ग्राउंड रिपोर्ट राजनगर विधानसभा : त्रिकोणीय मुकाबले में कांटे की टक्कर होना तय…

छतरपुर। राजनगर विधानसभा चुनाव के गत परिणाम में कांग्रेस के विक्रम सिंह (नाती राजा) भाजपा के इस बार फिर घोषित प्रत्याशी अरविंद पटैरिया को कांटे की टक्कर में महज 732 वोट से पराजित कर पाने में सफल हुए थे। राजनगर विधानसभा क्षेत्र भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा का संसदीय क्षेत्र है जिनका क्षेत्र में व्यापक विरोध होने के कारण भाजपा के ही कद्दावर नेता इस्तीफा देकर अन्य पार्टियों का दामन थाम चुके हैं। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष घासीराम पटेल भाजपा से इस्तीफा देकर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में है। इस क्षेत्र में पटेल मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक होने के कारण घासीराम पटेल दोनों प्रत्याशियों से फिलहाल बढ़त बनाए हुए हैं।
भाजपा का नहीं व्यक्तिगत प्रत्याशी का विरोध
अरविंद पटैरिया का राजनगर क्षेत्र में व्यक्तिगत विरोध काफी हो रहा है। परंतु ब्राह्मण समाज के वोटों की संख्या भी अधिक होने के कारण उनका मुकाबला घासीराम से होना लगभग तय माना जा रहा है। विक्रम सिंह उर्फ नातीराजा जो कि कांग्रेस के चौथी बार प्रत्याशी बनाए गए हैं इस बार जनता उनसे ऊब चुकी है और संभवत: वह तीसरे नंबर पर पहुंचेंगे। नातीराजा के बारे में क्षेत्र के लोगों का कहना है कि विधायक किसी का अच्छा नहीं करते तो बुरा भी नहीं करते परंतु वह किसी काम के नहीं है। क्षेत्र में जब से विधायक बने हैं कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। कुल मिलाकर राजनगर विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होगा परंतु वर्तमान समय में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी घासीराम पटेल का प्रचार प्रसार जोर शोर से चल रहा है और जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। पटेल समाज के अलावा विभिन्न जाति बंधु भी घासीराम को समर्थन कर रहे हैं। घासीराम स्थानीय प्रतिनिधि होने के कारण राजनगर क्षेत्र से काफी समय से जुड़े हुए हैं और वह लगातार राजनगर क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी से टिकट की मांग करते रहे परंतु उन्हें पार्टी से केवल आश्वासन मिला। इस बार क्षेत्र के लोगों ने एक सर्व जातिय क्षेत्रीय बैठक बुलाई जिसमें निर्णय लिया गया कि क्षेत्र का विधायक होना चाहिए और घासीराम का सभी लोगों ने समर्थन किया। इस समय पूरे क्षेत्र में घासीराम बहुजन समाज पार्टी से बढ़त बनाये हुए हैं ।
हालांकि अरविंद पटैरिया के समर्थकों के द्वारा पूरा जोर लगाया जा रहा है। पिछले चुनाव में विक्रम सिंह उर्फ नातीराजा से महज 732 वोटों से अरविंद पटैरिया चुनाव हारने के बाद से लगातार पूरे ५ साल क्षेत्र में सक्रीय रहे है इसी कारण पार्टी ने उन पर दोबारा विश्वास किया है। उन्होंने क्षेत्र में आम जनता के काम भी खूब कराए। और जनता के हितों के लिए संघर्षरत रहे और जिले में सबसे अधिक विकास की सौगात राजनगर विधानसभा को दिलाने में भी सफल रहे। नगरपालिका चुनाव हों या जिला पंचायत चुनाव सभी जगह अपने चहेतों को जिताने में वह सफल रहे, और पूरे विधानसभा में अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत किया जिस वजह से उन्होंने खूब विरोध भी पाल लिया जिससे इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन पूरे जिले में ऐसा दुष्प्रचार भी किया गया कि ओबीसी वर्ग उनसे बहुत रुष्ट है।
निश्चित ही भाजपा में अंर्तविरोध को नकारा नहीं जा सकता है। परन्तु देखा जाए तो जनता में भाजपा के खिलाफ किसी तरह का विरोध नहीं देखा जा रहा है लेकिन कुछ नेताओं और अरविन्द के विरोधियों द्वारा जरूर लगातार उनके खिलाफ माहौल निर्मित किया गया और पूरी कोशिश की गयी कि उनका टिकिट ही कट जाये लेकिन इसमें वह सफल नहीं हो पाए और अब टिकिट मिलने के बाद से कई विरोधी साइलेंट मोड में पहुँच गए हैं.
यह तो वक्त बताएगा कि यह सीट किस पार्टी के पक्ष में जाती है। फिलहाल तीनों उम्मीदवार अपना अपना प्रचार करने में लग गए हैं। सूत्रों से यह भी जानकारी मिल रही है कि सिद्धार्थ बुंदेला राजनगर से सपा के अधिकृत प्रत्याशी हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में नातीराजा को नुकसान होना तय माना जा रहा है। क्योंकि मुन्ना राजा भी क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं और 2008 चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से 30589 मत पाने में सफल रहे थे . इसलिए इस सीट पर कांटे की टक्कर होना तय है।