मध्यप्रदेश

When the government fell after stopping the work of Rajmata | डीपी मिश्र की तल्खी और छात्र आंदोलन ने बिगाड़ी बात, विरोधी हुए एकजुट

36 मिनट पहलेलेखक: अनुज शर्मा/उत्कर्ष राज

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आजादी के बाद से देश और खासकर मप्र की राजनीति में सिंधिया घराने का हस्तक्षेप रहा है। ग्वालियर रियासत में लोकसभा की 8 और विधानसभा की 60 सीटों पर राजपरिवार की ओर से ही अधिकृत उम्मीदवार चुनाव जीतता था। यहां के उम्मीदवार भी सिंधिया परिवार की ओर से ही तय करने के बाद घोषित किए जाते थे। 1967 में सीएम डीपी मिश्र ने सिंधिया परिवार से उम्मीदवार चुनने के लिए मना कर दिया। राजवाड़ाें को लेकर मिश्र की टिप्पणी, छात्रों पर गोलीबारी की जांच नहीं कराने की बात को लेकर राजमाता सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने जनसंघ की ओर रुख किया। इसके बाद कांग्रेस और डीपी मिश्र के कारण असंतुष्टों को लेकर चलते सत्र में प्रदेश की सरकार को अल्पमत में ला दिया।

आज चुनावी कहानी की इस सीरीज में बात डीपी मिश्र की सरकार के


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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