मध्यप्रदेश

The story of Digvijay Singh becoming Chief Minister again | मालवा में पिछड़ने की वजह से बीजेपी के हाथ से निकली सत्ता

13 मिनट पहलेलेखक: अनुज शर्मा/उत्कर्ष राज

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मप्र की राजनीति में सबसे चर्चित नेताओं में से एक दिग्विजय सिंह। जब 1993 में वो सीएम बने तब उनका नाम पहले से तय नहीं था। हालांकि उन्हें अर्जुन सिंह और कमलनाथ का साथ मिला और वो विधायक दल का नेता बनने में सफल रहे। इसी के बाद1993 में मप्र मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली। 1993 से 1998 तक उनकी सरकार अंतर्विरोधों से घिरी रही। ये वो दौर था जब डिप्टी सीएम सुभाष यादव ही सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ही सरकार से नाराज थे। कांग्रेस के लिए इसी वजह से1998 का विधानसभा चुनाव काफी चुनौतियों भरा था। कांग्रेस पार्टी के अंदर काफी उथल-पुथल मची हुई थी । लेकिन दिग्विजय सिंह ने अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया और दोबारा मप्र की सत्ता पे काबिज हुए।

आज चुनावी कहानी की इस सीरीज में बात दिग्विजय सिंह के दोबारा


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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