अजब गजब

MBA किया, नहीं मिली जॉब, ₹1 लाख लगा शुरू किया रद्दी का काम, अब 60 देशों में बिजनेस, कहलाती हैं पेपर क्विन

हाइलाइट्स

साल 2003 में पूनम ने पीजी पेपर की नींव रखी.
पूनम गुप्ता दुनिया के कई देशों से रद्दी कागज खरीदती हैं.
इन्‍हें रीसाइकिल कर दोबारा से कई तरह के कागज बनाए जाते हैं.

नई दिल्ली. दिल्‍ली में जन्‍मी पूनम गुप्‍ता की कंपनी पीजी पेपर (PG Paper CEO Poonam Gupta) आज 800 करोड़ रुपये का सालाना बिजनेस करती हैं. कंपनी का कामकाज 60 देशों में में फैला है. लेकिन, एक वक्‍त था जब पति के साथ स्‍कॉटलैंड गई पूनम को एमबीए की डिग्री होने के बावजूद कोई कंपनी जॉब देने को तैयार नहीं थी. इसकी वजह उनका अनुभवहीन होना बताया गया. इसी ‘अनुभवहीन’ लड़की ने जब रद्दी कागज के ढ़ेर हर जगह लगे देखे तो उसने इन्‍हें रीसाइकिल दोबारा पेपर बनाने के बारे में सोचा. एक लाख रुपये लगाकर आज से 20 साल पहले पूनम ने पीजी पेपर नाम कंपनी शुरू की. घर के एक कमरे से शुरू हुई इस कंपनी ऑफिस अब भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और चीन सहित कई देशों में है.

पूनम गुप्‍ता पीजी पेपर की सीईओ हैं. उनका जन्‍म दिल्‍ली में हुआ. लेडी श्री राम कॉलेज से इकनामिक ऑनर्स किया. इसके बाद एमबीए किया है. साल 2002 में पूनम की शादी पुनीत गुप्ता के साथ हुई. पुनीत स्‍कॉटलैंड में नौकरी करते थे. पूनम भी पति के पास स्कॉटलैंड चली गई. वहां पूनम ने नौकरी करनी की सोची.

स्‍कॉटलैंड के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग ने पूनम गुप्‍ता को इस साल जनवरी में एक्‍सपोर्ट चैंपियन बनाया था.

नहीं मिली जॉब
पूनम में पास एमबीए की डिग्री तो थी, पर उनके पास काम का अनुभव नहीं था. उन्‍होंने कई कंपनियों में इंटरव्‍यू दिए, पर नौकरी नहीं मिली. सबका यही कहना था वो अनुभवहीन हैं. इसलिए नौकरी पर नहीं रख सकते. स्‍कॉटलैंड में रहते हुए पूनम ने देखा कि बड़ी कंपनियों के लिए रद्दी कागज एक बड़ा सिरदर्द है. उन्‍हें इसके निपटान पर काफी खर्च करना पड़ता है. उन्‍होंने रद्दी कागज को रीसाइकिल कर प्रोडक्‍ट बनाने की सोची. 10 महीने तक उन्‍होंने खूब शोध किया तो उन्‍हें पता चला कि इस कागज से दोबारा कागज बनाया जा सकता है.

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ग्लासगो कैलेडोनियन विश्वविद्यालय ने पूनम गुप्‍ता का डॉक्‍टरेट की मानद उपाधि दी है.

1 लाख की पूंजी से शुरू किया काम
साल 2003 में अपने घर से रद्दी कागज को रीसाइकल करने का काम पूनम ने एक लाख रुपये लगाकर शुरू किया. उन्‍होंने भारत से दो कंटेनर कागज मंगाया. पहले ही काम से उन्‍हें जबरदस्‍त मुनाफा हुआ. इसके बाद तो पूनम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पूनम गुप्ता दुनिया के कई देशों से रद्दी कागज खरीदती हैं और उसकी रीसाइकलिंग कर अच्छी क्वालिटी का पेपर तैयार कर उसे दुनिया भर के देशों में बेचती हैं. उनकी कंपनी पीजी पेपर का बिजनेस आज 60 देशों में फैला हुआ है.

कई तरह के पेपर बनाती है कंपनी
पीजी पेपर कई तरह का कागज बनाती हैं. प्रिंटिंग पेपर, पैकेजिंग पेपर, स्‍पेशिएलिटी पेपर, पेपर ग्‍लोसरी, न्‍यूज प्रिंट और फोल्डिंग बॉक्‍स बोर्ड इस कंपनी के पोर्टफोलियो में शामिल हैं. पूनम गुप्‍ता का दावा है कि अगले वित्‍त वर्ष में पीजी पेपर का कारोबार 1000 करोड़ रुपये के पार हो जाएगा. पूनम गुप्ता ने दिल्ली के अब पूनम गुप्ता स्कॉटलैंड में ही अपने परिवार के साथ रहती हैं.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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