अजब गजब

खेतिहर जमीन पर तालाब खुदवाया तो लोग हंसे…बोले- पागल हो गया, अब कमाई देख सब हैरान

दिलीप चौबे/कैमूर: अक्सर हमें सुनने को मिलता है कि खेती में अब कोई दम नहीं रह गया है. खेती करके बस किसी तरह गुजारा चल सकता है. कहने का मतलब यह है कि खेती से बस पेट भर सकता है, कमाई नहीं की जा सकती है. हालांकि यह बात पहले के दौर में कुछ हद तक सही थी. लेकिन बदलते दौर के साथ-साथ खेती का ट्रेंड भी बदला है.

नई तकनीक और आइडिया के समावेशन से किसान समृद्ध हो रहे हैं. आज हम कैमूर के एक ऐसे ही किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो मछली पालन कर बेहतर कमाई कर रहे हैं. यह किसान कैमूर जिला के भभुआ प्रखंड के रहने वाले सुनील सिंह हैं, जो फिलहाल 5 से 6 तालाब में बड़े पैमाने पर मछली पालन कर रहे हैं. वहीं एक तालाब से 1.50 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं.

6 तालाब में सुनील कर रहे हैं मछली पालन

मछली पालन कर रहे सुनील सिंह ने बताया कि मछली पालन की शुरूआत करने से पहले प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण लेने के बाद हीं गांव में तालाब खुदवाया. एक-एक कर 6 तालाब में मछली पालना शुरू किया. जब तालाब खुदवा रहा था तो गांव के लोग हंस रहे थे कि धान गेंहू के बढ़िया खेत को बेकार कर रहा है. वहीं जब मछलियां तालाब से निकलने लगी तो लोग दांत तले अंगुली दबाने लगे.

उन्होंने बताया कि अभी इजरायली रोहू, ग्रासकाट, सिल्वर, भकुरा (कतला), नयनी, कमल काट इत्यादि मछलियों का पालन कर रहे हैं. इसमें रोहू, भकुरा को तैयार होने में एक वर्ष का समय लग जाता है, जबकि पुराने जीरा (बच्चा) महज 6 महीने में तैयार हो जाता है. वहीं सिल्वर और बिझट को तैयार होने में महज 3 से 4 महीने हीं लगता है.

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एक तालाब से 1.5 लाख की हो रही है कमाई

सुनील सिंह ने बताया कि साल में एक तालाब से लगभग 1.5 लाख रुपए की कमाई हो रही है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान रोहू मछली की कीमत 250 रुपए है. जबकि सिल्वर की 200 रुपए किलो, बिझट की 240 रुपए, के ग्रास काट और भकुरा का 250 रुपए हैं.वहीं अगर कोई किसान मछली पालन करते हैं तो सरकार की तरफ से 40 से 50 फीसदी तक का अनुदान भी मिलता है.

खुद भी इसका लाभ ले रहे हैं. साथ हीं लोगों को मछली पालन के लिए प्रेरित करने के साथ प्रशिक्षण देने का भी काम करते हैं. सुनील ने बताया कि मछली को खिलाने के लिए अपने आटा मिल के अवशेष और मकई और बाजरे से बने खल्ली का इस्तेमाल करते हैं. साथ हीं दाने भी मछली को खिलाते हैं. जो बाजार में आसानी से मिल जाता है.

Tags: Agriculture, Bihar News, Local18, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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