाड़ा में चुनाव प्रचार के दौरान भी ब
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भाजपा के एक सीनियर लीडर के मुताबिक, कांग्रेस से आए नेताओं को तवज्जो ज्यादा मिलने से पुराने नेताओं में असंतोष बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, मूल कार्यकर्ताओं का मनोबल भी कमजोर हो रहा है। इन सब कारणों को देखते हुए फिलहाल शाह को मंत्रिमंडल में शामिल करने के विचार पर विराम लगा दिया गया है।
दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए कमलेश शाह ने कहा कि वे क्षेत्र के विकास के लिए बीजेपी में शामिल हुए थे न कि मंत्री बनने। दूसरी तरफ, कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई बीना विधायक निर्मला सप्रे ने भी अभी तक विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है। कांग्रेस विधायक दल की शिकायत पर उन्हें 31 जुलाई को नोटिस देकर 10 दिन में जवाब देने के लिए कहा गया है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के तीन विधायकों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी जॉइन की थी। इनमें से केवल रामनिवास रावत ही मंत्री बन सके हैं। बाकी दोनों नेताओं से जो कमिटमेंट किया गया था, वो पूरा नहीं हो सका। पढ़िए, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए दोनों नेताओं का सियासी भविष्य फिलहाल किस तरह से हिचकोले खाता नजर आ रहा है…
पहले जानिए, शाह के लिए क्या थी बीजेपी की रणनीति
लोकसभा चुनाव के दौरान कमलेश शाह को बीजेपी में शामिल करवाकर पार्टी छिंदवाड़ा सीट पर कमलनाथ को कमजोर करना चाहती थी। ऐसा हुआ भी, जैसे ही शाह ने बीजेपी का दामन थामा, कमलनाथ के करीबी नेताओं ने भी बीजेपी जॉइन की। इनमें दीपक सक्सेना और उनके बेटे समेत कई नेता शामिल थे।
बीजेपी की शाह को लेकर रणनीति थी कि छिंदवाड़ा में आदिवासी वर्ग में एक नई लीडरशिप तैयार की जाए। छिंदवाड़ा जिले की 7 में से तीन सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं। बीजेपी ने छिंदवाड़ा में अनुसुईया उइके को आगे बढ़ाया था, वे भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं।
उसके बाद से बीजेपी के पास छिंदवाड़ा में कोई प्रभावी आदिवासी चेहरा नहीं था। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने शाह को कमलनाथ के प्रभाव वाले आदिवासी इलाकों में प्रोजेक्ट भी किया था। ऐसे में ये अटकलें और ज्यादा तेज हो गई थीं कि उप चुनाव जीतने के बाद शाह को मंत्री बनाया जाएगा। उप चुनाव के दौरान सभा में बीजेपी नेताओं ने इसके संकेत भी दिए थे।

रावत को मंत्री बनाने के बाद कैसे बदले समीकरण
अमरवाड़ा उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को वोटिंग थी। इससे ठीक दो दिन पहले 8 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए रामनिवास रावत को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले 7 जुलाई को कमलेश शाह को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा चलती रही।
शाह के करीबी बताते हैं कि दोपहर बाद से ही शाह को बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया था। ये भी चर्चा होने लगी थी कि शाह चुनाव प्रचार बीच में छोड़कर भोपाल रवाना होने वाले हैं, देर रात उनके मंत्री बनने की अटकलें लगती रहीं। कुछ देर बाद इन अटकलों पर विराम लग गया, जब शाह के पास भोपाल से कोई कॉल नहीं पहुंचा। उन्हें पार्टी नेताओं ने जानकारी दी कि आचार संहिता के कारण उन्हें मंत्री पद नहीं दिया जाएगा।
इसके बाद भी उन्हें मंत्री बनाए जाने की उम्मीदों पर विराम नहीं लगा था। जिसके संकेत खुद सीएम मोहन यादव ने 8 जुलाई को मंत्रिमंडल विस्तार के बाद दिए थे। शपथ ग्रहण समारोह के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव छिंदवाड़ा रवाना हुए थे। उससे पहले उन्होंने कहा था- अब तक जो रुझान सामने हैं, उसके अनुसार कमलेश शाह का जीतना तय है। जैसे ही चुनाव परिणाम आएंगे, वैसे ही पार्टी शाह को कुछ और बनाने का विचार कर रही है।
10 जुलाई को वोटिंग हुई और 13 जुलाई को नतीजे सामने आए। कमलेश शाह ये चुनाव जीत गए। इसके बाद सीएम मोहन यादव 16 जुलाई को अमरवाड़ा में आभार रैली में हिस्सा लेने पहुंचे। उनसे सवाल किया गया कि शाह को मंत्री बनाया जाएगा या नहीं? इसका उन्होंने कोई साफ जवाब नहीं दिया, केवल विकास की बात की।

पार्टी दिग्गजों की नाराजगी पड़ी भारी
रावत को मंत्री बनाए जाने के बाद बीजेपी के ऐसे दिग्गज जो मंत्री बनने की आस लगाए बैठे हैं, उन्होंने खुलकर मोर्चा खोला था। पाटन से वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई ने भास्कर से कहा था- पार्टी ने रावत को मंत्री बनाकर इनाम दिया है। पार्टी ने उनकी उपयोगिता को समझा है।
विश्नोई ने ये भी कहा कि नए मंत्रिमंडल विस्तार की पृष्ठभूमि लोकसभा चुनाव से जुड़ी हुई है। मैं तो 50 साल से पार्टी के लिए काम कर रहा हूं। हम लोग शर्त पर नहीं, समर्पण के भाव से काम करते हैं। जो लोग शर्त के साथ काम करते हैं, उन्हें उनकी शर्त के अनुसार इनाम मिला है।

भार्गव, मलैया और सखलेचा भी नाराज
9 बार के विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भी नाराज थे, मगर उन्होंने खुलकर नाराजगी जाहिर नहीं की। उन्होंने कहा था- किसे मंत्री बनाना है, इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व करता है। उन्होंने ये भी कहा था कि वे कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं, लेकिन पार्टी लाइन को नहीं छोड़ना चाहते।
सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री जयंत मलैया, ओमप्रकाश सखलेचा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वो पार्टी फोरम पर अपनी बात रखेंगे। दूसरी तरफ रावत को वन मंत्रालय दिया तो नागर सिंह चौहान नाराज हो गए। हालांकि, दिल्ली के नेताओं ने उन्हें मना लिया था।

दिल्ली में दिग्गज नेताओं से मुलाकात के बाद नागर सिंह चौहान भोपाल में सीएम हाउस पहुंचे थे।
शाह बोले- मंत्री बनने बीजेपी में शामिल नहीं हुआ
इस पूरे घटनाक्रम के बाद शाह का मंत्री बनना अभी तय नहीं है। भास्कर ने उनसे सवाल किया कि उपचुनाव जीते एक महीना हो गया, अब तक आपको मंत्री नहीं बनाया तो वे बोले- मैं मंत्री बनने के लिए पार्टी में शामिल नहीं हुआ था। मुझे अमरवाड़ा के विकास का भरोसा दिया गया था। उस पर सरकार ने अमल करना शुरू कर दिया है।

निर्मला सप्रे अभी भी कांग्रेस की विधायक
बीना से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बनीं निर्मला सप्रे ने लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग से दो दिन पहले 5 मई को बीजेपी जॉइन की थी। 2023 के चुनाव में सप्रे ने बीजेपी के महेश राय को 6 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।
सप्रे ने भले ही बीजेपी जॉइन कर ली है, मगर विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है। वे अभी भी कांग्रेस की ही विधायक हैं। विधानसभा सचिवालय ने दलबदल के तहत निर्मला सप्रे को 31 जुलाई को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिए 10 दिन का समय दिया है।
बीजेपी जॉइन करने के पीछे निर्मला ने दलील दी थी कि कांग्रेस में रहते हुए वे अपने क्षेत्र का विकास नहीं कर सकती थीं, इसलिए पार्टी छोड़ी। अभी भी वे कहती हैं कि सरकार ने बीना में 50 करोड़ के रिंग रोड को स्वीकृति दी है, इसकी जल्द ही डीपीआर तैयार होगी। इसी तरह 10 हजार गायों के लिए गो अभयारण्य के लिए सर्वे का काम शुरू हो गया है। नगर पालिका क्षेत्र का विस्तार करने के लिए भी सरकार जल्द आदेश जारी करेगी।


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