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दिल्ली की आबोहवा खराब करने में क्या यह पेड़ है जिम्मेदार? हटाने के लिए केजरीवाल सरकार ने बनाया था यह प्लान

नई दिल्ली. दिल्ली की आबोहवा सुधारने के लिए केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) ने पिछले साल एक पहल की शुरुआत की थी. इसके तहत दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में विदेशी कीकर यानी बबूल के पौधे को हटाने का फैसला लिया गया था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) की अध्यक्षता में वन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी. डीयू के पर्यावरण अध्ययन विभाग के वनस्पति विज्ञानी प्रो. सीआर बाबू के निर्देशन में यह प्रक्रिया पांच साल में पूरा करने की बात कही गई थी. इसके लिए दिल्ली सरकार ने 12.21 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत किया था.

दिल्ली के 1,483 वर्ग किमी में फैली 20.22 फीसदी हरित क्षेत्र के 60 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र में विलायती कीकर भरा है. दिल्ली के 7,777 हेक्टेयर के रिज क्षेत्र में विलायती कीकर सबसे ज्यादा थे. ऐसे में केजरीवाल सरकार ने इसे दिल्ली से हटाने का फैसला लिया था. दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर में आबोहवा को नुकसान पहुंचा रहे विलायती कीकर सहित अन्य हानिकारक विदेशी पेड़-पौधों को लेकर केंद्र सरकार ने भी एक विशेष कमेटी का गठन किया था.

देश की राजधानी दिल्ली में इस समय एक बार फिर से प्रदूषण को लेकर बवाल मचा हुआ है. (Image:PTI)

विलायती कीकर स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक
पिछले साल अप्रैल महीने में विलायती कीकर के खिलाफ वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एक पहल की शुरुआत की थी. इसके तहत दिल्ली से विदेशी कीकर को हटाने का फैसला लिया गया. गोपाल राय ने उस समय मीडिया से बात करते हुए कहा था कि जैव विविधता संवर्धन के माध्यम से पारिस्थितकी बहाली के कार्य की समीक्षा के लिए सेंट्रल रिज क्षेत्र से कीकर को हटाया जा रहा है. प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में यह महत्वपूर्ण कदम है. इस पायलट परियोजना के तहत पहले फेज में सेंट्रल रिज के 10 हेक्टेयर भूमि पर कार्य शुरू किया गया है. राय ने दावा किया था कि पहले चरण में 10 हेक्टेयर भूमि पर यह काम पूरा करने के बाद अगले चरण में साढ़े सात हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्बहाल किया जाएगा.

प्रदूषण के लिए कितना जिम्मेदार
क्योंकि, देश की राजधानी दिल्ली में इस समय एक बार फिर से प्रदूषण को लेकर बवाल मचा हुआ है. ऐसे में विदेशी कीकर को लोग फिर से याद कर रहे हैं. इस विदेशी कीकर को हटाने को लेकर कई सारी बड़ी-बड़ी बातें कही गई थीं. यह भी कहा गया था कि यह विलायती कीकर धरती और जल का ही नहीं बल्कि इंसान और बेजुबानों जानवरों का भी बड़ा दुश्मन है. दिल्ली- एनसीआर में बहुतायात में मिलने के कारण यह आबोहवा में ही घुलकर दिल्लीवासियों को श्वास और एलर्जी सरीखी बीमारियों का शिकार बना रहा है.

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पारिस्थितकी बहाली के लिए सेंट्रल रिज क्षेत्र से कीकर को हटाया जा रहा है- गोपाल राय

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गौरतलब है कि यह और इसी प्रजाति के अन्य पेड़-पौधे इलेलोपैथी नाम का रसायन छोड़ते हैं. यह रसायन आस-पास किसी अन्य वनस्पति के पेड़-पौधे को पनपने ही नहीं देते. इस रसायन से जमीन की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित होती है और भूजल का स्तर भी नीचे चला जाता है. साथ ही इससे रसायन से पर्यावण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

Tags: Air pollution in Delhi, Chief Minister Arvind Kejriwal, Delhi Government, Gopal Rai, Tree


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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