Mp Election:पथरिया विधानसभा से दूसरी बार नहीं जीत सका कोई प्रत्याशी, विधायक बनने के बाद दोबारा मिली हार – Mp Election 2023: No Candidate Could Win From Patharia Assembly For The Second Time,

रामबाई सिंह परिहार, रामकृष्ण कुसमारिया, लखन पटेल एक-एक बार विधायक रह चुके हैं।
– फोटो : अमर उजाला
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दमोह जिले की पथरिया विधानसभा का एक अलग ही मिथक है, यहां दूसरी बार किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिलती, यदि पिछले 50 साल का इतिहास देखा जाए तो वो यही कहता है। पथरिया सीट से इस बार 17 प्रत्याशी मैदान में हैं। जबकि पिछले चुनाव में 21 प्रत्याशी मैदान में थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा में बागी प्रत्याशी उम्मीदवार के चलते बीएसपी से रामबाई सिंह परिहार चुनाव जीती थीं। वहीं भाजपा के बागी उम्मीदवार रामकृष्ण कुसुमरिया दमोह एवं पथरिया से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। जिससे दमोह एवं पथरिया दोनों जगह से भाजपा प्रत्याशी हार गया था, लेकिन इस बार पथरिया विधानसभा से 17 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें त्रिकोणीय मुकाबला होगा। कांग्रेस से राव बृजेंद्र सिंह भाजपा से लखन पटेल एवं बीएसपी से रामबाई सिंह परिहार के मध्य त्रिकोणीय संघर्ष होगा। इस सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी जातिगत समीकरण के आधार पर ही चुनाव जीते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की 50 साल के इतिहास में इस सीट से दोबारा कोई प्रत्याशी विधायक नहीं बन सका।
इस तरह शुरू हुआ क्रम
1967 में कांग्रेस पार्टी से भाव सिंह विधायक बने। 1972 में गोपाल दास कांग्रेस पार्टी से विधायक बने। 1977 में जीवनलाल जनता पार्टी से, 1980 में गोपाल दास, 1985 में श्यामलाल कांग्रेस से, 1990 में मणि शंकर सुमन भाजपा से, 1993 में कालूराम कांग्रेस से, 1998 गणेश खटीक भाजपा से, 2003 में सोना बाई भाजपा से इसके बाद यह सीट सामान्य होने से 2008 में रामकृष्ण कुसमरिया विधायक एवं मंत्री बने। इसके पूर्व सीट आरक्षित थी। 2013 में लखन पटेल विधायक बने। 2018 में बीएसपी की रामबाई सिंह परिहार विधायक बनीं। अगर पिछले 50 सालों पर नजर डाली जाए तो यहां से दोबारा कोई भी विधायक नहीं बन सका। पहले यह सीट आरक्षित रही। 2008 में सामान्य हो गई। जिससे यहां जातिगत समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी चुनाव जीतने लगे। पथरिया विधानसभा में कुल 2 लाख 37 हजार हजार 275 मतदाता हैं। जिसमें सबसे ज्यादा दलित, कुर्मी पटेल एवं लोधी वर्ग की मुख्य भूमिका होती है।
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