Success Story: BA पास लड़के ने बना दी करोड़ों की कंपनी, बन गया ग्रिटिंग्स कार्ड्स के बिजनेस का बादशाह

Success Story: साल 1979 में दिल्ली के एक 19 साल के लड़के ने सॉन्ग बुक बनाने का काम शुरू किया. यह लड़का सिंपल ग्रेजुएट था. धीरे-धीरे यह बिजनेस बढ़ने लगा और आगे चलकर वह ग्रीटिंग कार्ड के कारोबार के रूप में बदल गया. धीरे-धीरे उसके ग्रीटिंग कार्ड युवा दिलों पर छा गए. और बिजनेस की दुनिया में वह एक सफल कारोबारी के रूप में स्थापित हो गया.
आपमें से कई लोगों ने आर्चीज के ग्रीटिंग्स कार्ड या गिफ्ट्स खरीदे या पाए होंगे. आज यह एक जाना-माना ब्रांड है और इसके स्टोर प्रमुख महानगरों के साथ-साथ कई टियर 2 सिटीज में भी उपलब्ध हैं. लेकिन क्या आप इसके शुरू होने के पीछे की कहानी जानते हैं, कि कैसे अनिल मूलचंदानी ने इसे एक सफल कंपनी के रूप में स्थापित किया है.
सॉन्ग्स बुक बेचने से शुरू किया काम
अनिल ने दिल्ली के हिन्दू कॉलेज से ग्रेजुशन किया है. उनके पिता की साड़ी की दुकान थी, जिसे चलाने में वह उनकी मदद किया करते थे. ग्रेजुएशन के बाद अनिल को सॉन्ग्स बुक बेचने का आईडिया आया. जिसमें उस जमाने के पॉपुलर अंग्रेजी गानों के लिरिक्स हुआ करते थे. उनका यह आईडिया काफी हिट रहा. जल्द ही उन्होंने हॉलीवुड और पॉप स्टार्स के पोस्टर्स, डिज्नी कैरेक्टर्स, स्टेशनरी प्रोडक्ट्स, फोटो एलबम्स और प्लानर्स बेचना भी शुरू कर दिया. धीरे-धीरे आर्चीज की अलग पहचान बनने लगी.
ग्रीटिंग्स कार्ड्स बेचना शुरू किया
बिजनेस में अच्छी खासी ग्रोथ होने लगी थी, लेकिन अनिल कंपनी के लिए फ्लैगशिप प्रोडक्ट लांच करना चाहते थे. इसिलिए उन्हें ग्रीटिंग्स कार्ड बनाने का निर्णय लिया. 1983 में उन्होंने कार्ड्स बेचने शुरू किए. शुरूआत में उन्होंने होली, दिवाली, राखी और न्यू ईयर के कार्ड्स बनाए. यह जल्द ही कंपनी की पहचान बन गया और काफी हिट हुआ. कंपनी ने वैलेंटाइन्स डे के कार्ड्स भी बाजार में उतारे और यह भी काफी सफल रहा. 1987 में कंपनी का पहला फ्लैगशिप स्टोर दिल्ली के कमला नगर में खुला. बाद में अन्य शहरों में भी कंपनी ने पैर पसारे. 1995 में यह एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में स्थापित हुई.
करोड़ों में पहुंचा टर्नओवर
सन् 1999 में अनिल के बेटे वरूण मूलचंदानी ने कंपनी ज्वॉइन की. वर्तमान में वही कंपनी का कार्यभार संभाल रहे हैं. उन्होंने दिल्ली से स्कूलिंग के बाद आईआईएलएम यूनिवर्सिटी से बीबीए किया है. उनकी देखरेख में कंपनी ने नई ऊंचाइयों को हासिल किया. साल 2006 में कंपनी के टर्नओवर ने 100 करोड़ के आंकड़े को भी पार कर लिया. आज कंपनी की वैल्यूएशन तकरीबन 89 करोड़ रूपए है. हांलाकि कोविड के दौरान 2 साल में बिजनेस को काफी नुकसान हुआ और मुश्किल दौर भी आया, लेकिन कंपनी उससे उबरकर वापस नए आयाम छूने के लिए तैयार है. हाल ही में कंपनी ने अपना मैस्कॉट भी लांच किया है, जिसे एमा नाम दिया गया है. अब कंपनी नए जनरेशन के बच्चों पर फोकस करना चाहती है और उनके डिमांड के हिसाब से प्रोडक्ट्स लाना चाहती है.
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Tags: Success Story, Successful business leaders
FIRST PUBLISHED : September 6, 2023, 09:34 IST
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